खराब हालातों के कारण जिंदगी से निराश हो गए थे Rajinikanth, एक सपने ने बना दिया साउथ का 'भगवान'
हिंदी और साउथ सिनेमा के सुपरस्टार रजनीकांत का स्टाइल सबसे यूनिक है। साउथ ऑडियंस तो अभिनेता को भगवान की तरह पूजती है। जब भी उनकी कोई फिल्म रिलीज होती है तो सेलिब्रेशन का माहौल बन जाता है। हालांकि स्टारडम से पहले वह अपनी घुटन भरी जिंदगी से बहुत ही परेशान हो गए थे लेकिन एक सपने ने उनकी लाइफ को बदल कर रख दिया। क्या है ये किस्सा जानते हैं
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। 'सपने में चाहे जितनी भी तकलीफ हो, आंखे खुलते ही सारी तकलीफ मिट जाती है...' रजनीकांत के इस डायलॉग से कुछ मिलती-जुलती रही है उनकी जिंदगी। सुपरस्टार ने सिगरेट पकड़ने से चश्मा लगाने के तरीके और गले में रूमाल डालने तक, अपने अनोखे स्टाइल से फैंस के दिलों में अलग जगह बनाई है। उनके चाहने वालों की लिस्ट काफी लंबी है। साउथ ऑडियंस जहां थलाइवा स्टार रजनीकांत को भगवान की तरह पूजती है, तो वहीं बॉलीवुड में भी उनके चाहने वाले उनके स्टाइल को कॉपी करने में कोई कसर नहीं छोड़ते।
रजनीकांत की जिंदगी हमेशा से ऐसी चकाचौंध वाली नहीं थी। फिल्म इंडस्ट्री में आने से पहले उन्होंने कुली से लेकर बस कंडक्टर के साथ-साथ कई नौकरियां की। एक समय पर अपने संघर्षों से लड़ते-लड़ते रजनीकांत इतना परेशान हो गए थे कि वह अपनी जिंदगी खत्म करना चाहते थे। हालांकि, एक सपने ने न सिर्फ उनकी जिंदगी बचाई, बल्कि संघर्षों से लड़ने की हिम्मत भी थी। उन्होंने अपने सपने में किसे देखा, जिससे उनकी किस्मत के सितारे चमक उठे, आज हम आपको रजनीकांत के 74वें जन्मदिन पर बताएंगे वो किस्सा:
परिवार पालने के लिए रजनीकांत ने कभी कुली बनकर उठाया सामान
12 दिसंबर 1950 को जन्मे शिवाजी राव गायकवाड से लेकर रजनीकांत बनने तक का उनका सफर काफी चुनौतियों से भरा रहा है। साल 1992 में रजनीकांत की पत्नी लता ने सिंगापुर में एक म्यूजिकल इवेंट का आयोजन किया था। इस इवेंट में ही थलाइवा ने अपने संघर्ष के बारे में बताया था।
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सुपरस्टार ने बताया कि गरीबी की वजह से उन्होंने कभी ऑफिस ब्वॉय का काम किया, तो कभी लोगों का कुली बनकर सामान ढोया। बाद में वह कारपेंटर की नौकरी करने लगे। इस इवेंट में लाखों लोगों के सामने उन्होंने उस समय को याद कर कहा कि गरीबी क्या होती है ये बात वह बहुत ही अच्छी तरह से जानते हैं।
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गरीबी की घुटन से मिटाना चाहते थे खुद की जिंदगी
इस इवेंट में ही 'वैट्टेयन' एक्टर ने ये भी बताया था कि उनमें हमेशा से ही अमीर बनने की एक ललक थी, जिसकी वजह से वह किसी भी चीज से नहीं डरे। उन्होंने कहा कि गरीबी झेलते हुए एक समय उनकी जिंदगी में ऐसा भी आया जब वह इतना डर गए थे कि उनके मन में खुद को खत्म करने का ख्याल आया। तभी उनकी जिंदगी में कुछ ऐसा हुआ, जिसकी वजह से उन्होंने अपना निर्णय बदल दिया।
एक सपने की वजह से ही मिली जीने और कुछ कर दिखाने की वजह
रजनीकांत ने आगे बताया कि जब उनके मन में ये ख्याल आ रहा था, तभी आसपास के कुछ लोग भगवान की पूजा कर रहे थे। उसी रात को उन्हें नदी के पास खड़े सफेद दाढ़ी वाला कोई दिखाई दिया। वह गॉडमैन उन्हें पास बुला रहे थे और रजनीकांत बिना स्विम किए उनकी तरफ दौड़कर गए।
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जब अगले दिन अभिनेता नींद से उठे तो उन्होंने गॉडमैन के बारे में लोगों से पूछताछ की और तब उन्हें पता चला कि वह हिंदू विद्वान, धर्मशास्त्री और संत श्री राघवेंद्र जी हैं। रजनीकांत उनके मठ के पास गए और उन्होंने धनवान बनने की इच्छा व्यक्त करते हुए प्रार्थना की। इस सपने के बाद अभिनेता ने गुरुवार के व्रत रखने शुरू कर दिए। वहां से उनके जीवन में बदलाव होना शुरू हुआ। उन्होंने बस कंडक्टर की नौकरी की और इंस्टीट्यूट ज्वाइन कर लिया, जहां निर्देशक बालाचंद्र से उनकी मुलाकात हुई।
1975 में इस तमिल फिल्म से रजनीकांत ने की थी धांसू एंट्री
15 अगस्त 1975 वह साल जब इंडियन फिल्म इंडस्ट्री में एक सुपरस्टार का जन्म हुआ। बालाचंद्र की फिल्म 'अपूर्व रागांगल' से रजनीकांत ने अभिनय की दुनिया में कदम रखा और इसके बाद उन्होंने कभी भी अपनी जिंदगी में पीछे पलटकर नहीं देखा। कन्नड़ से लेकर तेलुगु, मलयालम, हिंदी और इंग्लिश रजनीकांत ने अलग-अलग भाषाओं की फिल्मों में काम किया। श्री राघवेंद्रर उनके करियर की 100वीं फिल्म थी।
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