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श्रीदेवी के निधन से राम गोपाल वर्मा हुए विचलित, उनका दर्द आपको भी रुला देगा

मैं श्रीदेवी से नफरत करता हूं, मैं उनसे इसलिए नफरत करता हूं कि उन्होंने यह अहसास दिला दिया कि वो भी एक मनुष्य ही थीं।- राम गोपाल वर्मा

By Hirendra JEdited By: Published: Sun, 25 Feb 2018 12:47 PM (IST)Updated: Thu, 01 Mar 2018 08:13 AM (IST)
श्रीदेवी के निधन से राम गोपाल वर्मा हुए विचलित, उनका दर्द आपको भी रुला देगा
श्रीदेवी के निधन से राम गोपाल वर्मा हुए विचलित, उनका दर्द आपको भी रुला देगा

मुंबई। श्रीदेवी के आकस्मिक निधन से बॉलीवुड ही नहीं सारा देश सदमे में है। हर तरफ शोक की लहर है। सब अपने-अपने तरीके से इस महान अभिनेत्री को याद कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर श्रीदेवी के लिए शोक संदेश का सैलाब उमड़ा हुआ है। लेकिन, इन सबके बीच फ़िल्म डायरेक्टर राम गोपाल वर्मा श्रीदेवी के निधन पर बेहद भावुक नज़र आ रहे हैं! 

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राम गोपाल वर्मा ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर श्रीदेवी के प्रति अपनी भावनाएं व्यक्त की हैं। उनके ट्वीट पढ़कर कोई भी समझ सकता है कि राम गोपाल वर्मा को श्रीदेवी के निधन से भारी सदमा लगा है। अबसे कुछ देर पहले रामू ने ट्वीट करते हुए बताया कि 'चाल बाज़' फ़िल्म से श्रीदेवी पर फ़िल्माये इस गीत को उन्होंने हज़ार बार देखा है और वो उनकी खूबसूरती के करिश्मे से बाहर नहीं आ पा रहे हैं! 

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एक और ट्वीट में राम गोपाल वर्मा ने श्रीदेवी के लिए जिस तरह की बातें मीडिया में हो रही हैं उनपर गहरा दुःख जताया है। रामू के मुताबिक कल तक लोग उनकी खूबसूरती की बात कर रहे थे और आज उनके खून में शराब और फेफड़े में पानी की चर्चा कर रहे हैं!  

ज़ाहिर है राम गोपाल वर्मा अपने इमोशन पर कंट्रोल नहीं कर पा रहे हैं। राम गोपाल वर्मा को अभी भी यकीन नहीं हो रहा कि श्रीदेवी अब इस दुनिया में नहीं हैं! आपको बता दें कि राम गोपाल वर्मा ने श्रीदेवी से अपनी पहली मुलाक़ात से लेकर तमाम अनुभव शेयर करते हुए एक चिट्ठी भी लिखी है जिसका पूरा हिंदी रूपांतरण आप यहां पढ़ सकते हैं-

"मेरी यह पुरानी आदत है कि मैं रात में कई बार सपने देखते हुए जाग जाता हूं और इस बीच अपना मोबाइल भी चेक करता रहता हूं। इसी दौरान रात को मैंने एक मैसेज पढ़ा कि श्री देवी अब हमारे बीच नहीं हैं। मुझे लगा यह कोई सपना है या फिर किसी ने कोई अफवाह उड़ाई है। यह सोच कर मैं फिर सो गया। लगभग एक घंटे के बाद फिर जब मैं जगा तो ऐसे पचासों संदेश थे जिसमें यह बताया गया कि श्री देवी अब हमारे बीच नहीं हैं और उनका निधन हो गया है। 

मुझे याद आता है जब मैं विजयवाड़ा में इंजीनियरिंग कॉलेज में था। तब मैंने पहली बार उनकी तेलुगु फ़िल्म देखी थी- 'Padaharella Vayasu'। मैं उनकी खूबसूरती देख कर दंग रह गया। जब मैं थियेटर से निकला तो ऐसा लगा जैसे वो वास्तविक में नहीं हैं बल्कि किसी कल्पना ने मानो मानव शरीर धारण कर लिया है। उसके बाद मैंने उनकी कई फ़िल्में देखीं। उनकी खूबसूरती और टैलेंट का गहरा असर मुझ पर पड़ा। मेरे लिए वो ऐसी ही हैं कि जैसे किसी और दुनिया से वो हमारी दुनिया में हम सबके अच्छे कामों का फल देने के लिए आई हैं।

