Sunny Deol की ऑनस्क्रीन बहन ने 32 साल की उम्र में खोया था पति, मजबूरी में की थी 'रामायण'
बुरे समय में कोई बिखर जाता है कोई निखर जाता है यही उसूल था सनी देओल की ऑनस्क्रीन सिस्टर का किरदार निभाने वाली अपराजिता भूषण का। बॉलीवुड के नामचीन एक्टर रहे भारत भूषण की बेटी अपराजिता ने अपनी जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव देखें। सोने के पालने में पली बढ़ी कौन हैं अपराजिता भूषण और कैसे अकेले उन्होंने झेला जिंदगी का संघर्ष पढ़ें उनकी दिलचस्प कहानी

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। ऐसा आपने कई बार सुना होगा कि जिंदगी हमेशा एक जैसी नहीं रहती। कभी वह आपको इतना देती है कि संभाले नहीं संभलता, लेकिन कभी-कभी ऐसा झटका देती है कि एक ही पल में चीजें कैसे बदली ये समझ नहीं आता। कुछ ऐसा ही हुआ था हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता और निर्माता रहे भारत भूषण की बेटी की जिंदगी में।
ये तो हम सब जानते हैं कि भारत भूषण का 40 और 50 के दशक में खूब सिक्का चलता था। वह बॉलीवुड के टॉप मोस्ट एक्टर्स में से एक थे। उन्होंने अपने करियर में मिर्जा गालिब से लेकर फागुन, कहानी किस्मत की जैसी कई सुपरहिट फिल्में दी। भारत भूषण ने दो शादियां की थी। उनकी पहली शादी से दो बेटियां थीं अपराजिता भूषण और अनुराधा भूषण। आज हम आपको अपनी इस स्टोरी में अपराजिता भूषण के बारे में बताने जा रहे हैं, जो एक समय पर राजेश खन्ना के आशीर्वाद बंगले में रहती थी, लेकिन पिता की आर्थिक तंगी और पति के निधन ने उनकी पूरी जिंदगी बदल के रख दी।
अपराजिता के पैदा होते ही हुआ था मां का निधन
भारत भूषण की लाडली बेटी अपराजिता बचपन से ही काफी धनी थीं, बस उनकी जिंदगी में कमी थी तो मां की। तब्बस्सुम टॉकीज ने अपने यूट्यूब चैनल में एक्ट्रेस के जीवन के संघर्ष की कहानी के बारे में बात करते हुए बताया कि जब अपराजिता पैदा हुई थीं, तो उनकी मां का निधन हो गया था। एक्ट्रेस को हमेशा अपनी मां की कमी खलती थी, जिसके कारण कुछ सालों के बाद 1967 में उनके पिता ने दूसरी शादी की, पत्नी का नाम था रत्ना,जो एक एक्ट्रेस थीं। भारत भूषण की दूसरी पत्नी ने अपराजिता की जिंदगी में मां की कमी को पूरा किया।
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अपराजिता ने ये भी बताया था कि उनके पिता ये कभी नहीं चाहते थे कि वह एक्टिंग की दुनिया में कदम रखे, ऐसे में उन्होंने इंग्लिश लिटरेचर में ग्रेजुएशन किया। उन्होंने ये भी बताया था कि उनके पिता के तीन बंगले थे, जिसमें उनका पूरा बचपन बीता था। उनकी जिंदगी में सबकुछ सही चल रहा था। भारत भूषण ने अपने जमाने की मशहूर अदाकारा मधुबाला से लेकर मीना कुमारी, सुरैया सहित सबके साथ काम किया। वह लगातार सफलता की सीढियां चढ़ रहे थे, जिनके साथ अपराजिता ने भी काफी वक्त बिताया।
प्रोड्यूसर बनते ही भारत भूषण की जिंदगी हुई खराब
