Smita Patil 33th Death Anniversary : महज 31 साल की उम्र में अलविदा कह गईं स्मिता पाटिल, ये थी आखिरी ख्वाहिश
Smita Patil 33th Death Anniversary स्मिता पाटिल ने करियर के महज चार सालों के अंदर ही अपना पहला नेशनल अवॉर्ड जीत लिया था। 1977 में उन्हें फिल्म भूमिका के लिए नेशनल अवॉर्ड मिला।
नई दिल्ली, जेएनएन। Smita Patil 33th Death Anniversary : मंथन (1976), आक्रोश (1980), चक्र (1980), आखिर क्यों (1985), नजराना (1987), अर्थ (1982) और भूमिका (1977)। ये कालजयी फिल्में हैं, समानांतर सिनेमा की दिग्गज अभिनेत्री स्मिता पाटिल की। स्मिता ने आज के ही दिन 13 दिसंबर 1986 को महज 31 साल की उम्र में आखिरी सांसें ली थीं। 17 अक्तूबर 1955 को पुणे में जन्मी स्मिता पाटिल का बॉलीवुड करियर महज 10 साल का रहा और उसमें उन्होंने 80 फिल्में की। पर स्मिता पाटिल ने अपने अभिनय की ऐसी छाप छोड़ी की बॉलीवुड में आज भी उनके अभिनय की मिसाल दी जाती है।
स्मिता पाटिल ने करियर शुरू करने के महज चार सालों के अंदर ही अपना पहला नेशनल अवॉर्ड जीत लिया था। साल 1977 में उन्हें फिल्म 'भूमिका' के लिए नेशनल अवॉर्ड मिला। वहीं फिर साल 1980 में फिल्म 'चक्र' के लिए नेशनल अवॉर्ड मिला। साल 1985 में स्मिता को पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया।
राजबब्बर के साथ लिव इन में रहीं और फिर की शादी
स्मिता पाटिल न सिर्फ फिल्मों, बल्कि राज बब्बर से अपने सम्बन्धों की वजह से भी चर्चा में रहीं। राज बब्बर पहले से शादीशुदा थे। स्मिता और राजब्बर के रिश्ते की बात जब सामने आई तो स्मिता पाटिल को चारों ओर से आलोचना झेलनी पड़ी। राज बब्बर अपनी पत्नी नादिरा और बच्चों को छोड़कर स्मिता के पास आए थे। दोनों पहले रिलेशनशिप में रहे और फिर शादी कर ली।
वायरल इन्फेक्शन बन गया ब्रेन इन्फेक्शन
स्मिता पाटिल की जीवनी लिखने वाली मैथिली राव ने एक इंटरव्यू में बताया था कि स्मिता को वायरल इन्फेक्शन की वजह से ब्रेन इन्फेक्शन हो गया था। पर प्रतीक के पैदा होने के बाद वह घर आ गई थीं। स्मिता बहुत जल्द हॉस्पिटल जाने के लिए तैयार नहीं होती थीं, कहती थीं कि मैं अपने बेटे को छोड़कर हॉस्पिटल नही जाऊंगी। जब इन्फेक्शन बढ़ गया तो उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। तब तक स्थिति बिगड़ चुकी थी। स्मिता के अंग एक के बाद एक फेल होते चले गए।
दुल्हन की तरह सजने की आखिरी ख्वाहिश
स्मिता पाटिल के मेकअप आर्टिस्ट दीपक सावंत ने बताया था, 'स्मिता कहा करती थीं कि दीपक जब मर जाउंगी तो मुझे सुहागन की तरह तैयार करना। मृत्यु के बाद अंतिम इच्छा के मुताबिक, स्मिता को सुहागन की तरह सजाया गया।
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