Sushant Singh Rajput Passed Away: 'रूठे ख्वाबों को मना लेते' बस 'बात तो कर लेते' 'सु-शांत' सिंह राजपूत
Sushant Singh Rajput Passed Away कौन जानता है कि जिनकी फ़िल्मों को देखकर लोग खु़द को अंधेरे में जाने से पहले रोक लेते हैं वह खुद जीवन को ख़त्म करने के लिए यह पड़ाव चुनेगा।
नई दिल्ली, जेएनएन। Sushant Singh Rajput Passed Away: सुशांत सिंह राजपूत भी इस दुनिया को अलविदा कह गए। बस उन्होंने इसे छोड़ने के लिए कुछ ऐसा रास्ता चुना जो, उनकी फ़िल्मों और उनकी शख्स़ियत से मिलता नहीं है। कौन जानता है कि जिनकी फ़िल्मों को देखकर लोग खुद को अंधेरे में जाने से पहले रोक लेते हैं, वह खुद जीवन को ख़त्म करने के लिए यह पड़ाव चुनेगा।
रूठे ख्वाबों को मना लेंगे- 'रूठे ख़्वाबों को मना लेंगे...कटी पतंगों को थामेंगे...हो हो है जज़्बा, हो हो है जज़्बा...सुलझा लेंगे उलझे रिश्तों का मांझा...सोयी तकदीरें जगा देंगे...कल को अम्बर भी झुका देंगे...हो हो है जज़्बा, हो हो है जज़्बा...सुलझा लेंगे उलझे रिश्तों का मांझा।' टीवी की दुनिया से निकलकर जब सुशांत ने फ़िल्मी जगत में कदम रखा, तो 'काय पो छे' उनकी पहली फ़िल्म बनी। उस फ़िल्म का यह गाना है। गाने के बोले ऐसे थे कि मानो सुंशात इस दुनिया को यह कह रहे हों कि वह सारे उलझे रिश्तों को समेट देंगे। अब इस फ़िल्म के सह कलाकार राजकुमार राव सही कहते हैं- 'यह बहुत गलत है, तुम जल्दी चले गए।'
💔This is so unfair. Gone too soon.
I’ll always cherish our conversations on acting and cinema. You’ll be missed bhai.
May God give strength to his family and loved ones. Rest in Peace brother. #SushantSinghRajput pic.twitter.com/F2vmnulB3m
— Rajkummar Rao (@RajkummarRao) June 14, 2020
बात तो कर लेते- एमएस धोनी : द अनटोल्ड स्टोरी का एक सीन है। इस वक्त वायरल भी हो रहा है। काली प्रसाद मुखर्जी (अनिमेश कुमार गांगुली) और सुशांत (एमएस धोनी) के बीच की चर्चा है। काली, सुशांत से कहते हैं- 'बात करना चाहिए। मन हल्का हो जाता है।' सुशांत मन की भड़ास निकालते हुए कहते हैं कि सर ऐसा लगा रहा है कि डिप्रेस हो गया हूं। इस पर काली कुछ सवाल करते हैं। सुशांत उनका जवाब देते हैं। जैसे- जब फुल टॉस मिलता है, तो क्या करते हो। जवाब- हिट करता हूं। जब जूसी ऑफ़ बॉली। जवाब- ड्राइव करता हूं। आउट स्विंगर- छोड देता हूं। खतरनाक इनस्विंगर- डिफेंड करता हूं। और जब अनप्रेडिक्टबिल बाउंसर मिलता है? इस पर सुशांत कहते हैं कि डक करता हूं। इसके बाद काली ने जो जवाब दिया, वह फ़िल्म से उतर कर अब सुशांत की सच्ची ज़िंदगी से मेल खाती लगती है। काली कहते हैं- बस यही तो लाइफ है। ऐसा समझो कि यह सब बाउंसर है, जिसे डक करना है। मेरिट पर खेलना है और टिके रहना है। स्कोरबोर्ड कीप मूविंग।' लेकिन दुःखद ज़िंदगी के कुछ बाउंसर सुशांत डक नहीं कर पाए। शायद किसी से बात करते लेते।
फेलियर के बाद का प्लान हो सकता था 'सु-शांत' - सुशांत ने अपने जीते अपनी आखिरी फ़िल्म जो रिलीज़ होते देखी, वह थी 'छिछोरे'। फ़िल्म का एक सीन है, जिसमें सुशांत और वरुण आमने सामने हैं। अपने ऑन स्क्रीन बेटे की आत्महत्या करने की कोशिश के बाद वह निराश हैं। कहते हैं -'हम सब गलत कर रहे हैं भाई। सक्सेस का प्लान सबके पास है। लेकिन अगर गलती से भी फेल हो गए, तो फेलियर से कैसे डील करना है, ये कोई बात हीं नहीं करना चाहता।' सबको डिप्रेशन, सही-गलत, हार जीत बताते तुम शांत हो गए। काश! कोई बात कर लेता।
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