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    2 शादियां, 2 तलाक... बंटवारे के बाद गईं पाकिस्तान, जनाजे में पहुंचे 4 लाख लोग, 10 हजार गाने वाली नूरजहां की दास्तां

    Updated: Tue, 23 Dec 2025 08:11 PM (IST)

    Pakistan Singer Actor Noor Jehan: पाकिस्तानी सिनेमा के इतिहास में नूरजहां के नाम का जिक्र सदियों तक किया जाएगा। यहांतक कि भारतीय सिनेमा की नींव में जो ...और पढ़ें

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    पाकिस्तान की वो सिंगर जिसके सरहद पार भी थे दीवाने

    एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। 

                               ''लाख नखरे दिखा... सिर झुकाना पड़ेगा...''

    एक आवाज जो निकली तो दूर तलक गई... एक आवाज जो दिलों में बस गई... एक आवाज जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई। जिन लाइनों का जिक्र हमने सबसे ऊपर किया है, ये लाइनें उन नूरजहां के जिनके सुरीले सुरों की महफिल में आने वालों की तादाद बड़ी लंबी रही है। कहते तो यही हैं कि ऊपरवाला हर इंसान को किसी ना किसी तोहफे से जरूर नवाजता है।

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    नूरजहां भी उन्हीं में से एक थीं, जिनकी जिंदगी की रेलगाड़ी सफलता के स्टेशन पर तो पहुंची लेकिन बीच बीच में आने वाली दर्द की दरारें उनके लिए नासूर बन गईं। करतीं भी तो क्या करतीं, किस्मत को जो मंजूर हो, होता भी वही है। ये नूरजहां का जादू ही था की कि उनकी गजब की खूबसूरती और मदहोश कर देने वाली आवाज की दीवानी स्वर कोकिला लता मंगेशकर भी रहीं।

    आज हम आपको उन्हीं नूरजहां की दास्तां सुनाएंगे और बताएंगे कि कैसे दो देशों के बीच उन्हें पहचाना गया और कैसे निजी जिंदगी की उठा-पटक में वो पिसती गईं और कैसे वो बनीं 'मल्लिका-ए-तरन्नुम'।

    नूरजहां का शुरूआती करियर

    नूरजहां (Pakistani Singer Noor Jehan) का जन्म ब्रिटिश काल में लाहौर से लगभग 45 किलोमीटर दूर कसूर में 21 सितंबर 1926 को हुआ था। नूरजहां का असली नाम अल्लाह राखी वसाई था। महज 6 साल की उम्र में ही नूरजहां ने गाना भी शुरू कर दिया था। माता-पिता को जैसे ही नूरजहां के इस टैलेंट के बारे में पता चला तो उन्होंने भी अपनी बेटी को आगे बढ़ाने का हौसला दिखाया। नूरजहां की मां अपनी बेटी को बड़ा ही प्यार करती थीं।

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    उन्होंने तुरंत उस्ताद बड़े गुलाम अली खान के पास बिटिया नूर को भेज दिया। वो चाहती थीं कि बेटी अगर उस्ताद जी के पास रहेगी तो जल्दी और अच्छा सीख जाएगी और अच्छी तालीम से जीवन में कुछ कर लेगी। पंजाबी-मुस्लिम परिवार में जन्मी नूरजहां के 11 भाई-बहन थे। माता-पिता थिएटर से जुड़े हुए थे। कहा तो यह जाता है कि जब नूरजहां पैदा हुईं तो उनके रोने की आवाज में भी एक लय थी।

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    ऐसा लगता था कि मानो जैसे की नन्हे बच्चे के सुरीले बोल कानों में घुल रहे हैं। धीरे-धीरे नूरजहां बड़ी हो रही थीं और अपनी बहन के साथ उन्होंने गाना शुरू कर दिया। लाहौर में गाने गाया करती थीं। इसके बाद जिस थिएटर में नूरजहां के पिता काम करते थे उन्होंने नूरजहां और उनके परिवार को कलकत्ता भेज दिया। पिता को लग रहा था कि संगीत की तालीम तो मिल गई अब शायद कलकत्ता जाकर नूरजहां का करियर बन जाएगा।

    पंजाबी फिल्मों से हुई शुरूआत

    नूरजहां ने गायिका के तौर पर सफर शुरू कर दिया था। इसके बाद साल 1935 में एक फिल्म आई पिंड दी कुड़ी, ये फिल्म नूरजहां की डेब्यू फिल्म थी। फिल्म में नूरजहां ने अपनी बहनों के साथ गाना गाया था और तो और उन्होंने इस फिल्म में एक्टिंग भी की। इसके बाद नूरजहां रुकी नहीं, वह अपने करियर में आगे बढ़ती गईं।

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    कई उर्दू और पंजाबी फिल्मों में काम करने के बाद उन्होंने पाकिस्तानी सिनेमा (लॉलीवुड) का रुख किया। अलग-अलग फिल्मों में नूरजहां गाने लगीं। जो उनकी आवाज को सुनता था वो बस उनका दीवाना हो जाता था।

    बंटवारे के बाद चली गईं पाकिस्तान

    अनमोल घड़ी, जुगनू और मिर्जा साहिबान समेत कई फिल्मों में उन्होंने काम किया। ये फिल्में उनकी बंटवारे से पहले की थीं। नूरजहां एक तरफ जहां अपनी गायिकी से दिलों की रानी बन रही थीं, तो दूसरी तरफ बंटवारे का दर्द भी उन्हें सता रहा था। बंटवारे से पहले वो भारतीय सिनेमा में बड़ी पहचान बना चुकी थीं लेकिन 1947 में बंटवारे के बाद पाकिस्तान चली गईं।

