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Mohabbatein 20 Years: परम्परा, प्रतिष्ठा और अनुशासन के गुरुकुल में 'राज' की बग़ावत के 20 साल, अमिताभ बच्चन ने कही यह बात

Mohabbatein 20 Years दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे में राज और सिमरन की मोहब्बत के खलनायक अमरीश पुरी बने तो मोहब्बतें में यह ज़िम्मेदारी अमिताभ बच्चन ने निभायी। दोनों खलनायकों की सोच कमोबेश एक जैसी ही थी। दोनों रोमांस या मोहब्बत को परम्परा प्रतिष्ठा और अनुशासन के ख़िलाफ़ ही मानते थे

By Manoj VashisthEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 12:55 PM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 08:29 PM (IST)
मोहब्बतें को 20 साल हो गये। (Photo- Twitter, Yashraj Films)

नई दिल्ली, मनोज वशिष्ठ। प्रेम कहानियों पर बनी फ़िल्मों का खांचा तक़रीबन एक जैसा ही होता है। मोहब्बत करने वाले दो लोग और उन्हें जुदा करने पर आमादा एक विलेन। किसी प्रेम कहानी में विलेन की बड़ी अहमियत होती है, क्योंकि यह विलेन ही होता है, जो एक प्रेम कहानी को दूसरी से अलग दिखाता है, वर्ना हीर रांझा से लेकर सोनी महीवाल तक सारी प्रेम कहानियां एक जैसी ही तो हैं।

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'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' में राज और सिमरन की मोहब्बत के 'खलनायक' अमरीश पुरी बने तो 'मोहब्बतें' में यह ज़िम्मेदारी अमिताभ बच्चन ने निभायी। दोनों खलनायकों की सोच कमोबेश एक जैसी ही थी। दोनों रोमांस या मोहब्बत को परम्परा, प्रतिष्ठा और अनुशासन के ख़िलाफ़ ही मानते थे और दोनों की फ़िल्मों में इससे टकराने की ज़ुर्रत करता है राज।

डीडीएलजे और मोहब्बतें में राज का किरदार निभाया शाह रुख़ ख़ान ने और इन दोनों फ़िल्मों का निर्देशन किया आदित्य चोपड़ा ने। नई सदी के पहले साल में 27 अक्टूबर को रिलीज़ हुई मोहब्बतें आदित्य की दूसरी फ़िल्म थी। उन्होंने ठीक दो साल पहले दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे से हिंदी सिनेमा में निर्देशकीय पारी शुरू की थी। पहली फ़िल्म ने इतिहास रचा तो आदित्य ने इसे दोहराने के लिए मोहब्बत की दास्तां भी दोहरा दी और बनीं मोहब्बतें। फ़िल्म ने आज (27 अक्टूबर) 20 साल का शानदार सफ़र पूरा कर लिया है। 

मोहब्बतें, हिंदी सिनेमा की लव स्टोरीज़ में एक ख़ास जगह रखती है, जिसकी धमक बॉक्स ऑफ़िस पर भी सुनायी दी थी। मोहब्बतें, दो बातों के लिए प्रमुख रूप से याद की जाती है- एक, अमिताभ बच्चन का नारायण शंकर का किरदार। दूसरा, 6 न्यूकमर्स की लॉन्चिंग। ख़ुद अमिताभ बच्चन अपने इस किरदार को आज भी स्पेशल मानते हैं-

न्यू मकर्स को ब्रेक

मोहब्बतें से उदय चोपड़ा, शमिता शेट्टी, प्रीति झंगियानी और किम शर्मा का हिंदी सिनेमा में करियर शुरू हुआ, जबकि जिमी शेरगिल और जुगल हंसराज के करियर को उछाल मिली। अपनी होम प्रोडक्शन फ़िल्मों में बतौर असिस्टेंट काम करते रहे उदय चोपड़ा ने मोहब्बतें से बतौर एक्टर करियर शुरू किया था। शिल्पा शेट्टी की बहन शमिता शेट्टी ने इस फ़िल्म से अपनी एक्टिंग पारी शुरू की। प्रीति झंगियानी का हिंदी डेब्यू था। इससे पहले वो दक्षिण भारत में कुछ फ़िल्में कर चुकी थीं।

यश चोपड़ा की फ़िल्म डर में बतौर एक्स्ट्रा काम कर चुकीं किम शर्मा के लिए यह बड़ा ब्रेक था। वहीं, माचिस से बेहतरीन डेब्यू करने वाले जिमी शेरगिल पहली बार किसी मेगा बजट कमर्शियल हिंदी फ़िल्म के चॉकलेटी लवर बॉय बने। जुगल हंसराज इन सभी में सबसे सीनियर थे। मासूम एक्टर इससे पहले कई फ़िल्मों में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट और ग्रोन अप एक्टर काम कर चुके थे। मोहब्बतें, उनकी भी पहली बड़ी कमर्शियल फ़िल्म थी। ये सभी नारायण शंकर के गुरुकुल के स्टूडेंट थे।

पहली बार प्रेमी बने शाह रुख़-ऐश्वर्या

मोहब्बतें शाह रुख़ ख़ान और ऐश्वर्या राय बच्चन की दूसरी फ़िल्म थी। इस फ़िल्म में दोनों प्रेमी के रूप में पहली बार साथ आये। इससे पहले 2000 में ही जोश रिलीज़ हुई थी, जिसमें ऐश्वर्या, शाह रुख़ की बहन के रोल में थीं। इस फ़िल्म के बाद दोनों देवदास में साथ नज़र आये थे। ऐश ने मोहब्बते में अमिताभ की बेटी मेघा शंकर का किरदार निभाया था। 

(मोहब्बतें में शाह रुख़ और ऐश्वर्या। फोटो- मिड-डे)

मिशन कश्मीर से टक्कर

बॉक्स ऑफ़िस पर मोहब्बतें बेहद कामयाब रही थी। 2000 की दिवाली पर रिलीज़ हुई फ़िल्म के सामने ऋतिक रोशन की मिशन कश्मीर थी, जो उनके करियर की तीसरी फ़िल्म थी। ऋतिक ने 2000 में ही कहो ना प्यार है से बेहद सफल डेब्यू किया था। मगर, बॉक्स ऑफ़िस की टक्कर में मोहब्बतें भारी पड़ी। बॉक्स ऑफ़िस इंडिया के अनुसार, मोहब्बतें ने 41.88 करोड़ रुपये का नेट कलेक्शन घरेलू बॉक्स ऑफ़िस पर किया था। जबकि, दुनियाभर में ग्रॉस कलेक्शन 90 करोड़ रुपये से अधिक था। वहीं, मिशन कश्मीर ने 22.98 करोड़ का नेट कलेक्शन किया था, जबकि वर्ल्डवाइड कलेक्शन 43 करोड़ से अधिक रहा।

(मोहब्बतें में शाह रुख़। फोटो- मिड-डे)

मोहब्बतें का संगीत जतिन-ललित ने दिया था। फ़िल्म में 9 गाने थे, जिन्हें लता मंगेशकर, उदित नारायण समेत कई उभरते हुए गायकों ने आवाज़ दी थी। संगीत काफ़ी हिट रहा था। फ़िल्म के लिए शाह रुख़ को बेस्ट एक्टर-क्रिटिक और अमिताभ को बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का फ़िल्मफेयर अवॉर्ड दिया गया था। 


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