Mohammad Rafi: रफी साहब की दरियादिली ने जितेंद्र का जीत लिया था दिल, लौटाए थे पैसे
मोहम्मद रफी (Mohammad Rafi) ने अपनी सुरीली आवाज से लोगों के दिलों में खास जगह बनाई। हिंदी सिनेमा को उन्होंने रोमांस और भावनाओं से भरपूर गाने दिए। ‘आज ...और पढ़ें

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। फिल्मी दुनिया में कुछ कलाकार ऐसे होते हैं, जो अपने बेहतरीन काम और व्यक्तित्व के जरिए लोगों के दिलों में हमेशा के लिए बस जाते हैं। भले ही उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया हो, लेकिन उनके प्रति लोगों का प्यार और सम्मान कभी कम नहीं होता।
ऐसी ही एक महान शख्सियत थे मोहम्मद रफी। उनकी सुरीली आवाज का जादू ऐसा था कि आज भी उनके गाने संगीत प्रेमियों के दिलों में ताजा और अमर हैं। 24 दिसंबर 1924 को जन्मे रफी साहब इस साल अपनी 100वीं जयंती (Mohammad Rafi 100th Birth Anniversary) पर देशभर में उनके चाहने वाले उन्हें याद कर श्रद्धांजलि दे रहे हैं।
रफी साहब को संगीतकार नौशाद ने भारत के नए तानसेन का दर्जा दिया था। उन्होंने अपने करियर में 28 हजार से ज्यादा गाने गाए। बर्थ एनिवर्सी के मौके पर आज उनकी दरियादिली की गवाही देने वाले एक रोचक किस्से की बात कर रहे हैं। इसके बारे में खुद अभिनेता जितेंद्र बता चुके हैं।
जितेंद्र की फ्लॉप फिल्म से जुड़ा है किस्सा
बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता जितेंद्र की कई फिल्मों के लिए रफी साहब ने गाने गाए थे। उनकी 38वीं बरसी पर आयोजित किए गए समारोह में जितेंद्र ने एक गाने की फीस से जुड़ा किस्सा सुनाया। यह रोचक किस्सा उनकी फिल्म ‘दीदार-ए-यार’ से जुड़ा हुआ है। इसमें उन्होंने बतौर निर्माता भी काम किया था, लेकिन फिल्म बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप साबित हुई। इसके बाद मशहूर अभिनेता ने खुद फिल्में न बनाने का फैसला लिया था। खास बात है कि इस फिल्म का पहला गाना रफी साहब ने गाया था।
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यह 1970 की बात है, जब वह गाने के लिए 4000 रुपये फीस लेते थे। पॉपुलर अभिनेता जितेंद्र को फिल्म बनने में 4 से 5 साल का समय लगा। उस समय के मशहूर गायक किशोर कुमार ने भी एक गाना फिल्म के लिए गाया था, जिसके लिए उन्हें मोटी रकम दी गई थी।
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रफी साहब ने वापिस कर दिए थे 16 हजार
जितेंद्र ने किस्सा सुनाते हुए कहा, ‘फिल्म का काम पूरा हुआ और मेरे पास प्रोडक्शन वाला आया और उसने पूछा की मोहम्मद रफी को कितने पैसे देने हैं। मैंने कहा जो किशोर कुमार को दिए हैं उतने ही दे दो। उसने बताया, किशोर को 20 हजार दिए है तो मैंने कहा उन्हें भी इतने ही दीजिए। बात खत्म हुई और उनके घर पैसे भिजवा दिए गए। फिर मेरे पास उनके सैक्रिटरी आए और बोला की रफी साहब बहुत नाराज है।
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मैंने उन्हें फोन लगाया जी रफी साहब, वो पंजाबी में बात करते थे। उन्होंने मुझे कहा, जीते तेरे पास ज्यादा पैसे आ गए हैं। रफी साहब ने चार हजार रुपये अपने पास रखे और बाकी 16 हजार लौटा दिए।’ यह किस्सा मशहूर गायक की ईमानदारी और दरियादली का बेहतरीन उदाहरण है।

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