बॉलीवुड में आना बचपन से सपना था: एमिली शाह
देश में रग्बी जैसे कम लोकप्रिय खेल पर आधारित फिल्म में दर्शकों की दिलचस्पी को लेकर एमिली कहती हैं दर्शकों को यह फिल्म रग्बी या खेल को ध्यान में रखकर नहीं देखना चाहिए। उन्हें यह फिल्म गरीब और अनाथ बच्चों की एक प्रेरक कहानी के तौर पर देखनी चाहिए।

दीपेश पांडेय, मुंबई। अमेरिका में पली बढ़ी अभिनेत्री एमिली शाह फिल्म 'जंगल क्राई' से हिंदी सिनेमा में पदार्पण कर रही हैं। यह फिल्म साल 2007 में उड़ीसा के आदिवासी बच्चों द्वारा अंडर 14 रग्बी विश्व कप जीतने की कहानी पर आधारित है। यह फिल्म तीन जून को लायंस गेट प्ले पर स्ट्रीम होगी। एमिली इस फिल्म की एक्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर भी हैं। एमिली से उनकी फिल्म और उनकी महत्वाकांक्षाओं पर बातचीत:
सच हुआ बचपन का सपना
अपने अभिनेत्री बनने के सफर के बारे में एमिली बताती हैं, 'बॉलीवुड में आना मेरा बचपन से सपना था। मैंने पांच साल की उम्र में ही अलग-अलग डांस फॉर्म्स और एक्टिंग सीखना शुरू कर दिया। डांस हो या एक्टिंग स्टेज पर परफॉर्म करना मुझे अच्छा लगता था। बचपन में ही मैं टीवी विज्ञापनों में भी काम करने लगी थी, इसके साथ मैं न्यू जर्सी, न्यूयॉर्क में थिएटर देखने भी किया करती थी। मेरे पिता इंडिया में स्टैंड अप कॉमेडियन थे, फिर लाइन प्रोड्यूसर बने। कला के प्रति उनका भी काफी लगाव था। उनसे और मम्मी से मुझे बहुत सपोर्ट मिला। ग्रेजुएशन करने के बाद मैंने मार्वल स्टूडियोज की कैप्टन अमेरिका और फास्ट एंड फ्यूरियस फिल्मों की स्टंट टीम को असिस्ट किया था। कुछ फिल्मों में प्रोडक्शन असिस्टेंट भी रही। फिर ऑडिशन के जरिए फॉर्च्यून डेफाइज डेथ और नवंबर रुल जैसी हॉलीवुड फिल्मों में एक्टिंग करने का भी मौका मिला।'
ऐसे हुई बॉलीवुड में एंट्री
इस फिल्म में अपने किरदार और उसकी तैयारियों के बारे में एमिली बताती हैं, 'जंगल क्राई की स्क्रिप्ट मेरे पास बतौर एक्सीक्यूटिव प्रोड्यूसर आई थी। इसकी स्क्रिप्ट पढऩे के बाद मैंने फिल्म के एसोसिएट प्रोड्यूसर शब्बीर बॉक्सवाला से बात की कि फिल्म में एक भी महिला किरदार नहीं है। आज के दौर में बिना महिला कोई कहानी कैसे संभव है? फिर हमने अपनी क्रिएटिव टीम के साथ फिल्म में स्पोर्ट्स फीजियो के तौर पर महिला किरदार शामिल किया। फिर हमने फैसला किया कि यह किरदार मैं निभाउंगी। इस तरह से फिल्म में रोशनी ठक्कर के किरदार की एंट्री होती है। इसके लिए मैंने नॉर्थ अमेरिका की फेमस स्पोर्ट्स फिजियोथेरेपिस्ट पूर्वी देसाई से फिजियोथेरेपी के बारे में सीखा। जंगल क्राई की शूटिंग से पहले उनका काम देखने के लिए मैं डेनवर, कोलोराडो के एक रग्बी टूर्नामेंट में भी गई। उन्होंने मुझे सारी चीजें सिखाई। फिजियो का काम सिर्फ फील्ड पर नहीं होता है। उसका काम हमेशा रहता है। शूटिंग के दौरान भी मैं उन्हें फोन करके पूछती रहती थी।'
