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    Shaheed: 15 मिनट... कहानी उस फिल्म की, जिसे देखने के बाद वक्त भी भूल गये थे लाल बहादुर शास्त्री

    मनोज कुमार की शहीद हिंदी सिनेमा की आइकॉनिक फिल्मो में गिनी जाती है। इस फिल्म में वेटरन एक्टर ने शहीद भगत सिंह का रोल निभाया था। प्रेम चोपड़ा सुखदेव और अनंत मराठे राजगुरु के किरदार में थे। फिल्म के गीत काफी लोकप्रिय हुए थे और आज भी स्वतंत्रता दिवस या गणतंत्र दिवस जैसे मौकों पर खूब गुनगुनाए जाते हैं। फिल्म से जुड़ा मजेदार किस्सा।

    By Manoj Vashisth Edited By: Manoj Vashisth Updated: Tue, 13 Aug 2024 12:52 PM (IST)
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    शहीद के पोस्टर पर मनोज कुमार। फोटो- इंस्टाग्राम, स्क्रीनशॉट

    एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। निर्माता, निर्देशक और अभिनेता मनोज कुमार को जिन फिल्मों ने भारत कुमार का खिताब दिलवाया था, उस सीरीज की पहली कड़ी 'शहीद' है। देश को आजादी मिलने के 18 साल बाद आई शहीदों की इस कहानी ने उस दौर के सिनेमा और समाज पर गहरा असर छोड़ा था।

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    शहीदे-आजम सरदार भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के क्रांतिकारी जीवन पर बनी फिल्म 1965 में रिलीज हुई थी। यह वो दौर था, जब देश अंग्रेजी हुकूमत की बेड़ियों से आजाद होकर तरक्की की अंगड़ाई ले रहा था और वतन पर मर-मिटने वालों के लिए दिल के जज्बात कम नहीं हुए थे।

    ऐसे दौर में जब एस राम कुमार निर्देशित मनोज कुमार की फिल्म शहीद आई तो लाजिमी है कि वक्त ठहरना ही था। इस फिल्म से जुड़े किस्से आज भी रोमांच पैदा कर देते हैं। ऐसा ही एक किस्सा दिग्गज अभिनेता प्रेम चोपड़ा ने एक इंटरव्यू के दौरान साझा किया था।

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    फिल्म में खो गये थे लाल बहादुर शास्त्री

    प्रेम चोपड़ा ने शहीद में क्रांतिकारी सुखदेव थापर का किरदार निभाया था, जबकि मनोज कुमार सरदार भगत सिंह और अनंत मराठे शिवराम राजगुरु के रोल में थे। बॉलीवुड ठिकाना चैनल से बातचीत में प्रेम चोपड़ा ने शहीद के प्रीमियर से जुड़ा किस्सा सुनाया था।

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    फिल्म का प्रीमियर दिल्ली में रखा गया था। अन्य गणमान्य नागरिकों के साथ मुख्य अतिथि के तौर पर तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को भी प्रीमियर के लिए आमंत्रित किया गया था। शास्त्री जी फिल्म देखने पहुंचे। अपने व्यस्त रूटीन के कारण उन्होंने सिर्फ 15 मिनट का वक्त आयोजकों को दिया था।

    प्रेम चोपड़ा बताते हैं कि एक बार फिल्म शुरू हुई तो लाल बहादुर शास्त्री उसमें इतने खो गये कि समय का कोई अंदाजा ही नहीं रहा और पूरी फिल्म देख डाली।

    इसी इंटरव्यू में प्रेम चोपड़ा आगे बताते हैं कि शास्त्री जी ने प्रीमियर के बाद मनोज कुमार को सलाह दी थी, वो जय जवान जय किसान नारे पर भी फिल्म बनाएं और इसके लिए सरकारी मदद की पेशकश भी की। मनोज कुमार ने इस सलाह को स्वीकार करते हुए दिल्ली से मुंबई जाते समय कार में ही स्क्रिप्ट लिख डाली थी और इस तरह हिंदी सिनेमा की एक और शानदार फिल्म उपकार की बुनियाद पड़ी।

    'शहीद' को मिला था नेशनल अवॉर्ड

    शहीद कई मायनों में आइकॉनिक फिल्म है। इसके पीछे एक और बड़ी वजह है। शहीद की कहानी क्रांतिकारी बटुकेश्वर दत्त ने लिखी थी। फिल्म के गीतों में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बिस्मिल अजीमाबादी का लिखा गीत सरफरोशी की तमन्ना भी शामिल किया गया था। बाकी गीत प्रम धवन ने लिखे थे और संगीत भी दिया था।

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    मोहम्मद रफी, मुकेश, मन्ना डे, महेंद्र कपूर और लता मंगेशकर ने फिल्म के गानों को सुरों से सजाया था। 13वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में शहीद को बेस्ट फीचर फिल्म इन हिंदी और नर्गिस दत्त अवॉर्ड फॉर बेस्ट फीचर फिल्म ऑन नेशनल इंटीग्रेशन कैटगरी में पुरस्कृत किया गया था।