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23 साल में तैयार हुई थी ये हिंदी फिल्‍म, रिलीज से पहले चल बसे एक्टर और डायरेक्टर, इस घटना को जान कांप जाएगी रुह

फिल्में बनाने का काम टेढ़ी खीर था जब तकनीक इतनी आगे नहीं बढ़ थी। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की ऐसी ही एक फिल्म है जिसे बनने में 23 सालों का लंबा वक्त लग गया। इस फिल्म को बदकिस्मत भी कहा जाता है क्योंकि इसके साथ कई किस्से जुड़े हुए है। फिल्म शुरू तो हो गई थी लेकिन बनाने में अनगिनत अड़चनें आई।

By Vaishali Chandra Edited By: Vaishali Chandra Published: Fri, 08 Mar 2024 11:18 PM (IST)Updated: Fri, 08 Mar 2024 11:18 PM (IST)
23 साल में तैयार हुई थी ये हिंदी फिल्‍म, (X Image)

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। किसी भी फिल्म को बनकर रिलीज होने में एक लंबा वक्त लगता है। इस दौरान कई बार मुश्किलें भी आ जाती है। फिल्म बनाने का सफर तब और दिक्कतों भरा था, जब तकनीक इतनी आगे नहीं बढ़ थी। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की ऐसी ही एक फिल्म है, जिसे बनने में 23 सालों का लंबा वक्त लग गया।

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इतना ही नहीं, इस फिल्म के साथ कई किस्से भी जुड़े हुए है। फिल्म के शुरू होने से लेकर रिलीज होने तक कई मौतें हो गई, इनमें एक्टर और डायरेक्टर का नाम भी शामिल है।

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'लव एंड गॉड' की शुरुआत

यहां बात हो रही है फिल्म 'लव एंड गॉड' (Love and God) की। मुगल-ए-आजम जैसी आइकोनिक फिल्म बनाने वाले डायरेक्टर के आसिफ इस फिल्म के कर्ता- धर्ता थे, लेकिन 'लव एंड गॉड' उन्हें बहुत महंगी पड़ गई। 1960 में के आसिफ, अपनी पहली फिल्म 'मुगल-ए-आजम' (Mughal-E-Azam) की सफलता का जश्न मना रहे थे। इस दौरान उन्होंने अपनी अगली फिल्म 'लव एंड गॉड' की तैयारी शुरू कर दी, जिसकी कहानी लैला और मजनू की प्रेम कहानी पर आधारित थी।

बहन की वजह से दिलीप कुमार संग खराब हुआ रिश्ता

'लव एंड गॉड' पर जब के आसिफ काम शुरू कर रहे थे, उस दौरान 'मुगल-ए-आजम' में उनके हीरो रहे दिलीप कुमार से उनके रिश्तों में खटास आ गई। आसिफ ने दिलीप कुमार की बहन से शादी कर ली थी, जबकि वो पहले से शादीशुदा थे। बस इस बात को लेकर दिलीप कुमार इस शादी से नाराज हो गए। ऐसे में कासिफ को अपनी फिल्म के लिए एक नए हीरो की तलाश थी।

गुरू दत्त बने फिल्म के पहले हीरो

'लव एंड गॉड' के लिए आसिफ की खोज दिग्गज अभिनेता गुरु दत्त पर जाकर खत्म हुई। फिल्म में मजनू के किरदार के लिए अभिनेता ने भी हामी भर दी। वहीं, लैला के रोल के लिए निम्मी को चुना गया। इसके साथ ही शुरु हुआ बॉलीवुड की इस बदकिस्मत फिल्म का सफर, जिसे बनने में इतना लंबा वक्त ले लिया, जितना शायद ही किसी और फिल्म ने लिया हो।

खत्म हुआ गुरू दत्त का सफर

1963 में 'लव एंड गॉड' का काम तेजी से आगे बढ़ रहा था। आसिफ फिल्म के क्लाइमैक्स में जन्नत का सीन दिखाना चाहते थे, इसके लिए उन्होंने सेट बनाना भी शुरू कर दिया था। वहीं, दूसरी तरफ फिल्म के हीरो गुरु दत्त की निजी जिंदगी में उथल- पुथल मची हुई थी। अकेलेपन और शराब की लत ने उन्हें तबाह कर दिया था। 10 अक्टूबर, 1964 को गुरू दत्त के निधन की खबर ने पूरे देश को शोक में डूबा दिया।

फिल्म को मिला नया चेहरा

'लव एंड गॉड' अनाथ हो गई थी, लेकिन डायरेक्टर ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने हीरो के लिए नए चेहरे की खोज जारी रखी, जो संजीव कुमार पर जाकर खत्म हुई। गुरुदत्त के निधन के लगभग चार साल बाद 1969 में संजीव कुमार के साथ एक बार फिल्म 'लव एंड गॉड' की शूटिंग शुरू हुई। जैसे- जैसे फिल्म का काम आगे बढ़ा आसिफ और संजीव कुमार के बीच दोस्ती होने लगी, जो गहरी होती गई।

