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    नाना पाटेकर आठ अक्टूबर को रखेंगे तनुश्री मामले में अपना पक्ष

    By Manoj KhadilkarEdited By:
    Updated: Thu, 04 Oct 2018 12:06 PM (IST)

    इस बीच सिने एंड टीवी आर्टिस्ट एसोसिएशन (सिन्टा) भी हरकत में आई है l सिन्टा ने एक आधिकारिक बयान जारी कर कर घटना की कड़ी निंदा की और साथ ही उन्होंने उनक ...और पढ़ें

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    नाना पाटेकर आठ अक्टूबर को रखेंगे तनुश्री मामले में अपना पक्ष

    रूपेशकुमार गुप्ता, मुंबई l फिल्म हॉर्न ओके प्लीज के निर्देशक राकेश सारंग ने मुंबई में जागरण डॉट कॉम के साथ हुई विशेष बातचीत में बताया है कि तनुश्री दत्ता मामले पर 8 अक्टूबर को नाना पाटेकर, कोरियोग्राफर गणेश आचार्य और फिल्म निर्माता सामी सिद्दीकी सहित वो तनुश्री दत्ता के लगाए आरोपों पर अपनी बात कहेंगे l

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    निर्देशक राकेश सारंग ने यह भी कहा कि उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि ऐसे झूठ पर वह क्या प्रतिक्रिया देंl साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कई लोग मीडिया में फेमस होने के लिए कई प्रकार के हथकंडे अपनाते हैंl तनुश्री दत्ता ने यह रास्ता चुना हैl गौरतलब है कि तनुश्री दत्ता ने एक चैनल को दिए इंटरव्यू में आरोप लगाया था कि फिल्म हॉर्न ओके प्लीज के सेट पर उनके साथ बदतमीजी की गई थी और इसमें नाना पाटेकर मुख्य रूप से सम्मिलित थेl बॉलीवुड के कई जाने-माने कलाकारों ने भी हाल के दिनों में इस मामले में तनुश्री और नाना को लेकर बयान दिए हैंl दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर कानूनी कार्रवाई करने की भी बात कही हैl नाना ने अपने वकील के जरिये तनुश्री को लीगल नोटिस भी दी है l

    इस बीच सिने एंड टीवी आर्टिस्ट एसोसिएशन (सिन्टा) भी हरकत में आई है l सिन्टा ने एक आधिकारिक बयान जारी कर कर घटना की कड़ी निंदा की और साथ ही उन्होंने उनकी गलती भी मानीl इसके अलावा सिन्टा ने स्पष्टीकरण भी दिया कि अब इस मामले में वह कुछ नहीं कर पाएंगेl इसके पीछे उन्होंने कारण दिया कि दरअसल संगठन के संविधान के अनुसार 3 वर्षों से पुराने मामले को वह दोबारा नहीं खोला जा सकता l सिन्टा ने कहा है कि वो इस पूरी घटना की वह कड़ी निंदा करते हैंl

    फिल्म इंडस्ट्री में किसी भी प्रकार की यौन प्रताड़ना की बात को बर्दाश्त नहीं किया जाएगाl वर्ष 2008 में तनुश्री दत्ता द्वारा लिखे गए पत्र पढ़ने के बाद हमें इस बात का पता चला कि सिन्टा की ज्वाइंट डिस्प्यूट सेटेलमेंट कमेटी और आईएफटीपीसी का 2008 की जुलाई में लिया गया निर्णय गलत था क्योंकि उसमें यौन शोषण से जुड़े मुख्य फैसले पर ध्यान ही नहीं दिया गया था l

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