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    कोरोना काल में मददगारों की कहानी बताने वाली रिचा चड्ढा बोलीं- 'याद रहेगा ये जज्बा', पर्सनल लाइफ को लेकर भी की बात

    गैर पारंपरिक किरदारों के जरिए फिल्म इंडस्ट्री में अलग नाम कमाया है रिचा चड्ढा ने। इन दिनों वे अपने इंस्टाग्राम पेज पर कोरोना काल में आगे आने वाले मददगारों की कहानी बताने में जुटी हैं और सकारात्मकता फैला रही हैं।

    By Pratiksha RanawatEdited By: Updated: Sun, 04 Jul 2021 03:16 PM (IST)
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    रिचा चड्ढा की तस्वीर, फोटो साभार: Instagram

     दीपेश पांडेय, मुंबई। गैर पारंपरिक किरदारों के जरिए फिल्म इंडस्ट्री में अलग नाम कमाया है रिचा चड्ढा ने। इन दिनों वे अपने इंस्टाग्राम पेज पर कोरोना काल में आगे आने वाले मददगारों की कहानी बताने में जुटी हैं और सकारात्मकता फैला रही हैं। दीपेश पांडेय के साथ उन्होंने साझा किए जज्बात...

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    अभिनेत्री रिचा चड्ढा ने हाल ही में इंस्टाग्राम पर द काइंड्री नामक पहल की शुरुआत की है। इसके तहत वह कोरोना काल में जरूरतमंदों की नि:स्वार्थ मदद करने वाले व्यक्तियों की प्रेरक कहानियां इंटरनेट मीडिया के माध्यम से लोगों के सामने ला रही हैं। इस मुहिम की शुरुआत के बारे में रिचा कहती हैं, 'कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर जब चरम पर थी, तो हर तरफ से नकारात्मक खबरें आ रही थीं। ऐसे माहौल में लोगों का आत्मविश्वास कम हो रहा था, तो मैंने इस पहल के जरिए लोगों के सामने पॉजिटिव स्टोरीज लाने की कोशिश की। इसका उद्देश्य सिर्फ इतना था कि लोगों को पता चले कि हमारे आस-पास ऐसे बहुत से लोग हैं, जिनके पास ज्यादा पैसे या संसाधन नहीं हैं, लेकिन वे लोगों की सेवा कर रहे हैं।'

    आगे रिचा ने कहा, 'इस पहल के दौरान मुझे भोपाल में रिक्शा चलाने वाले जावेद खान नामक एक शख्स के बारे में पता चला। उनके पास ज्यादा पैसे नहीं हैं, लेकिन उन्होंने पत्नी के गहने बेचकर आक्सीजन सिलेंडर का प्रबंध किया और एक डॉक्टर तथा कुछ अन्य लोगों के साथ मिलकर मरीजों को आक्सीजन देने का प्रशिक्षण लिया। उसके बाद अपने रिक्शा में ही जरूरतमंद लोगों को मुफ्त आक्सीजन सेवा उपलब्ध कराई। ऐसे लोगों को दुनिया के सामने लाना जरूरी था। मेरा अपना ऐसा कोई वजूद नहीं है कि लोगों को प्रेरित कर सकूं, लेकिन यह काम करते हुए मैं ऐसे लोगों से प्रेरणा जरूर ले रही हूं। किसी अमीर शख्स द्वारा किए दान की जगह, ऐसे लोगों के बारे में बात की जानी जरूरी है।'