वह ईश्वर की एक ऐसी अनमोल रचना थीं जिसे उन्होंने एक स्पेशल मूड में बनाया था और वो मनुष्यता के लिए ईश्वर का एक विशेष उपहार बन कर आई थीं। श्रीदेवी के साथ मेरी यात्रा तब शुरू हुई जब मैं अपनी पहली फ़िल्म 'शिवा' की तैयारी कर रहा था। मैं तब नागार्जुन के चेन्नई वाले दफ्तर के बगल वाली गली में जाया करता जहां उन दिनों श्रीदेवी रहा करती थीं और गेट के बाहर से ही उनके घर को घंटों देखा करता।

मुझे यह बिल्कुल भी विश्वास नहीं होता कि सौंदर्य की यह देवी इस बेकार से घर में रहती हैं। मैं इस घर को बेकार इसलिए कह रहा हूं क्योंकि मेरा मानना था कि ऐसा कोई भी मानव निर्मित मकान हो ही नहीं सकता जो श्रीदेवी के रहने लायक बनाया जा सके। उनके घर के बाहर खड़ा मैं उनकी एक झलक देखने के लिए आतुर रहता पर वो कभी नज़र नहीं आईं। और जब मेरी फ़िल्म 'शिवा' रिलीज़ हुई और एक बड़ी हिट साबित हुई तब एक फ़िल्म निर्माता मेरे पास आये कि क्या मैं श्रीदेवी के साथ एक फ़िल्म बनाना चाहूंगा? मैंने कहा आप पागल हैं क्या? मैं उनकी एक झलक देखने के लिए अपनी जान तक दे सकता हूं।  हां, हम फ़िल्म बनाते हैं!

उन्होंने श्रीदेवी से एक मीटिंग तय की और हम उसी घर में उनसे मिलने पहुंचे जिसके बाहर खड़े होकर मैं घंटों उनको देखने की कोशिशें करता रहा हूं। संयोग से उस दिन बिजली चली गई थी और उनके लिविंग रूम में बैठे मोमबत्ती की रोशनी में हम उस एंजेल का इंतज़ार कर रहे थे। मेरा दिल पागलों की तरह धड़क रहा था। श्री देवी की मॉम ने बताया कि वो अपना बैग पैक कर रही हैं क्योंकि उन्हें अभी ही मुंबई के लिए निकलना है। जब हम उनका इंतज़ार कर रहे थे और वो बैग पैक के लिए अपने घर के इस कमरे से उस कमरे तक जातीं तो बीच-बीच में हमारी तरफ देखकर देरी के लिए क्षमा-याचना करने के अंदाज़ में मुस्कुरा देतीं। हम और हमारे प्रोड्यूसर उनको एक-टक मंत्रमुग्ध देख रहे थे! 

अंततः वो लिविंग रूम में आईं और हमारे पास बैठीं। उन्होंने कुछ बातें ही कहीं कि वो ज़रूर चाहेंगी कि वो मेरी फ़िल्म में काम करें और फिर वो मुंबई के लिए निकल गईं। मैं उनके जाने के बाद भी वहां बैठा रहा और उनकी मां से बात करता रहा। मेरे लिए श्रीदेवी की मॉम के लिए अपार सम्मान का भाव था कि उन्होंने श्रीदेवी को जन्म दिया है! उसके बाद मैं अपने घर पहुंचा तो ऐसा लगा जैसा मैं सातवें आसमान पर हूं। जिस अंदाज़ में श्रीदेवी मोमबत्ती की रोशनी में मेरे सामने बैठी थीं वो किसी पेंटिंग की तरह मेरे दिमाग में छप चुका था! दिलो-दिमाग में उनकी यह छवि लिए मैं अपनी फ़िल्म 'Kshana Kshanam' की कहानी लिखने लगा।

मैं 'Kshana Kshanam' यही सोचकर लिख रहा था कि मुझे इस कहानी से श्रीदेवी को इम्प्रेस करना है। 'Kshana Kshanam'  दरअसल श्रीदेवी के नाम मेरे प्रेम पत्र की तरह था। 'Kshana Kshanam' बनाने के दौरान मैं अपनी नज़रें उनकी खूबसूरती, व्यक्तित्व और करिश्मे से हटा नहीं पाता था। मैंने श्रीदेवी का एक नया रूप देखा। उनके आस-पास एक अदृश्य दीवार हमेशा रहती जिसके पार जाने की इजाज़त वो किसी को नहीं देतीं। वो अपने आत्म-सम्मान और मर्यादा के घेरे में किसी को प्रवेश करने नहीं देतीं। उनके साथ काम करते हुए और उनके अभिनय की तकनीक को गौर से देखते हुए एक डायरेक्टर के रूप में भी मैंने बहुत कुछ सीखा।