प्रेरक कहानी
देश में रग्बी जैसे कम लोकप्रिय खेल पर आधारित फिल्म में दर्शकों की दिलचस्पी को लेकर एमिली कहती हैं, 'दर्शकों को यह फिल्म रग्बी या खेल को ध्यान में रखकर नहीं देखना चाहिए। उन्हें यह फिल्म गरीब और अनाथ बच्चों की एक प्रेरक कहानी के तौर पर देखनी चाहिए। यह फिल्म ऐसे आदिवासी बच्चों की कहानी है, जिन्हें लाइमलाइट में आने का मौका नहीं मिला। साल 2007 में जब भारत ने रग्बी विश्व कप जीता था, उसी वक्त टी 20 क्रिकेट वर्ल्ड कप भी जीता था। ऐसे में मीडिया ने सारा फोकस सिर्फ क्रिकेट को दिया था। इन बच्चों को न कोई अवॉर्ड, न ही कोई पहचान मिली। इसीलिए हमने यह फिल्म बनाई कि उन्हें जो पहचान नहीं मिल पाई, शायद इस फिल्म से मिल जाए।'
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वास्तविक खिलाडिय़ों की एक्टिंग
इस फिल्म की शूटिंग और कलाकारों के बारे में एमिली बताती हैं, 'जंगल क्राई को हमने उड़ीसा और वेल्स (ब्रिटेन) में शूट किया है। फिल्म में काम करने वाले बच्चे पेशेवर एक्टर नहीं हैं, वो वास्तव में रग्बी खिलाड़ी हैं। हमारे निर्देशक सागर बेल्लारी की डायरेक्शन टीम, मैंने और अभय देओल ने उनके साथ काफी एक्टिंग वर्कशॉप की। वो बच्चे बहुत अनुशासित हैं, जल्दी से एक्टिंग करना सीख गए। हम फिल्म में एक्टर्स लें या असली रग्बी खिलाड़ी, इसको लेकर हमारे मन में कश्मकश चल रही थी। अगर हम एक्टर्स लेते तो उन्हें रग्बी सिखाने और उसकी शारीरिक ट्रेनिंग में बहुत वक्त लगता। इसलिए हमने वास्तविक रग्बी खिलाडिय़ों को लेना तय किया। वैसे भी फिल्म में सिर्फ तीन-चार बच्चों के डायलाग है, बाकी को तो सिर्फ रग्बी खेलना है।'
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बहुमुखी प्रतिभा
एक्टिंग के अलावा एमिली स्क्रीन राइटिंग भी करती हैं। हिंदी सिनेमा में अपनी महत्वाकांक्षाओं को लेकर वह कहती हैं, 'एक्शन मेरा पसंदीदा जॉनर भी है। अगर मुझे ऐसा कुछ मौका मिलता है, तो मैं जरूर करूंगी। (हंसते हुए) जब जेम्स बांड जैसी फिल्म बन सकती है, तो लेडी एक्टर के साथ जेमी बांड क्यों नहीं बन सकती है। कोरोना महामारी के दौरान मैंने स्क्रीन राइटिंग की भी क्लास ली थी। उसके बाद मैंने दो फिल्में लिखी हैं तथा एक वेब सीरीज भी डेवलप की है। इनमें से एक फिल्म शब्बीर बॉक्सवाला के साथ है। हमारी कोशिश इसे किसी स्टूडियो के सपोर्ट से बनाने की है, क्योंकि फिल्म मुंबई और अमेरिका दोनों पृष्ठभूमि पर आधारित है। एक्टिंग में मैं अभी बॉलीवुड में ऑडिशन दे रही हूं, देखती हूं यहां क्या चलेगा। अगर मुझे कभी रानी मुखर्जी, ऐश्वर्या राय बच्चन और काजोल के साथ काम करने का मौका मिला तो बहुत अच्छा लगेगा।'
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