Back Image

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    Birthday: किशोर कुमार तक को अपनी आवाज़ दे चुके हैं मोहम्मद रफी, जानिये कुछ और दिलचस्प बातें

    By Hirendra JEdited By:
    Updated: Sun, 24 Dec 2017 10:12 AM (IST)

    नौशाद - "कहता है कोई दिल गया, दिलबर चला गया/ साहिल पुकारता है समंदर चला गया / लेकिन जो बात सच है वो कहता नहीं कोई / दुनिया से मौसिकी का पयंबर चला गया।"

    Birthday: किशोर कुमार तक को अपनी आवाज़ दे चुके हैं मोहम्मद रफी, जानिये कुछ और दिलचस्प बातें

    मुंबई। मोहम्मद रफी (जन्‍म: 24 दिसंबर 1924-निधन:31 जुलाई 1980) को न जाने कितनी पीढ़ियों ने गुनगुनाया है। अपनी गायकी से सबके दिलों पर राज़ करने वाले मोहम्मद रफी साहब की आज जयंती है। इन्हें शहंशाह-ए-तरन्नुम भी कहा जाता था। मोहम्मद रफी की आवाज़ ने उनके बाद सोनू निगम, मुहम्मद अज़ीज़ जैसे कई गायकों को प्रेरित किया। मोहम्‍मद रफी पंजाब के कोटला सुल्‍तान सिंह गांव में जन्में थे और वहां से मुंबई ही नहीं दुनिया भर में अपनी पहचान बनाए वाले इस महान शख्सियत के जन्मदिवस पर आइए जानते हैं उनके बारे में कुछ खास बातें!

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    लता मंगेशकर ने रफी साहब को याद करते हुए एक इंटरव्यू में कहा था- "सरल मन के इंसान रफी साहब बहुत सुरीले थे। ये मेरी खुस्किस्मती है कि‍ मैंने उनके साथ सबसे ज्यादा गाने गाए। गाना कैसा भी हो वो ऐसे गा लेते थे कि‍ गाना ना समझने वाले भी वाह-वाह कर उठते थे। ऐसे गायक बार-बार जन्‍म नहीं लेते। बहरहाल, क्या आप जानते हैं वो अपने संगीतकार से यह कभी नहीं पूछते थे कि इस गाने के लिए उन्हें कितने पैसे मिलेंगे। कभी-कभी तो वो महज 1 रुपये फ़ी लेकर भी गाना गा दिया करते।

    यह भी पढ़ें:  कैंसर से एक फाइटर की तरह जीतीं, जानिये मुमताज़ से जुड़ी 7 दिलचस्प बातें, अब दिखती हैं ऐसी

    1940 के दशक से आरंभ कर 1980 तक इन्होने कुल 26,000 गाने गाए। इनमें हिन्दी के अतिरिक्त ग़ज़ल, भजन, देशभक्ति गीत, क़व्वाली तथा अन्य भाषाओं में गाए गीत शामिल हैं। किशोर कुमार जो खुद एक बड़े गायक थे। जब फ़िल्मी परदे पर उनकी आवाज़ बनने की बात हुई तो रफ़ी साहब पर जाकर वो तलाश खत्म हुई। किशोर कुमार के लिए रफ़ी ने तक़रीबन 11 गाने गाये।

    'नील कमल' का गाना 'बाबुल की दुआएं लेती जा' को गाते वक्‍त बार-बार उनकी आंखों में आंसू आ जाते थे और उसके पीछे कारण था कि इस गाने को गाने के ठीक एक दिन पहले उनकी बेटी की सगाई हुई थी इसलिए वो काफी भावुक थे, फिर भी उन्होंने ये गीत गाया और इस गीत के लिए उन्‍हें 'नेशनल अवॉर्ड' मिला। मोहम्मद रफ़ी ने 6 फिल्मफेयर और 1 नेशनल अवार्ड समेत कई पुरस्कार हासिल किये। पद्मश्री मोहम्मद रफ़ी ने तमाम भारतीय भाषाओं के अलावा पारसी, डच, स्पेनिश और इंग्लिश में भी गीत गाए थे।

    मोहम्मद रफी का आखिरी गीत फ़िल्म 'आस पास' के लिए था, जो उन्होंने लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के लिए अपने निधन से ठीक दो दिन पहले रिकॉर्ड किया था, गीत के बोल थे 'शाम फिर क्यों उदास है दोस्त'।

    यह भी पढ़ें: इन 5 स्टार्स ने एक्टिंग छोड़ चुन लिया दूसरा प्रोफेशन, उसमें भी हैं कामयाब

    उनके गुज़र जाने के बाद संगीतकार नौशाद ने कहा था- "कहता है कोई दिल गया, दिलबर चला गया/ साहिल पुकारता है समंदर चला गया / लेकिन जो बात सच है वो कहता नहीं कोई / दुनिया से मौसिकी का पयंबर चला गया।" जिस दिन मोहम्मद रफी साहब का निधन हुआ उस दिन मुंबई में जोरों की बारिश हो रही थी और फिर भी उनकी अंतिम यात्रा के लिए कम से कम 10000 लोग सड़कों पर थे। मशहूर एक्टर मनोज कुमार ने तब कहा था- 'सुरों की मां सरस्वती भी अपने आंसू बहा रही हैं आज'।