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कभी थी लाखों दिलों की धड़कन, आज हैं अकेली

2009 के बाद वो बड़े परदे पर नहीं दिखीं और छोटे परदे पर उनकी दिलचस्पी कभी रही नहीं। ऐसे में सबसे कटते हुए राखी धीरे-धीरे बॉलीवुड की ग्लैमरस लाइफ स्टाइल से दूर हो गयीं।

By Hirendra JEdited By: Published: Thu, 24 Nov 2016 06:38 PM (IST)Updated: Sun, 12 Mar 2017 09:14 AM (IST)
कभी थी लाखों दिलों की धड़कन, आज हैं अकेली
कभी थी लाखों दिलों की धड़कन, आज हैं अकेली

मुंबई। 'ओ साथी रे तेरे बिना भी क्या जीना'! 'मुकद्दर का सिकंदर' फ़िल्म में यह गीत अमिताभ बच्चन ने उन्हीं के लिए गाया था। लेकिन, असल जीवन में राखी आज जितनी अकेली, सबसे कटी हुई और गुम है उस अहसास को समझना आसान नहीं है। कई नाम ऐसे हैं, जो चर्चा में नहीं रहते। समय के साथ भुला दिए जाते हैं। आज हम भुला दी गयी एक्ट्रेस राखी के बारे में बात कर रहे हैं कि आज वो क्या कर रही हैं और कैसी दिखती हैं। 

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राखी कभी लाखों, करोड़ों दिलों की धड़कन थीं। बबली सी उनकी स्माइल की दुनिया दीवानी थी। आज राखी अपनी कर्मभूमि मुंबई से भी पचास किलोमीटर दूर पनवेल के किसी फॉर्म हाउस में हर चमक-दमक से दूर रहने के लिए विवश है! कम दिखती हैं, कम बोलती हैं, अपनी दुनिया में खोयी रहती हैं। अपने लुक पर बहुत ज़्यादा ध्यान नहीं देतीं शायद इसलिए अब ऐसी दिखती हैं। जबकि, उनकी उम्र की रेखा, हेमा जैसी एक्ट्रेसेस ने समय के साथ अपने आपको मैंटेन रखा है। एक दौर ऐसा भी रहा है कि उनके पलट के देख भर लेने से मौसम रुक जाया करता था। राखी के करियर की सबसे बड़ी विशेषता है कि वह फ़िल्मों या रोल के पीछे दूसरी एक्ट्रेसेस की तरह कभी नहीं दौड़ी। उन्होंने हमेशा ऐसे रोल किए, जिससे उनकी एक सही इमेज दर्शकों के दिल-दिमाग में लम्बे समय तक छपी रह सके।

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राखी ने एक बातचीत में अपने जीवन की सबसे यादगार फ़िल्म के रूप में यश चोपड़ा की 'कभी कभी' का नाम लिया था। राखी ने अपने दौर के तमाम दिग्गज डायरेक्टर्स के साथ काम किया। सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के साथ उन्होंने 11 फ़िल्में की हैं। सब की सब दमदार! कभी वो फ़िल्मों में बिग बी की प्रेमिका बनी तो कभी उनकी सेक्रेटरी तो कभी मां हर रूप में नज़र आयीं। वैसे राखी ने मां के रोल में कई यादगार भूमिकाएं की हैं जिनमें करण अर्जुन, सोल्जर, बाजीगर जैसी फ़िल्मों के नाम लिए जा सकते हैं। एक दौर में वह सबसे अधिक फीस लेने वाली मां थीं।

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राखी की ज़िंदगी में गुलज़ार का आना एक मोड़ लेकर आया। 1973 में गुलज़ार से शादी करने के बाद उन्होंने गुलज़ार के कहने पर फ़िल्मों में काम न करने का फैसला किया। पर जब उनकी बेटी मेघना लगभग डेढ़ वर्ष की थी तब यह रिश्ता भी टूट गया। हालांकि, दोनों में तलाक नहीं हुआ और मेघना को भी हमेशा दोनों का प्यार मिला है। पर, अकेलेपन के इस दर्द के बीच उन्होंने फ़िल्मों में काम करने को ही अपने जीने का जरिया बना लिया। राखी के लिए उनकी यह दूसरी पारी धमाकेदार रही जिसमें उन्होंने कई हिट फ़िल्में दीं। इनमें "कभी-कभी","कसमें वादे", "त्रिशूल", "मुकद्दर का सिकंदर", "दूसरा आदमी", "जुर्माना", "काला पत्थर" के नाम लिए जा सकते हैं।

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2009 के बाद वो बड़े परदे पर नहीं दिखीं और छोटे परदे पर उनकी दिलचस्पी कभी रही नहीं। ऐसे में सबसे कटते हुए राखी धीरे-धीरे बॉलीवुड की ग्लैमरस लाइफ स्टाइल से दूर हो गयीं। शायद इसलिए, आज अगर आप उन्हें देखें तो पहली नज़र में पहचान भी नहीं पाएंगे। फ़िल्मफ़ेअर से लेकर नेशनल अवार्ड और पद्मश्री पुरस्कार तक सब मिला है इन्हें बस ऐसा एक साथी नहीं मिला जो उनके लिए कह सके ' तेरे बिना भी क्या जीना'। 1951 में जन्मीं राखी इस समय अकेले रहती हैं। उनके करीबी बताते हैं कि अपनी शांत ज़िंदगी जीना उन्हें पसंद हैं।


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