एक सिंगर का नखरा 13 साल की उम्र में Mohammad Rafi के लिए बना था गोल्डन चांस, नाई की दुकान पर करते थे काम
ऐसा आपने कई बार सुना होगा कि जिसकी किस्मत में जो होता है वह उसे मिलता भी है। खास तौर पर जब उसमें मेहनत जुड़ जाए। ऐसा ही कुछ हुआ था लाहौर में नाई की दुकान पर काम करने वाले मोहम्मद रफी के साथ जब एक सिंगर के नखरे उनके लिए वह बड़ा अवसर बना जिसने उनके लिए बॉलीवुड के दरवाजे खोल दिए।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। मोहम्मद रफी संगीत की दुनिया का वह नाम, जो तब तक जिंदा है जब तक म्यूजिक की दुनिया है। हिंदी सिनेमा को 'आज मौसम बड़ा बेईमान है' और 'लिखे जो खत तुझे', 'एहसान तेरा होगा मुझपर' जैसे कई ऐसे गाने दिए हैं, जो आज भी कानों को सुकून देते हैं। उनके गानों में एक गजब का जादू था।
किशोर कुमार भी जब किसी गाने को नहीं गा पाते थे, तो वह निर्देशक-निर्माता के सामने सबसे पहले हार्ड से हार्ड गाने को गंवाने के लिए मोहम्मद रफी के नाम का ही सुझाव देते थे। हालांकि, मोहम्मद रफी के हालात हमेशा से ऐसे नहीं थे। उनकी जिंदगी में एक समय ऐसा था, जब उनकी माली हालत बेहद खराब थी। लाहौर का ये नाई कैसे बना म्यूजिक जगत का सबसे बड़ा जगमगाता सितारा, चलिए आपको बताते हैं इस थ्रोबैक थर्सडे में।
लाहौर में नाई की दुकान पर करते थे काम
मोहम्मद रफी का जन्म कोटला सुल्तान सिंह, ब्रिटिश पंजाब में 31 जुलाई 1980 को हुआ था। वह अपने परिवार के साथ पार्टिशन से पहले लाहौर में रहते थे। मोहम्मद रफी को बचपन में प्यार से सब फीको बुलाया करते थे। 7000 से ज्यादा गाने अपने पूरे करियर में गाने वाले मोहम्मद रफी जब छोटे थे तो उनके परिवार की माली हालत काफी खराब थी।
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सिंगर अपने भाई की नाई की दुकान पर काम किया करते थे, वह कभी-कभी लोगों के बाल कांटा करते थे। हालांकि, बाल कांटने के साथ-साथ वह गाना भी गुनगुनाते थे। उनकी आवाज में गाने लोग काफी एन्जॉय भी करते थे। एक दिन फीको की दुकान पर एक आदमी आता है और वह उनके बाल कांटते हुए मशहूर पंजाबी कवि वारिस शाह की कम्पोजिशन गाने लगता है। फीको को ये अंदाजा नहीं था कि वह जिसके सामने गाना गुनगुना रहे हैं, वह कोई और नहीं, बल्कि बड़े उस्ताद पंडित जीवन लाल हैं।
पंडित जी फीको को अपने घर बुलाते हैं और उसका ऑडिशन भी लेते हैं। फीको की लगन उन्हें इतनी पसंद आती है कि वह उसे पंजाबी गीत और राग सिखाने लगते हैं, वह बच्चा भी जल्दी-जल्दी सब सीख लेता है।
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13 साल की उम्र में जब मिला गोल्डन चांस
अब मोहम्मद रफी सुर ताल तो सीख लेते हैं, लेकिन परिवार के हालात को देखते हुए वह अपने सपने को पूरा नहीं कर पाते। पर कहते हैं किस्मत की लिखी चीज कोई नहीं छीन सकता। कुछ ऐसा ही मोहम्मद रफी के साथ भी होता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब रफी साहब 13 साल के थे, तो लाहौर में एक एग्जीबिशन हुआ, जिसमें हिंदी सिनेमा के एक मशहूर सिंगर को परफॉर्म करना था। उसी इवेंट में फीको भी ऑर्गेनाइजर के लिए काम कर रहा था।
हालांकि, अचानक ही पावर कट हो जाती है और हिंदुस्तान का मशहूर सिंगर माइक के बिना गाने से साफ इनकार कर देता है। ऑर्गेनाइजर को ये पहले ही पता था कि मोहम्मद रफी काफी अच्छा गाते हैं, ऐसे में लाइव ऑडियंस का गुस्सा देखकर ऑर्गेनाइजर मोहम्मद रफी को स्टेज पर भेज देते हैं।
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रफी साहब भी बिना डरे अपनी आवाज से 13 साल की उम्र में लाखों की भीड़ के सामने समां बांध देते हैं। उन्हें देखकर वह मशहूर सिंगर कहता है, एक दिन ये लड़का बहुत बड़ा सिंगर बनेगा। उन्हें ये कहने वाले कोई और नहीं, बल्कि हिंदी सिनेमा के दिग्गज सिंगर के एल साइगल थे, जिनका बिना माइक न गाने का निर्णय मोहम्मद रफी के लिए गोल्डन अवसर बना था। उसके बाद तो जो मोहम्मद रफी करियर में आगे बढ़े, वह तो हिंदी सिनेमा के इतिहास में दर्ज हो चुका है।
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