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    आने वाले समय में रीमेक फिल्मों में काम नहीं करेंगे Shahid Kapoor, कहा- मुझे इंटेंस रोल निभाना पसंद है

    शाहिद कपूर की फिल्म देवा सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। फिल्म में शाहिद कपूर एक कॉप के किरदार में नजर आ रहे हैं। ट्रेलर रिलीज के बाद से ही उनका ये इंटेंस लुक काफी ज्यादा वायरल हो रहा था। अब एक इंटरव्यू में शाहिद कपूर ने जागरण ऑनलाइन से इस बारे में बात की और बताया कि वो इंटेंस रोल क्यों चुनते हैं।

    By Surabhi Shukla Edited By: Surabhi Shukla Updated: Sun, 02 Feb 2025 05:30 AM (IST)
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    शाहिद कपूर ने देवा को लेकर क्या कहा (Photo: Instagram)

    स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। हाल में आई फिल्म ‘देवा’ में अभिनेता शाहिद कपूर एक पुलिस अधिकरी की भूमिका में नजर आए। एक्टर को इस दमदार लुक में दोबारा से देखकर फैंस काफी ज्यादा एक्साइटेड हो गए। अपने इस किरदार के बारे में एक्टर ने हमसे बातचीत की, जानिए बातचीत के कुछ अंश।

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    आपने कभी स्टारडम का ढिंढोरा नहीं पीटा?

    मैं अपने काम में खोया रहता हूं, जो समय बचता है वो बच्चों, पत्नी, परिवार और दोस्तों के साथ बिताना पसंद करता हूं। बतौर कलाकार जब तक आप जिंदगी से जुड़े नहीं रहेंगे, तब तक कहीं न कहीं डिस्कनेक्ट हो जाएंगे। तो आपके काम के लिए जरूरी है कि आम सामान्य चीजें भी करते रहें, पूरे वक्त खुद को स्टार जैसा न समझें। मुझे हमेशा डर लगता है कि कहीं आम जिंदगी से कट न जाऊं।

    आपने कहा था कि पात्रों को निभाने से पहले आप उसकी कल्पना करते हैं। ऐसे में पिछले निभाए पात्र उससे कभी टकराते नहीं हैं?

    मेरे लिए पात्र को समझने की प्रक्रिया स्क्रिप्ट ही होती है। जब बतौर कलाकार आप कुछ कर रहे होते हैं तो आप उस जोन में होते हैं और वह जोन टूटना नहीं चाहिए।

    इन दिनों आप आक्रामक किरदार ज्यादा निभा रहे हैं....

    इस पर मुस्कुराते हुए शाहिद कहते हैं,‘तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया’ में मेरा किरदार बहुत प्यारा सा था, लेकिन जब इस तरह के पात्र आप निभाते हैं तो उसका प्रभाव काफी गहरा होता है। मन में वो किरदार ज्यादा समय तक रह जाते हैं। पर हां, निश्चित रूप से आक्रामक इंटेंस पात्र निभाना मुझे अच्छा लगता है। मुझे पता है कि दर्शकों को भी ऐसे किरदार पसंद आते हैं। ‘देवा’ का पात्र उस श्रेणी में आता है।

    आपने अली अब्बास जफर, संदीप सिंह और रोशन एंडूज के साथ एक्शन फिल्में की हैं। तीनों के साथ अपने अनुभव बताएं?

    तीनों अपनी जगह बहुत स्ट्रांग फिल्ममेकर हैं, तीनों का नजरिया बेहद स्पष्ट है। अली के साथ मैंने डिजिटल फिल्म ‘ब्लडी डैडी’ की। संदीप ने मेरी जिंदगी की सबसे आइकोनिक फिल्मों में से एक ‘कबीर सिंह’ दी है। वह मेरी सबसे सफल फिल्म भी रही है तो मैं उनका शुक्रगुजार हूं। रोशन का भी सिनेमा को बनाने का अपना नजरिया है। वह ‘देवा’ में दिख रहा है। फिल्म को उन्होंने रियल रखा है। इस फिल्म का काप यूनिवर्स बहुत विश्वसनीय है।

    इसके बाद आप विशाल भारद्वाज के साथ फिर से फिल्म कर रहे हैं..

    यह गैंगस्टर लव स्टोरी जॉनर की एक्शन फिल्म है। लव एंगल इसका बहुत बड़ा हिस्सा होगा।

    फिल्मों में एक्शन के साथ हिंसा बहुत बढ़ रही है। इस बारे में आपका क्या कहना है?

    चाहे एक्शन हो या रोमांस, उसकी डिग्री होती है। यह आर्ट है। हम कोई रियल चीज नहीं दिखा रहे हैं। क्रिएटिव लोग तो यही कहेंगे कि क्योंकि यह काल्पनिक है और विचारों की अभिव्यक्ति तो मौलिक अधिकार है। बाकी सेंसर बोर्ड भी काफी सख्त है। आर्ट और सिनेमा आपके मनोरंजन के लिए है, एक हद से ज्यादा उसे गंभीरता से नहीं लेना चाहिए।

    रीमेक फिल्मों का चलन कैसे देख पा रहे हैं? पिछली कुछ रीमेक फिल्में बाक्स आफिस पर नहीं चली हैं...

    मैंने जब ‘कबीर सिंह’ की थी तो हमने उसकी जेराक्स कापी नहीं बनाई थी। ‘कबीर सिंह’ ने मूल फिल्म से 10 गुना बिजनेस किया था। वैसे अब मुझे रीमेक नहीं करनी। मैं कुछ फ्रेश कहानी करना चाहूंगा। हालांकि देखा जाए तो अभी तीन-चार साल में जो फिल्में चली हैं, उनमें अल्फा हीरो है, एग्रेसिव हीरो है, उन सबका कोर तो सब सलीम-जावेद की फिल्मों का है।