2018 चर्चित ख़बरें: जब देश में फ़ैली विरोध की आग, पद्मावती से पद्मावत होना है ना याद
साल 2018 के पहले सूर्योदय से करीब 48 घंटा पहले सेंसर बोर्ड ने पांच शर्तों के साथ इस फिल्म को यू/ए सर्टिफिकेट का सर्टिफिकेट दे दिया जिसे बाद में भंसाली ने भी स्वीकार कर लिया।
मुंबई। इस ख़बर की शुरुआत भले ही इस साल से नहीं होती लेकिन अंत 2018 के आगमन के साथ का है। वो ख़बर जिसने देश भर को कई महीनों तक विरोध की आग में झुलसाये रखा। विरोध संस्कृति और इतिहास से छेड़छाड़ करने का और कहानी - पद्मावती से पद्मावत होने की।
जागरण डॉट कॉम रोज़ आपको साल 2018 की चर्चित ख़बरों के बारे में बता रहे है। अब तक मी टू अभियान और श्रीदेवी के निधन का जिक्र किया गया और अब आगे...
दरअसल पद्मावत, अलग अलग कारणों से विरोध के घेरे में आने वाली फिल्मी कुनबे का हिस्सा है। साथ ही भविष्य के लिए भी एक सवाल भी कि आख़िर ऐसा कब तक चलता रहेगा। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बड़ी या विरोधियों की स्वच्छंदता।
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संजय लीला भंसाली हमेशा से ही विवादों से घिरे रहे हैं। अपनी कई फिल्मों को लेकर। इस बार राजपूतों के इतिहास के एक अध्याय के पन्ने उलटने की कोशिश की तो डेढ़ साल तक मुश्किलों से फंसे रहे। साल 2016 के आखिरी महीनों में ही जब भंसाली ने चित्तौड़ के रानी पद्मिनी, उनके पराक्रम और अलाउद्दीन ख़िलजी के राजपूतों के साथ हुए युद्ध पर फिल्म बनाने का ऐलान किया था, विरोध की सुगबुगाहट होने लगी थी।
राजपूत संगठन और ख़ासकर श्रीराजपूत करणी सेना शुरू से ही ख़िलाफ़ थी लेकिन इस बीच भंसाली ने दीपिका पादुकोण (रानी पद्मिनी), रणवीर सिंह (अलाउद्दीन ख़िलजी ) और शाहिद कपूर (महरावल रतन सिंह ) को लेकर शूटिंग शुरू कर दी। इसी दौरान पद्मावती के फिल्मसिटी स्थित सेट पर ऊंचाई से गिरने से एक पेंटर मुकेश डाकिया की मौत हो गई थी। भंसाली ने 21 लाख की मदद दी।
"कहानी वही 13वीं शताब्दी की है, जिसमें खिलजी वंश का शासक जलालुद्दीन खिलजी दिल्ली जीतने की योजना बनाता है और उसका भतीजा अलाउद्दीन, चाचा को ही मार कर दिल्ली का सुल्तान। मेवाड़ के राजा महारावल रतन सिंह, सिंघल द्वीप की राजकुमारी पद्मिनी से ब्याह कर उसे चित्तौड़ लाते हैं। इसके बाद शुरू होती है असली कहानी। महारावल को छल से बंदी बनाने की, रानी पद्मिनी के सौन्दर्य पर अपने पौरुष के इगो को साबित करने और दरिंदगी की सीमाओं में सब कुछ समेट कर वर्चस्व दिखाने की। "
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फिर भंसाली पद्मावती की शूटिंग के लिए जयपुर पहुंचे जहाँ आमेर के किले में करणी सेना ने सेट पर काफी हंगामा किया था। शूटिंग उपकरणों को तोड़ा और भंसाली के साथ धक्का-मुक्की की। इसके बाद भंसाली क्रू के साथ मुंबई लौट आए। पद्मावती के शूटिंग के लिए कोल्हापुर के मसई पठार इलाके में शुरू की गई लेकिन एक रात दो बजे कुछ लोगों का एक समूह पद्मावती के सेट पर पहुंचा। लोग लाठी-डंडों से लैस थे। सेट पर पहले तोड़फोड़ की गई और फिर आग लगा दी गई। कई कीमती सामान के चोरी होने की रिपोर्ट लिखवाई गई।