संजीव कुमार की शादी का वादा

संजीव कुमार ने दिवंगत रेडियो अनाउंसर अमीन सयानी को 1974 में दिए अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि के कासिफ का उन पर गहरा प्रभाव था। यहां तक कि अभिनेता की मां को अपने बेटे से कुछ करवाने के लिए कासिफ से कहलवाना पड़ता था। संजीव कुमार की मां ने एक बार कासिफ से उन्हें शादी के लिए मानने को कहा था। इस पर उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि एक बार उनकी फिल्म पूरी होने दें, फिर वो खुद संजीव कुमार की शादी करवाएंगे, वो भी अपने खर्चे पर। हुआ भी ऐसा ही, न फिल्म बन पाई और न संजीव कुमार की कभी शादी हुई।

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रूह कंपा देने वाली घटना

'लव एंड गॉड' की शूटिंग दोबारा शुरू ही हुई थी कि एक और मौत हो गई। इस बार डायरेक्टर के आसिफ चल बसे। मार्च 1971 में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि आसिफ राजस्थान में फिल्म की शूटिंग के दौरान हजरत सूफी हमीदुद्दीन बाबा की दरगाह पर गए थे। यहां पर उन्हें एक साया दिखाई पड़ा, जिसने उन्हें फिल्म के लिए जन्नत न बनाने की सलाह देते हुए कहा, "जन्नत केवल खुदा बना सकता है। अगर तुम मेरी बात नहीं मानोगे, तो तुम्हें नजीता भुगतना होगा।" हालांकि, इस घटना को गंभीरता से नहीं लिया और जन्नत के लिए सेट बनाना जारी रखा।

शूटिंग के बीच चल बसे निर्देशक

के आसिफ के निधन के बाद 'लव एंड गॉड' का पूरा होना नामुमकिन हो गया। फिर भी फिल्म के हीरो संजीव कुमार ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की। दोस्ती की फिल्म को पूरा करने के लिए उन्होंने फिल्ममेकर केसी बोकाडिया से संपर्क किया। 'लव एंड गॉड' का रुका हुआ काम फिर से शुरू हो गया। संजीव कुमार ने तहखाना वाले हिस्से की शूटिंग भी कर ली थी और डबिंग के लिए बीआर डबिंग थिएटर भी जाने लगे थे।

संजीव कुमार का निधन

सुमंत बत्रा और हनीफ जावेरी ने अपनी किताब, एन एक्टर्स एक्टर: द ऑथराइज्ड बायोग्राफी ऑफ संजीव कुमार में 'लव एंड गॉड' के बारे में बताया है। उन्होंने इस फिल्म को शुरुआत से ही बदकिस्मत करार दे दिया, जो एक बार फिर सच हुआ। तेजी से आगे बढ़ती 'लव एंड गॉड' की शूटिंग के बीच संजीव कुमार बीमार पड़ गए, इसके तुरंत बाद 1985 में 47 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। 'लव एंड गॉड' के लिए अभिनेता का आखिरी डब किया डायलॉग था- "मैंने नमाज अदा कर ली है लैला के दामन पर।"

डिब्बा बंद होने की आई नौबत

'लव एंड गॉड' के निर्देशक और दो अभिनेताओं की मौत के बाद बोकाडिया ने फिल्म को डिब्बा बंद होने से बचाते हुए काम को जारी रखा। संजीव कुमार के बॉडी डबल के साथ शूटिंग आगे बढ़ी। ऐसे में के आसिफ के कुछ सुरक्षित रखे हुए सीन काम आ गए, इनमें जन्नत के कुछ फाइनल कट और कुछ गुरू दत्त के शॉट शामिल थे। 'लव एंड गॉड' में संजीव कुमार और गुरु दत्त दोनों एक सीन को निभाते हुए देखे जा सकते हैं।

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23 साल बाद आखिर हुई रिलीज

'लव एंड गॉड' में संजीव कुमार की आवाज के लिए सिंगर सुभाष भोसले को चुना गया, क्योंकि उन्होंने पहले संजीव कुमार की फिल्म कत्ल को डब किया था।  इस तरह गिरते- पड़ते, संभलते लगभग 23 साल बाद 'लव एंड गॉड' 1986 में रिलीज हुई। फिल्म में संजीव कुमार और निम्मी के साथ प्राण, सिमी ग्रेवाल और अमजद खान नजर आए। 'लव एंड गॉड' का हिस्सा अमजद खान के पिता जयंत भी थे, लेकिन फिल्म की रिलीज से पहले 1975 में उनका भी निधन हो गया।  


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