'मुझे फर्क नहीं पड़ता...' 8 साल बाद टीवी पर वापसी करेंगे Sharad Kelkar? निभा चुके हैं शिवाजी का रोल
फरवरी के अंत में जियोहॉटस्टार (Jio Hotstar) पर एक फिल्म आई थी जिसका नाम था दिल दोस्ती और डॉग्स। यह फिल्म गोवा की खूबसूरत वादियों में इंसानों और कुत्तों के अनोखे रिश्ते को दर्शाती है। इसमें नीना गुप्ताशरद केलकर और कई प्रमुख कलाकारों ने अभिनय किया है। अभिनेता काफी लंबे समय बाद टीवी पर वापसी करने की तैयारी में हैं।
दीपेश पांडेय, मुंबई। अभिनय के साथ-साथ ‘बाहुबली’ और ‘आदिपुरुष’ फिल्मों में अपनी दमदार आवाज के लिए जाने जाने वाले अभिनेता शरद केलकर हालिया रिलीज फिल्म ‘दिल दोस्ती और डाग्स’ में नजर आए। उनसे कामर्शियल सिनेमा और विभिन्न पहलुओं पर बात की हमारे संवाददाता ने, जानिए इसके कुछ अंश...
स्थापित हो जाने और स्टारडम जुड़ जाने के बाद क्या काम मांगने में कोई शर्म या हिचकिचाहट आती है?
यह तो बड़े से बड़े एक्टर भी करते हैं, लेकिन तरीका अलग होता है। कलाकार काम और कला के मामले में बहुत ही लालची होता है। वो जितना काम करता है, उतना ही उसके अंदर और ज्यादा सीखने की इच्छा होती है। ये लालच कभी खत्म नहीं होगा। काम तो करना ही है, फिर शर्म किस बात की।
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वर्तमान में किसी कलाकार के लिए अपनी कला और कामर्शियल सिनेमा के बीच संतुलन बनाकर चलना कितना जरूरी है?
मुझे इससे फर्क नहीं पड़ता है कि फिल्म कामर्शियल है या आर्ट। अगर फिल्म अच्छी हुई तो लोग देखने जाएंगे ही न। मेरा सिर्फ यही रहता है कि मैं इतने पैसों में काम करता हूं, मुझे दे दो तो मैं फिल्म कर लूंगा।
जब नाम के साथ सौ-दो करोड़ रुपये वाले आंकड़े जुड़ते हैं, तो क्या उससे फर्क पड़ता है?
पहले अच्छा लगता था। उसके बाद मैंने इन आंकड़ों पर प्रतिक्रिया देना ही छोड़ दिया है। मेरी पत्नी (अभिनेत्री कीर्ति गायकवाड़) मुझसे कहती हैं कि तुम फिल्म पर इतनी मेहनत करते हो, पर वो फिल्म बाक्स आफिस पर चले या न चले, तुम्हें कोई फर्क ही नहीं पड़ता है। मैं न खुशी में बहुत ज्यादा खुश होता हूं, न गम में बहुत ज्यादा दुखी होता हूं।
ये हर परिस्थिति में आगे बढ़ जाने वाली आदत कहां से आई?
मैं जिंदगीभर एक चीज छोड़कर दूसरी में आगे ही तो बढ़ा हूं। जब स्पोर्ट्स में ग्रेजुएशन किया था, तो मुझे खेलों में जाना था, फिर सेना में जाना था, ये सब नहीं हो पाया। व्यक्तिगत तौर पर मैंने पिता को खो दिया। अब जो इतनी बड़ी चीज खो दी,तो बाकी छोटी-मोटी चीजों के पीछे क्या रोएं, क्या गम मनाएं।
आठ वर्ष बाद एक बार फिर आपके टीवी पर वापसी की खबरें हैं...
मैं इस पर हां या ना कुछ नहीं कहूंगा। मेरे बारे में ऐसी खबरें चलती रहती हैं। हां, आगे मैं कुछ प्रोजेक्ट प्रोड्यूस कर सकता हूं। ‘छावा’ देखने के बाद लोगों ने इंटरनेट मीडिया पर ‘तान्हाजी : द अनसंग वारियर’ में निभाई आपकी छत्रपति शिवाजी महाराज की भूमिका को भी खूब याद किया।
छत्रपति संभाजी महाराज,शिवाजी महाराज के ही सुपुत्र थे। लोगों को लगा कि अगर मैं भी फिल्म में होता तो मजा आ जाता। कुछ लोगों ने तो ये भी कहा कि अगर शिवाजी महाराज का एक फ्लैशबैक सीन डाल दिए होते तो क्या चला जाता,लेकिन वो फिल्म छत्रपति संभाजी महाराज पर है। निर्माताओं के अपने नियम और सीमाएं होती हैं।
अमिताभ बच्चन को आवाज के कारण रिजेक्ट कर दिया गया था, क्या किसी ने आपसे कभी आवाज को लेकर शिकायत की?
मुझे एक प्रोड्यूसर ने वर्कशाप के लिए बुलाया था। जब मैं उनके पास गया तो उन्होंने कहा कि अपनी इस आवाज को भूल जाओ। हंसते हुए बोले फिर मैं उस प्रोड्यूसर को ही भूल गया!
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