Raza Murad ने ओटीटी पर सेंसरशिप को लेकर उठाए सवाल, बोले- बच्चे जो देखते हैं वही सीखते हैं
रजा मुराद (Raza Murad) को बॉलीवुड में उनके नेगेटिव किरदार के लिए खूब पसंद किया गया। हाल ही में उन्होंने ओटीटी कंटेंट और उस पर परोसी जा रही गंदगी पर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि मेरे हिसाब से ओटीटी प्लेटफॉर्म पर सेंसरशिप होनी ही चाहिए। ओटीटी पर बहुत सा ऐसा कंटेंट मौजूद है जोकि बिना जांच के नहीं जाना चाहिए।

एंटरटेनमेंट डेस्क,नई दिल्ली। फिल्मों में आपत्तिजनक सीन होने पर सेंसरशिप की कैंची चल जाती है। हालांकि ओटीटी पर ऐसा नहीं है। इस पर कोई भी कंटेंट बिना जांच के निकल जाता है। अब हाल ही में दिग्गज अभिनेता रजा मुराद ने ओटीटी पर सेंसरशिप को लेकर बात की है।
ओटीटी पर सेंसरशिप होना जरूरी
एएनआई से हुई बातचीत में रजा मुराद ने सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा के लिए कंटेंट को रेगुलेट करने और इसके महत्व पर प्रकाश डाला है। एक्टर ने कहा,"मेरी राय में,ओटीटी प्लेटफार्मों पर निश्चित रूप से सेंसरशिप होनी चाहिए। देखिए, सेंसरशिप हवाई अड्डे पर स्क्रीनिंग क्षेत्र की तरह है। सब कुछ इसकी आंखों से होकर गुजरता है।"
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बच्चे इसी से सीख रहे हैं
वहां पर कैमरे और स्कैनर्स लगे होते हैं तो मान लीजिए आप कोई इल्लीगल आइटम लेकर आ रहे हैं, वो तुरंत डिटेक्ट हो जाता है और वहीं पर रोक दिया जाता है। आपको वहां से कस्टम स्क्रूटनी से भी होकर गुजरना पड़ता है। यहां पर हमारे पास सेंसर बोर्ड है जो फिल्म रिव्यू करता है। सेल्फ सेंसरशिप नहीं हो रही है इसलिए इसमें कुछ ऐसे शब्द और सीन्स आ जाते हैं जो बच्चे सीख रहे हैं।
विलेन के किरदार में हुए फेमस
एक्टर ने कहा कि मेरा मानना है कि इस स्वतंत्रता का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है इसलिए सेंसरशिप का होना जरूरी है। अगर वे सीमा पार करते हैं, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।'एक्टर को इंडस्ट्री में उनकी दमदार आवाज और कुछ यादगार विलेन के किरदार के लिए जाना जाता है। उन्होंने साल 1970 में अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की थी। राम तेरी गंगा मैली, प्रेम रोग और पद्मावत उनकी कुछ बेहतरीन फिल्मों में से एक हैं।

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