    बेमिसाल है यह ममता

    कोरोना काल में तमाम नकारात्मकताओं के बीच ऐसे अन्य कई बेहतरीन मानवीय पहलू भी सामने आए। एक उदाहरण के बारे में रिचा बताती हैं, 'असम में एक महिला हैं रोनिता शर्मा, जिनका अपना नवजात शिशु है। जब उन्होंने देखा कि कोरोना के कारण कई नवजातों ने अपनी मां को खो दिया तो उन्होंने इंटरनेट मीडिया के माध्यम से गुवाहाटी और आस-पास के इलाकों में ऐसे नवजात बच्चों को अपना दूध उपलब्ध कराने का प्रस्ताव दिया। उनकी बातें सुनकर मुझे मनमोहन देसाई की फिल्में याद आ गईं, जिनमें मानवीय कहानियां होती थीं और वे लोगों को भी प्रेरित करती थीं। कोरोना काल में सामने आई ऐसी दिल छू जाने वाली कहानियों के पीछे जो जज्बा है, वह मुझे जीवन में हमेशा याद रहेगा।'

    हो गई नई शुरुआत

    रिचा ने हाल में अपने बॉयफ्रेंड अली फजल के साथ मिलकर अपनी प्रोडक्शन कंपनी भी शुरू की है। इसके अंतर्गत बनने वाले प्रोजेक्ट्स के बारे में वह बताती हैं, 'अभी तो हमने प्रोडक्शन का काम शुरू किया है। अभी तक सिर्फ एक फिल्म की स्क्रिप्ट चुनी है, जिसका नाम है -‘गर्ल विल बी गर्ल’। इसके अलावा अली की भी एक फिल्म है, जिसमें वह कुछ क्रिएटिव योगदान भी दे रहे हैं। अभी इनका प्री-प्रोडक्शन चल रहा है और शूटिंग शुरू होने में काफी समय है, क्योंकि इसके लिए हमारी कुछ शर्ते हैं और फिल्म शुरू करने के लिए हमें अलग-अलग जगहों से काफी मदद भी चाहिए।'

    बस गलतियों से सीखा है

    रिचा की फिल्म ‘गैंग्स आफ वासेपुर’ की रिलीज को हाल ही में नौ वर्ष पूरे हुए हैं। इस फिल्म के बाद भी ‘फुकरे’, ‘सरबजीत’ और ‘मैडम चीफ मिनिस्टर’ जैसी फिल्मों के गैर पारंपरिक किरदारों को चुनने पर रिचा कहती हैं, ‘मैं जब इंडस्ट्री में आई थी तो कुछ पता नहीं था कि किस तरह की फिल्में करनी चाहिए। इंडस्ट्री में कोई गाडफादर नहीं था। अभी भी ऐसा नहीं है कि लोग मुझे ज्यादा फिल्मी पार्टियों में बुलाते हैं और चर्चा करते हैं कि हमें फलां काम करना चाहिए। हम जैसे कलाकार अपनी गलतियों से ही सीखते हैं। मैं जब इंडस्ट्री में आई थी तो लगा कि ‘गैंग्स आफ वासेपुर’ बहुत बढ़िया फिल्म है, इसका हिस्सा बनना चाहिए। तब दिमाग में ऐसी चीजें नहीं थीं कि नाच-गाने वाली या फिर रोमांटिक फिल्में ही करनी चाहिए। ‘गैंग्स आफ वासेपुर’ अच्छी बनी, उसकी कहानी अच्छी थी और अनुराग कश्यप जैसे निर्देशक के साथ काम करना तो हर कलाकार का सपना होता है। आपके पहले के काम देखकर निर्माता भी आपको इस नजरिए से देखते हैं कि यह अभिनेत्री रिस्क लेगी या फिर अलग-अलग प्रयोग करना पसंद करेगी। बतौर अभिनेत्री ज्यादातर गैर-पारंपरिक किरदारों को निभाना मेरी कोई सोची-समझी योजना नहीं रही है। जब आप प्रयोग करना चाहते हैं और निर्माता भी आपके पास उसी तरह के प्रोजेक्ट लाएं तो दोनों चीजों के एक साथ आने के बाद ऐसी चीजें अपने आप होती चली जाती हैं।’ रिचा आगामी दिनों में ‘फुकरे-3’ और ‘अभी तो पार्टी शुरू हुई है’ जैसी फिल्मों में नजर आएंगी।