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    क्या है Shah Rukh Khan का टैक्स से जुड़ा मामला? 13 साल बाद ITAT ने खारीज की री-असेसमेंट की अपील

    शाह रुख खान (Shahrukh Khan) को कई सालों से चल रहे इनकम टैक्स के मामले में बड़ी राहत मिली है। ये मामला साल 2011 से जुड़ा बताया गया है। मामला UK में हुई फिल्म शूटिंग और उस पर लगने वाले टैक्स से जुड़ा हुआ है। इनकम टैक्स ऑफिसर्स ने अभिनेता द्वारा चुकाए 2011-12 वित्त वर्ष पर सवाल उठाया था। आइए बताते हैं क्या था पूरा मामला।

    By Anu Singh Edited By: Anu Singh Updated: Mon, 10 Mar 2025 03:28 PM (IST)
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    शाहरुख खान जीता 13 साल पुराना टैक्स केस (Photo Credit- X)

    एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। Shahrukh khan Won Tax Dispute Case:  सुपरस्टार शाहरुख खान ने इनकम टैक्स मामले में बड़ी जीत हासिल की है। आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT) ने 2011-12 के वित्तीय वर्ष के लिए आयकर विभाग द्वारा शुरू की गई री-असेसमेंट प्रोसीडिंग के आदेशों पर रोक लगा दी है। जैसा की हमने बताया मामला फिल्म रा.वन (Ra.one) की कमाई पर ब्रिटेन में चुकाए गए टैक्स क्रेडिट से जुड़ा है।

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    रा.वन फिल्म और उससे जुड़ा टैक्स

    शाहरुख और रेड चिली एंटरटेनमेंट के बीच हुए समझौते के अनुसार, फिल्म की 70% शूटिंग UK में होनी थी। इसलिए 70% का जितना भी टैक्स बना था वो विदेश में मान्य था। इस पर  UK का टैक्स लगना था जिसमें विद-होल्डिंग टैक्स भी शामिल था। अभिनेता का भुगतान UK की एक कंपनी विनफोर्ड प्रोडक्शन द्वारा किया गया था। एक्टर ने फिल्म से 83.42 करोड़ रुपए की इनकम का ऐलान किया था। टैक्स अधिकारियों ने UK में चुकाए गए टैक्स क्रेडिट के उनके दावे को खारिज कर दिया था। पुनर्मूल्यांकन करने पर ये इनकम 84.17 करोड़ पाई गई थी।

    Photo Credit- X

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    टैक्स के कारण भारत का हुआ नुकसान

    टैक्स अधिकारियों का मानना था कि इस भुगतान व्यवस्था से भारत को रेवेन्यू का नुकसान हुआ है। एक भारतीय नागरिक को अपनी वैश्विक आय पर भारत में टैक्स देना होता है। टैक्स ट्रीटी विदेशी टैक्स क्रेडिट का प्रावधान दिया गया है। इससे कोई भी भारतीय नागरिक को विदेश में चुकाए गए टैक्स को अपनी भारत की टैक्स लिस्ट से काट सकता है। इससे एक ही इनकम पर दो बार टैक्स देने से बचा जा सकता है।

    Photo Credit- Instagram

    री-एसेसमेंट प्रोसेस ठहराई गई अमान्य

    ITAT बेंच ने अपने विस्तृत आदेश में री-एसेसमेंट प्रोसेस को अमान्य करार दिया है। बेंच में शामिल संदीप सिंह करहैल और गिरीश अग्रवाल ने ये फैसला सुनाया। न्यायाधिकरण ने कहा कि मूल्यांकन अधिकारी चार साल की वैधानिक अवधि के बाद पुनर्मूल्यांकन के लिए कोई नया ठोस सबूत नहीं दे सके। यह भी देखा गया कि विवादित मुद्दे की पहले ही मूल जांच मूल्यांकन के दौरान जांच की जा चुकी थी। ITAT बेंच ने निष्कर्ष निकाला कि दोबारा मूल्यांकन की कार्यवाही एक से अधिक आधारों पर कानूनन गलत थी। यह धारा 147 के प्रावधानों के अनुरूप नहीं थी जिसके बाद इसे रद्द कर दिया गया।

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