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    जब Raj Kapoor ने भाई के लिए दिग्गज एक्ट्रेस से की विनती, चला ऐसा जादू, हिट हो गई दोनों की जोड़ी; पढ़ें रोचक किस्सा

    शशि कपूर (Shashi Kapoor) ने करियर में कई सुपरहिट फिल्में भी दी हैं। ‘जब जब फूल खिले’ (Jab Jab Phool Khile) मूवी में उनकी एक्टिंग की खूब सराहना हुई थी। इसमें रोल निभाने वाली अभिनेत्री से राज कपूर (Raj Kapoor) ने एक विनती की थी। आइए उस एक्ट्रेस और फिल्म से जुड़े रोचक किस्से के बारे में खुलकर बात कर लेते हैं।

    By Sahil Ohlyan Edited By: Sahil Ohlyan Updated: Sun, 05 Jan 2025 07:33 AM (IST)
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    शशि कपूर के लिए राज कपूर ने इस एक्ट्रेस से मांगी थी मदद (Photo Credit- Jagran and IMDB)

    अनंत विज, जागरण न्यूज नेटवर्क। फिल्म ‘जब जब फूल खिले’ का क्लाइमैक्स सीन याद करिए। नायिका हीरो को तलाशते हुए रेलवे स्टेशन पहुंचती है। वो गलती से दूसरे प्लेटफार्म पर पहुंच जाती है और ट्रेन उसके सामने से निकल जाती है। वो निराश होती है, लेकिन अचानक अनाउंसमेंट होती है कि पठानकोट जाने वाली गाड़ी प्लेटफार्म नंबर पांच से रात नौ बजकर 40 मिनट पर रवाना होगी। वो भागती हुई पांच नंबर प्लेटफार्म पर पहुंचती है। परेशान हालत में ‘राजा..राजा’ चिल्लाते हुए नायक को ढूंढती है। जैसे ही नायक उसको दिखता है तो ट्रेन चल पड़ती है। वो दरवाजे पर लगे हैंडल को पकड़कर दौड़ती हुई नायक से माफी मांगने लगती है।

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    अपने साथ ले चलने की गुहार लगाती है। ये लंबा सीक्वेंस है। ट्रेन चल रही होती है, नायक खामोशी से अपनी प्रेमिका को देखता रहता है और वो ट्रेन के साथ दौड़ती रहती है। अचानक प्लेटफार्म खत्म होता है और नायक एक्शन में आकर नायिका को ट्रेन के अंदर खींच लेता है।

    नंदा और शशि कपूर की जोड़ी हुई थी हिट

    नायक हैं शशि कपूर और नायिका हैं नंदा। वही नंदा, जो अब तक फिल्मों में बहन या पत्नी की भूमिका निभा रही थीं, इस फिल्म में बिल्कुल ही अलग चुलबुली प्रेमिका की भूमिका में दिखती हैं। फिल्म हिट हो जाती है। शशि कपूर जिनकी फिल्में अब तक निरंतर फ्लाप हो रही थीं, वो रातोंरात स्टार बन जाते हैं। ट्रेन का ये सीक्वेंस बहुत कठिन था और रात दो बजे से सुबह चार बजे के बीच बांबे सेंट्रल स्टेशन पर फिल्माया गया था। नंदा इस सीन को करते हुए बेहद डरी हुई थीं क्योंकि अगर शशि कपूर कुछ सेकेंड से चूकते तो वो ट्रेन के नीचे आ सकती थीं, फिर भी नंदा ने इस सीन को किया।

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    इस वजह से फिल्म के लिए तैयार हुई थीं नंदा