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    परिवार के साथ वो वहीं जाकर बस गईं। हालांकि इस दौरान उन्हें दिलीप कुमार ने भारत में रहने के लिए कहा भी था, तो इस पर नूरजहां ने कहा कि, जहां मेरे मियां, वहां मेरी जिंदगी। पाकिस्तान जाकर वो वहां की पहली फीमेल डायरेक्टर बनीं और वहां अपने गानों से सबके दिलों में बस गईं।

    2 शादियां, 2 तलाक और 6 बच्चों की जिम्मेदारी

    नूरजहां (Noor Jehan) की जिंदगी में वो जितना आगे बढ़ रही थीं वहीं निजी जिंदगी में भी वो लोगों का ध्यान खींच रही थीं। दरअसल साल 1942 में नूरजहां फिल्म 'खानदान' में नजर आईं। इस फिल्म को निर्देशक शौकत हुसैन रिजवी ने डायरेक्ट किया था। फिल्म के दौरान ही दोनों को प्यार हो गया और फिर दोनों ने शादी कर ली।

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    हालांकि ये शादी ज्यादा लंबे वक्त नहीं चली। शादी के 11 साल बाद साल 1953 में दोनों अलग हो गए। इसके पांच साल बाद नूरजहां के जीवन में आए एजाज दुर्रानी, जिनके साथ उन्होंने दूसरी शादी की। हालांकि नूरजहां के दूसरे शौहर नहीं चाहते थे कि वो फिल्मों में काम करें या गाना गाएं।

    अपने शौहर की बात मानते हुए वो फिल्मी दुनिया से दूर भी हो गईं। इस शादी से नूरजहां को 6 बच्चे हुए। हालांकि ये शादी भी उनकी लंबी नहीं चली और फिर 1971 में उन्होंने दुर्रानी से भी तलाक लिया और अलग हो गईं।

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    क्रिकेटर के प्यार में थीं दीवानीं

    पाकिस्तानी क्रिकेटर नजर मोहम्मद और नूरजहां के प्यार के किस्से भी बड़े आम हैं। कहा जाता है कि नूरजहां और नजर मोहम्मद की आशिकी परवान तो चढ़ी लेकिन इसका खामियाजा नजर मोहम्मद को अपने करियर से चुकाना पड़ा।

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    कहा जाता है कि, एक बार नूर के दूसरे पति दुर्रानी ने उन्हें और नजर मोहम्मद को कमरे में बंद देखा था। इसके बाद डर की वजह से मोहम्मद खिड़की से कूद गए और फिर उनका हाथ टूट गया। फिर उनका हाथ सही नहीं हुआ और उनका करियर बनने से पहले ही बिगड़ गया।

    लता मंगेशकर भी थीं नूरजहां की फैन

    नूरजहां की आवाज के चाहने वालों की फेहरिस्त में स्वर कोकिला लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) भी नाम शामिल था। दरअसल जब नूरजहां अपने करियर के पीक पर आ गईं थीं तब लता के करियर की शुरूआत हो गई थी। लता के लिए नूरजहां एक प्रेरणा ही थीं। बड़ी बात ये है कि भारतीय सिनेमा में इन दो दिग्गजों की दोस्ती के चर्चे भी खूब होते थे।

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    नूरजहां लता को खूब मानती थीं। कहा जाता है कि लता को नूरजहां प्यार से लत्तो कहकर पुकारती थीं। बंटवारे के बाद भी ये रिश्ता बरकरार रहा था। कहा जाता है कि एक बार अटारी बॉर्डर पर जब दोनों मिलीं तो एक दूसरे के गले लिपटकर खूब रोईं थीं। सरहदों ने भले ही दोनों देशों को बांट दिया हो लेकिन दोनों की दोस्ती नहीं बंटी और प्यार बरकरार रहा।

    बंटवारे के 36 साल बाद आईं भारत

    नूरजहां साल 1983 में जब भारत आईं तो बड़ी भावुक हुईं। अपनी बेटियों के साथ भारत आने के बाद उन्होंने दिल खोलकर बातें कीं। भारत आने के बाद उन्होंने दिलीप कुमार के साथ मुंबई में दूरदर्शन को एक इंटरव्यू दिया था। यहां उन्होंने कई बातें बताईं और कहा कि, रियाज बचपन से होता है।

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    जब मैं छोटी थी तो खूब रियाज करती थी हालांकि उम्र के इस पड़ाव पर ये मुमकिन नहीं है। नूरजहां ने बताया कि वो बहुत यादें हैं जिन्हें संजोकर अपने पास रखती हैं। बंटवारे का दर्द यहां छलक पड़ा था और नूरजहां अपनी भावनाओं पर काबू पाने की कोशिश कर रही थीं। हालांकि उन्होंने ये भी बताया कि भारत आने के लिए उन्होंने कई कोशिश कीं और करीब 35 साल इंतजार किया।

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    जनाजे में आए थे 4 लाख लोग

    नूरजहां ने अपने करियर में करीब 10 हजार से ज्यादा गाने गाए। अनगिनत फिल्मों में उन्होंने काम किया। पंजाबी, हिंदी, उर्दू से लेकर कई दूसरी भाषाओं में उन्होंने अपनी आवाज दी। आखिरकार फिर साल 1992 में उन्होंने गाना बंद कर दिया और फिर साल 2000 में उनका दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।

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    कराची में जब नूरजहां का जनाजा निकला तो उस वक्त करीब 4 लाख लोग उनके जनाजे में शामिल होने आए थे। राजकीय सम्मान के साथ उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया गया था।