किरदार और अभिनय की बारीकियां मैंने उनसे सीखीं। मेरे लिए वो सिनेमाई अभिनय की एक मिसाल हैं! उनका स्टारडम और लोकप्रियता ऐसा कि विश्वास करना मुश्किल है। जब हम नंदयाल में Kshana Kshanam की शूटिंग कर रहे थे तो पूरा शहर उनको देखने के लिए जमा हो गया था। बैंक, सरकारी संस्थान, स्कूल, कॉलेज   सब बंद थे और पूरा शहर उनको देखने के लिए आ गया था। उस दौरान वो नंदयाल में जिस बंगले में रह रहीं थीं, मैं उनके बंगले के पास ही दूसरे बंगले में रह रहा था। बीस हज़ार से भी ज्यादा लोग उनके बंगले के बाहर उनकी एक झलक पाने के इंतज़ार में खड़े रहते।

पचास से ज्यादा गार्ड और सौ से ज्यादा मजबूत पुलिसकर्मी हमेशा श्रीदेवी की सुरक्षा में उनके बंगले के बाहर तैनात रहते। जब श्रीदेवी अपने बंगले से शूटिंग लोकेशन के लिए निकलतीं तो हमें मालूम हो जाता। क्योंकि हम देख पाते कि हवा में काफी धूल उड़ने लगी है और ये धूल इसलिए क्योंकि श्रीदेवी की कार के पीछे हजारों लोग दौड़ रहे होते जिससे यह धूल आसमान में उड़ने लगती थी! ऐसा सुपरस्टार मैंने नहीं देखा और अब वो हमारे बीच नहीं हैं ! श्रीदेवी ईश्वर की एक ऐसी अमूल्य कृति थीं जो वो हजारों साल में एक बार ही बनाते हैं।

अब जबकि वो हमारे बीच नहीं हैं हम निर्देशकों के लिए यह एक उपलब्धि है कि हमने उन्हें कैमरे में कैद किया है और हमारी सिनेमा की यह एंजेल अब एक डिवाइन एंजेल बन गयी हैं। मैं ईश्वर का धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने श्रीदेवी की रचना की और मैं Louis Lumiere का भी आभारी हूं जिन्होंने मूवी कैमरे की खोज की थी और हमें मौका दिया कि हम श्रीदेवी को अपने फ़िल्मों में उतार सके।

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मुझे बिल्कुल भरोसा नहीं हो रहा कि वो अब हमारे बीच नहीं हैं। काश ये एक बुरा सपना होता! पर ऐसा नहीं है। मैं उनकी यादों में खोया हुआ हूं! मैं श्रीदेवी से नफ़रत करता हूं.. मैं उनसे इसलिए हेट करता हूं कि उन्होंने यह अहसास दिला दिया कि वो भी एक मनुष्य ही थीं। मुझे इस बात से भी नफ़रत है कि उनके दिल को भी ज़िंदा रहने के लिए धड़कनों की ज़रूरत थी। मुझे हेट है कि उनके पास भी एक ऐसा ही दिल था जो कभी भी धड़कना बंद कर देगा। मुझे नफ़रत है कि मैं उनके निधन के संदेश पढ़ने के लिए जीवित हूं। उनकी जान लेने के लिए मुझे ईश्वर से भी आज नफ़रत हो रही है और यूं मर जाने के लिए मैं श्रीदेवी से भी हेट कर रहा हूं। मैं आप से बेहद प्यार करता हूं श्री, चाहे आप जहां कहीं भी रहे!"

-राम गोपाल वर्मा 

इस चिट्ठी के अलावा राम गोपाल वर्मा ने श्रीदेवी के नाम एक प्रेम पत्र भी लिखा है जो आप नीचे पढ़ सकते हैं! इस लव लेटर में वर्मा लिखते हैं, जिसमें उन्होंने श्रीदेवी से जुड़े कुछ और अनुभव भी शेयर किये हैं! वर्मा लिखते हैं कि वो श्रीदेवी पर बिना रुके हुए लगातार लिख सकते हैं लेकिन, फिलहाल उनके आंसू उन्हें लिखने से रोक रहा है! 


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