जब पाकिस्तान की सिंगर ने इंदिरा गांधी को किया मना, लेकिन खुशी-खुशी सुनाया राजीव गांधी को गाना
पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान का जिक्र भारत में किसी न किसी की वजह से होता ही रहता है। आज हम आपको उसी मुल्क की एक ऐसी सिंगर के बारे में बताने वाले हैं जिसकी आवाज लता मंगेशकर तक को सुहाती थी। मगर वो अपनी शर्तों की इतनी पक्की थी कि उन्होंने इंदिरा गांधी को गाना सुनाने से इंकार कर दिया था। आइए जानें ऐसा करने के पीछे की क्या थी वजह...
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। मशहूर सिंगर (Noor Jehan) अपनी आवाज के साथ खूबसूरती के लिए भी जानी जाती थी। गायिका ने बॉलीवुड की फिल्मों में भी अपनी आवाज का जलवा दिखाया था। आज भले ही नूरजहां इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके गाए गाने लोगों के बीच अब भी बड़ी पसंद से सुने जाते हैं। नूरजहां ने पंजाबी, सिंधी, बंगाली, पश्तो, हिंदी और अरबी भाषा में 10 हजार से ज्यादा गाने गाए थे।
नूरजहां की आवाज का जादू ऐसा था कि दिवंगत स्वर कोकिला लता मंगेशकर भी उनकी दीवानी थी। नूरजहां का जन्म 21 सितंबर 1926 को पाकिस्तान में हुआ था। बंटवारे के बाद उन्होंने पाकिस्तान में रहने का फैसला किया था। आइए बताते हैं इनके बारे में...
कैसे पड़ा नूरजहां नाम?
नूरजहां को ये नाम उनके माता-पिता ने नहीं दिया था। उनका असली नाम अल्ला राखी वसाई था। संगीत गायिका को विरासत में मिली थी। उन्हें बचपन से ही एक्टिंग और सिंगिंग का शौक था। नूरजहां बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट साल 1930 में आई फिल्म 'हिन्द के तारे' में काम कर चुकी हैं। इसी दौरान उनकी मुलाकात पॉपुलर गायिका मुख्तार बेगम से हुई थीं। इन्होंने ही सिंगर को नाम दिया था। नूरजहां उस जमाने में भी अपने बेबाक अंदाज के लिए जानी जाती थीं।
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रचाई थीं दो शादियां
वो अपनी मर्जी की मालिक थीं। वो काफी आशिकाना मिजाज की थीं। ऐसा कहा जाता है कि उन्हें केवल अच्छे दिखने वाले लोगों से घिरे रहना पसंद था। नूरजहां (Noor Jehan Husbands) का नाम पाकिस्तानी टेस्ट क्रिकेटर से भी जोड़ा गया था। इससे पहले साल 1942 में उनकी पहली शादी शौकत रिजवी के साथ हुई थी और 1953 में वह उनसे अलग हो गईं थीं। नूरजहां ने दूसरी शादी साल 1959 में एजाज दुर्रानी से रचाई, जो कि 1971 तक चल पाई।
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इंदिरा गांधी को गाना सुनाने से किया मना
नूरजहां की बेटियों ने मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि उनकी मां इंदिरा गांधी के यहां गई थीं, तब इंदिरा जी ने सिंगर से कहा था कि आप मुझे एक गाना सुनाइए, तो मां ने मना कर दिया, लेकिन जब राजीव गांधी पाकिस्तान आए तो अम्मी को डिनर पर बुलाया गया, राजीव गांधी ने कहा कि आप हमें एक गाना सुना दीजिए तो मां ने कहा कि आप हमारे मेहमान हैं और आपके लिए जरूर गाएंगे।
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