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    भारतीय फिल्म All We Imagine as Light का फ्रांस में दबदबा, 185 सिनेमाघरों में हुई रिलीज

    Updated: Tue, 08 Oct 2024 06:42 PM (IST)

    अनसूया सेनगुप्ता के बाद पायल कपाड़िया ने कांस 2024 में भारत का नाम रोशन किया। इस फिल्म फेस्टिवल में 30 साल बाद किसी फिल्म का प्रीमियर किया गया। ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट का प्रीमियर 23 मई को 2024 कांस फिल्म फेस्टिवल में कॉम्पिटिशन सेक्शन में किया गया था। अब इस फिल्म ने फ्रांस में भी ऑडियंस को अट्रैक्ट किया है।

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    फ्रांस में रिलीज हुई All We Imagine as Light

    एंटरटेनमेंट डेस्क,नई दिल्ली। इंडियन फिल्म इंडस्ट्री देश के साथ विदेश में भी नाम कमा रही है। पिछले दिनों ऑस्कर और ग्रैमी जैसे अवार्ड्स जीतने के बाद भारतीय फिल्में कान्स में भी अपना नाम रोशन कर रही थीं। कान्स 2024 में भारतीय फिल्म ऑल वी इमेजिन एज लाइट को कान्स का दूसरा सबसे बड़ा सम्मान दिया गया था।

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    फ्रांस में रिलीज हुई फिल्म

    अब पायल कपाड़िया की इस फिल्म ने फ्रांस के सिनेमाघरों में भी अच्छी शुरुआत की है। फिल्म को वहां काफी सराहना मिली है और 185 थिएटरों में फिल्म को रिलीज किया गया है। कोंडोर डिस्ट्रीब्यूशन (Condor Distribution) द्वारा वितरित यह फिल्म 2 अक्टूबर को रिलीज हुई थी और इसने दर्शकों और आलोचकों के बीच तेजी से लोकप्रियता हासिल की।

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    यह फिल्म फ्रांस में असाधारण भारतीय फिल्मों में से एक बन गई है। राणा दग्गुबाती की स्पिरिट मीडिया ने अपनी खुशी साझा करते हुए कहा,“कान्स में जीत हासिल करने और आलोचकों का प्यार जीतने के बाद,ऑल वी इमेजिन इज लाइट ने अपनी हालिया रिलीज के साथ फ्रांस में दर्शकों और सिनेमा प्रेमियों का दिल जीतने में सफलता हासिल की है। हम भारत में फिल्म की आगे की यात्रा को लेकर उत्साहित हैं और इसे जल्द ही भारत में स्क्रीन पर लाने की उम्मीद कर रहे हैं। ये भारत में फिल्म की डिस्ट्रीब्यूटर भी है।"

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    क्या है कहानी?

    फिल्म की कहानी दो नर्स, प्रभा और अनु की है। ये दोनों मलियाली हैं और मुंबई में रहती हैं। दोनों अपने-अपने रिलेशनशिप में स्ट्रगल कर रही हैं। इनके साथ एक तीसरी महिला भी है जिसका नाम पार्वती है। पूरी फिल्म की कहानी इन्हीं के इर्द-गिर्द घूमती है। इनके जरिए ये दिखाने की कोशिश की गई है कि एक महिला के लिए समाज में आज भी क्या स्थिति है। आज भी वो सारा जीवन बस दूसरों की मदद करने और देखभाल में लगा देती हैं और इसके बदले में उसे कुछ नहीं है। ये फिल्म फेमिनिस्ट विचारधार को बल देती है।

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