    सवाल खड़ा होता है कि इस सीन के लिए नंदा क्यों तैयार हुई थीं। इसके पीछे दिलचस्प कहानी है। नंदा फिल्म इंडस्ट्री के बड़े प्रोड्यूसर-डायरेक्टर मास्टर विनायक की बेटी थीं। उनका परिवार फिल्म निर्माण से जुड़ा था। वहीं शांताराम नंदा के रिश्तेदार थे। 41 वर्ष की उम्र में मास्टर विनायक का निधन हो गया, तब नंदा की उम्र महज सात वर्ष थी। परिवार चलाने के लिए नंदा को फिल्मों में बाल कलाकार के तौर पर काम करना पड़ा था। बेबी नंदा के नाम से उन्होंने कई फिल्में कीं। नंदा को अभिनेत्री के तौर पर शांताराम ने अपनी फिल्म ‘तूफान और दीया’ में अवसर दिया था। राज कपूर के साथ उन्होंने फिल्म ‘आशिक’ की थी। इसके निर्माण के दौरान राज कपूर से उनकी दोस्ती हो गई। इस बीच उनकी कई सफल फिल्में आईं।

    Photo Credit- IMDB

    जब राज कपूर को पता चला कि ‘जब जब फूल खिले’ में नंदा शशि कपूर की प्रेमिका का रोल कर रही हैं तो वो नंदा के पास पहुंचे। राज साहब ने नंदा का हाथ पकड़कर कहा कि पता चला है कि तुम शशि के साथ काम कर रही हो। आप उससे सीनियर कलाकार हो, प्लीज उसका ध्यान रखना। शशि मेरा भाई नहीं, मेरा बेटा है और असफलता के कारण अंदर से टूटा हुआ है। अगर तुम उसकी मदद करोगी तो वो फिल्म अच्छे से कर पाएगा। राज कपूर की ये बात नंदा के दिल को छू गई।

    ‘जब जब फूल खिले’ के क्लाइमैक्स की बात आई तो कुछ लोगों ने नंदा से कहा कि उनको इस खतरनाक सीक्वेंस के लिए बाडी डबल का उपयोग करना चाहिए। नंदा नहीं मानीं क्योंकि उनको राज कपूर की बात याद थी। इस फिल्म के क्लाइमैक्स का गीत ‘याद सदा रखना ये कहानी, चाहे जीना चाहे मरना’ भले ही फिल्म के प्रेमी-प्रेमिका के बीच हो, लेकिन याद तो सदा नंदा से किया राज कपूर का अनुरोध और नंदा का उसको निभाना भी रहेगा। जब शशि कपूर असफलता का दौर झेल रहे थे तो नंदा ने उनके साथ कई फिल्में कीं।

    Photo Credit- IMDB

    नंदा कर्नाटकी की पॉपुलर फिल्में 

    नंदा का बचपन बहुत संघर्ष में बीता था, इस कारण वो अंतर्मुखी थीं। सेट पर बहुत बातें नहीं करती थीं। उन्होंने विवाह भी नहीं किया। कहा जाता है कि वहीदा रहमान की सलाह पर उन्होंने निर्देशक मनमोहन देसाई के साथ सगाई तो की थी, लेकिन विवाह के पहले और सगाई के दो वर्ष बाद मनमोहन देसाई का घर की छत से गिरकर निधन हो गया। ये तो विधि का विधान ही कहा जाएगा कि नंदा का निधन भी घर की छत से गिरकर ही हुआ। हालांकि दोनों के निधन में दो दशक का अंतराल रहा।

    1952 से लेकर 1983 तक के लंबे कालखंड में नंदा ने कई बेहद सफल फिल्में कीं, जिनमें ‘धूल का फूल’, ‘काला बाजार’, ‘आंचल’, ‘छोटी बहन’ प्रमुख हैं। 1960 से लेकर बाद के कुछ वर्षों तक वो और अभिनेत्री नूतन फिल्म इंडस्ट्री में सबसे अधिक महंगी एक्ट्रेस के तौर पर चर्चित रहीं। उनका किसी फिल्म में होना सफलता की गारंटी माना जाता था। बाल कलाकार से लेकर सह कलाकार से लेकर मेन लीड और फिर सह-कलाकार की दर्जनों भूमिका में नंदा के अभिनय के इंद्रधनुष को देखा जा सकता है।

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