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विरोध ने जोर पकड़ा लेकिन मुंबई में फिल्म की शूटिंग जारी रही और इसी बीच 17 नवंबर 2017 को फिल्म रिलीज़ की घोषणा ने आग में घी का काम किया । प्रदर्शन , तोड़फोड़ , पोस्टरों को फाड़ना और जलाना जारी रहा। रानी पद्मिनी की सूरत के एक मॉल में बनाई गई रंगोली तक को नष्ट कर दिया गया। दीपिका पादुकोण की नाक काटने और भंसाली का सिर कलम करने तक की धमकी दी गई। भंसाली पर दाऊद इब्राहिम के पैसे से फिल्म बनाने का आरोप लगाया गया।
'दोहराता हूं सुनो रक्त से लिखी हुई कुर्बानी, जिसके कारण मिट्टी भी चंदन है राजस्थानी... कुमार विश्वास
सुप्रीम कोर्ट में एक बार नहीं कई बार पद्मावती की रिलीज़ पर रोक लगाने के लिए याचिकाएं दाखिल की गईं लेकिन अदालत ने हर बार कहा कि केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सेंसर बोर्ड) ही इस फिल्म का भविष्य तय करेगा। गुजरात, राजस्थान, मध्र्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश सहित छह राज्यों ने फिल्म को दिखाने से मना कर दिया। इसी बीच गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा के चुनाव आ गए और ये लगभग तय हो गया कि चुनावों के बाद ही इस फिल्म को रिलीज़ किया जाएगा।
उधर मामला संसद तक जा पहुंचा है। लोकसभा की समिति ने सूचना व प्रसारण मंत्रालय के साथ सेंसर बोर्ड से रिलीज़ से पहले जवाब माँगा। सेंसर प्रमुख प्रसून जोशी और भंसाली समिति के सामने पेश हुए। भंसाली ने कहा कि उनकी फिल्म पद्मावती की कहानी इतिहास की कहानी पर आधारित नहीं है, बल्कि यह मलिक मोहम्मद जायसी की कविता पर आधारित है।
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साल 2018 के पहले सूर्योदय से करीब 48 घंटा पहले सेंसर बोर्ड ने पांच शर्तों के साथ इस फिल्म को यू/ए सर्टिफिकेट का सर्टिफिकेट दे दिया जिसे बाद में भंसाली ने भी स्वीकार कर लिया। ये शर्तें थीं -
1- स्पष्ट रूप से ये डिस्क्लेमर डाला जाय कि फिल्म में सती प्रथा को महिमा मंडित नहीं किया जा रहा है।
2- फिल्म के गाने ' घूमर ' में भी बदलाव किये जाए ताकि वो रानी पद्मिनी की छवि को ख़राब न करे और न ही इससे जनभावनाएं आहत हों।
3- ये फिल्म काल्पनिक है, इसका स्पष्ट डिसक्लेमर दिया जाय।
4- उन ऐतिहासिक तथ्यों को बदला जाय जिससे भ्रामक संदेश जाता है।
5- फिल्म का नाम पद्मावत करना होगा, क्योंकि निर्माता ने कहा है कि ये जायसी की पद्मावत पर आधारित है।
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इसके बाद नए सिरे से पद्मावती को पद्मावत में बदल कर फिल्म को 25 जनवरी को रिलीज़ करने की घोषणा की गई। उसी दिन पैड मैन रिलीज़ करने की भी घोषणा की गई थी लेकिन अक्षय और भंसाली ने आपस में बातचीत की और अक्षय ने अपनी फिल्म की रिलीज़ डेट 9 फरवरी को करने के साथ पद्मावत का रास्ता साफ़ कर दिया। पर विरोध भी भी जारी थे। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने 6 राज्य सरकारों द्वारा फिल्म पर लगाये बैन को निरस्त करते हुए फिल्म की रिलीज़ का रास्ता साफ़ कर दिया है।
पद्मावत ने घरेलू बॉक्स ऑफ़िस पर 19 करोड़ रूपये से ओपनिंग ली जिसमें एक दिन पहले के पांच करोड़ रूपये के पेड प्रीव्यू को लेकर 24 करोड़ रूपये का कलेक्शन हुआ। फिल्म को 302 करोड़ 15 लाख रूपये का लाइफ टाइम कलेक्शन मिला।