भारत भूषण के पास शोहरत तो थी ही, लेकिन दौलत भी काफी थी। जिसकी वजह से उन्होंने प्रोड्यूसर बनने का फैसला किया। उनकी दो फिल्में हिट रहीं, जिनमें बसंत बहार और बरसात की रात है। इन दोनों फिल्मों के बाद दिग्गज अभिनेता ने जितनी भी फिल्में बनाई सब फ्लॉप रहीं, जिसकी वजह से वह कर्जों में डूब गए और सभी बंगले और गाड़ियां बिक गई। इन बंगलों में से एक 'आशीर्वाद' भी था, जो उन्होंने राजेंद्र कुमार को बेचा और उन्होंने राजेश खन्ना को।
बंगला बेचने के बाद भारत भूषण को जो पैसा मिला, उससे उन्होंने मुंबई के मलाड में एक छोटा सा घर लिया और अपने पूरे परिवार के साथ वहीं पर शिफ्ट हो गए। अर्श से फर्श पर आ चुके भारत भूषण और उनकी बेटियों के जीवन का संघर्ष यहीं से शुरू हुआ।
मजबूरी में किया था 'रामायण' शो
भारत भूषण की छोटी बेटी अपराजिता की शादी बहुत ही कम उम्र में हो गई थी। सबकुछ जीवन में सही चल रहा था और उनकी दो बेटियां भी हैं। घर बिकने के बाद जिंदगी ने अपराजिता को एक और झटका दिया। वह जब महज 32 साल की थीं, तो उनके पति अतनु हाजरा का निधन हो गया, जिसके बाद घर और बेटियों को संभालने की पूरी जिम्मेदारी उनके कंधें पर आ गई। एक्ट्रेस ने फिल्मों में डबिंग शुरू कर दी, जहां से उनकी किस्मत बदली, क्योंकि इसके बाद ही उनके पास रामानंद सागर की 'रामायण' आई।
इस थ्रोबैक में ये भी बताया गया कि जब अपराजिता रामानंद सागर की 'रामायण' के किसी आर्टिस्ट के लिए डब कर रही थीं, तो उसी वक्त उन्हें डायरेक्टर ने देखा और उन्हें माइथोलॉजिकल शो में एक अहम किरदार ऑफर किया। वक्त की नजाकत और अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए उन्होंने रोल स्वीकार किया, किरदार था रावण की पत्नी 'मंदोदिरी' का। 1987 में आई रामायण तो हिट हुई ही, इसी के साथ लोगों ने अपराजिता का किरदार भी बेहद पसंद किया।
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साइड किरदार निभाकर भी हिट रहीं अपराजिता
मंदोदिरी के किरदार के बाद उन्हें कई फिल्मों के ऑफर भी आए, लेकिन उनमें उन्हें साइड कैरेक्टर मिला। उनकी 1988 में पहली फिल्म 'हत्या' रिलीज हुई, जिसमें उनका रोल छोटा था, लेकिन पावरफुल था। इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक फिल्मों में काम किया। एक्ट्रेस मोरा ,काला बाजार , फूल बने अंगारे , हम , फूल और कांटे जैसी फिल्मों में नजर आईं। साल 1992 में आई फिल्म विश्वात्मा में उन्होंने सनी देओल की बहन का किरदार निभाया था।
पति के निधन के बाद 1992 में उनके पिता भारत भूषण का भी निधन हो गया, जिसके बाद वह पूरी तरह से टूट गईं। अपने खुद के दम पर सिंगल मदर रहकर अपराजिता ने बच्चों की परवरिश की। जब उनके बच्चे बड़े हुए तो एक्ट्रेस ने दौड़ भाग भरी जिंदगी से दूर होने का निर्णय लिया। अपराजिता की आखिरी फिल्म साल 1997 में आई थी। जिसका टाइटल था गुप्त। इस फिल्म के बाद वह अपने बच्चों के साथ पुणे शिफ्ट हो गईं और वहीं पर मोटिवेशनल स्पीकर बन गईं और लोगों को बुरे समय से लड़ने के बारे में सिखाने लगीं।
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