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    Main Mulayam Singh Yadav: अब 'नेताजी' की ज़िंदगी बड़े पर्दे पर, रिलीज़ हुआ बायोपिक का मोशन पोस्टर

    By Manoj VashisthEdited By:
    Updated: Tue, 21 Apr 2020 01:16 PM (IST)

    Main Mulayam Singh Yadav Biopic मैं मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश की डर्टी पॉलिटिक्स और मुलायम सिंह यादव के संघर्ष को बड़े पर्दे पर पेश करेगी। अमित सेठी शीर्षक भूमिका में हैं।

    Main Mulayam Singh Yadav: अब 'नेताजी' की ज़िंदगी बड़े पर्दे पर, रिलीज़ हुआ बायोपिक का मोशन पोस्टर

    नई दिल्ली, जेएनएन। बॉलीवुड में इस वक़्त कई सियासी बायोपिक फ़िल्मों का दौर चल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, शिव सेना सुप्रीमो बाला साहब ठाकरे और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बाद अब बारी है उत्तर प्रदेश की राजनीति के दिग्गज रहे पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की, जिन्हें पार्टी के अंदर आदर और प्यार से नेताजी कहा जाता है। मुलायम सिंह यादव की इस बायोपिक फ़िल्म का शीर्षक है मैं मुलायम सिंह यादव। फ़िल्म का मोशन पोस्टर रिलीज़ कर दिया गया है। 

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    फ़िल्म का निर्माण मीना संठी मंडल ने किया है, जबकि निर्देशन सुवेंदु राज घोष का है। फ़िल्म में अमित सेठी नेताजी के रोल में दिखायी देंगे। मेकर्स का दावा है कि मैं मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश की डर्टी पॉलिटिक्स और मुलायम सिंह यादव के संघर्ष को बड़े पर्दे पर पेश करेगी, जिसमें उन्होंने एक किसान पुत्र स प्रदेश के मुख्यमंत्री तक का सफ़र तय किया था। 

    पहलवान बनाना चाहते थे पिता

    मैं मुलायम सिंह यादव 14 अगस्त को रिलीज़ होने वाली है। मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के इटावा ज़िले के सैफई गांव में जन्मे थे। किसी दौर में उत्तर प्रदेश की राजनीति में मुलायम सिंह का ज़बर्दस्त रसूख़ था। देश के सबसे बड़े सूबे की राजनीति ने मुलायम को राष्ट्रीय स्तर पर भी काफ़ी अहमियत दिलायी थी। साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले मुलायम सिंह यादव के पिता उन्हें पहलवान बनाना चाहते थे। मगर, मुलायम सिंह यादव की क़िस्मत में कुछ और बनना लिखा था।

    एक दंगल ने बदली ज़िंदगी

    एक दंगल के दौरान स्थानीय नेता नाथूराम ने छोटे से लड़के को देखा जो अपने क़द से दोगुने पहलवानों को धूल चटा रहा था। इस लड़के की इच्छाशक्ति से प्रभावित होकर नाथूराम ने उसे राजनीति में आने का मौक़ा दिया। यह लड़का आगे चलकर कद्दावर नेता मुलायम सिंह यादव बना। नाथूराम ने ही उन्हें डॉ. राम मनोहर लोहिया से मिलवाया था और करहल में टीचर की नौकरी का भी इंतज़ाम किया। मुलायम सिंह यादव के सियासी करियर को परवान चढ़ाने में नाथूराम, राम मनोहर लोहिया और चौधरी चरण सिंह का बड़ा हाथ था। इमरजेंसी के दौरान मुलायम सिंह 19 महीने जेल में भी रहे थे।