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    ये है Kashmir 2.0: कश्मीर की फिजाओं में लाइट्स, कैमरा और एक्शन की आवाज

    साल 2019 में कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद वहां के रास्ते पर्यटकों से लेकऱ शूटिंग के लिए पूरी तरह से खुल गए हैं। कश्मीर की फिजाओं में लाइट्स कैमरा एक्शन की आवाज अब आम बात होती जा रही है।

    By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Thu, 04 Aug 2022 09:33 PM (IST)
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    वेब सीरीज आधा इश्क के कास्ट और क्रू ने गुलमर्ग में शूटिंग की।

    प्रियंका सिंह, दीपेश पांडेय। इस जमीं से आसमां से...फूलों के इस गुलसितां से... जाना मुश्किल है यहां से... कश्मीर की खूबसूरती को गीतकार आनंद बक्शी ने अपने इस गीत में बयां किया था। वाकई कश्मीर में जाने के बाद वहां से आना मुश्किल है। तभी तो आम इंसान से लेकर सिनेमा तक हर कोई कश्मीर को एक्सप्लोर कर रहा है। आज अनुच्छेद 370 को हटाए हुए तीन साल हो गए हैं।

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    जम्मू और कश्मीर के लिए बनाई गई फिल्म नीति का लाभ फिल्ममेकर्स उठा रहे हैं। सरकार भी जम्मू-कश्मीर में फिल्म उद्योग को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। फिल्ममेकर्स इस बात से खुश हैं कि अब कश्मीर की कहानियां, वहां की समृद्ध संस्कृति भी फिल्मों में विश्वसनीयता से दिखाया जा पा रहा है। कश्मीर को किसी और जगह से चीट नहीं करना पड़ रहा है। तीन साल में कश्मीर सिनेमा के लिहाज से काफी बदला है, वहां पर कई वेब सीरीज, म्यूजिक वीडियो और फिल्में शूट हुई हैं। पिछले 10 सालों का रिकॉर्ड तोड़ते हुए भारी तादात में पर्यटक इस साल कश्मीर पहुंचे हैं।

    खुली बाहों से स्वागत

    फिल्म नीति 2021 के लांच के दौरान राजकुमार हिरानी ने वहां एक वेब सीरीज शूट करने की बात कही थी, जिसमें उनके बेटे वीर हीरानी अभिनय करने वाले थे, जबकि निर्माण की जिम्मेदारी महावीर जैन के कंधों पर थी। तीन साल बाद वहां शूटिंग को लेकर महावीर जैन कहते हैं कि पिछले करीब एक साल में कश्मीर में कई हिंदी और दक्षिण भारतीय फिल्में शूट हुई हैं। मुझे लगता है आने वाले समय में और भी कई फिल्में शूट होगी। वहां शूटिंग को लेकर कश्मीर की सरकार और लोग दोनों ही बहुत ज्यादा उत्सुक है। वहां पर सरकार शूटिंग के लिए निर्माताओं का खुली बांहों से स्वागत कर रही है कि आप आइए, शूटिंग कीजिए, कोई चिंता की बात नहीं है। इसके अलावा फिल्म इंडस्ट्री के लोग भी वहां शूटिंग को लेकर काफी उत्साहित हैं, क्योंकि कश्मीर वर्षों से शूटिंग के लिए निर्माताओं की पसंदीदा जगह रही है।

    बीच में एक ऐसा दौर आया कि जब वहां शूटिंग करने में दिक्कतें आने लगी। लेकिन पिछली सदी के सातवें और आठवें दशक में तो लोग महीनों वहां शूटिंग किया करते थे। अब वहां की सरकार खुले दिल के साथ स्वागत कर रही है और हर संभव सहयोग प्रदान कर रही है। ताकि वहां सिनेमा की संस्कृति और ज्यादा बढ़े तथा वहां के लोगों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिल सके। अनुच्छेद 370 हटाया जाना एक स्वागत योग्य निर्णय रहा। ज्यादातर निर्माता अब वहां कुछ ना कुछ शूटिंग करने की योजना बना रहे हैं। कोरोना वायरस को देखते हुए अब तक मामला थोड़ा ठंडा था, लेकिन अब वहां शूटिंग में काफी तेजी देखने को मिलेगी। इससे पहले व्यक्तिगत तौर पर तो मैंने वहां पर शूटिंग नहीं की थी, लेकिन मेरे कुछ दोस्तों ने किया है और उनके अनुभव बहुत अच्छे रहे हैं। वहां पर गाने बहुत ज्यादा शूट हो रहे हैं। वहां शूटिंग करने वाला हर शख्स मुझसे यही कहता है यार कश्मीर से ज्यादा खूबसूरत और कुछ है ही नहीं।

    छोटे-बड़े निर्माताओं को मिली मदद

    इंडियन फिल्म एंड टेलीविजन डारेक्टर्स असोसिएशन के अध्यक्ष और निर्माता अशोक पंडित कहते हैं कि सिर्फ कश्मीर में ही नहीं जम्मू के आसपास के लोकेशन्स को भी मेकर्स अब पसंद कर रहे हैं। वहीं भी शूटिंग हो रही है। फिल्म इंडस्ट्री ने कोविड के बाद से वहां पर जाना शुरू कर दिया है। अंतरराष्ट्रीय फिल्मों को भी कश्मीर लुभा रहा है, वहां पर उनकी शूटिंग भी हो रही है। सब्सिडी और सुरक्षा दोनों ही बड़ी वजहें हैं, जिसने निर्माताओं को कश्मीर की ओर आकर्षित किया। उससे काफी मदद हो रही बड़े निर्माताओं का जहां पैसा बच रहा है, वहीं छोटे निर्माताओं के लिए सब्सिडी की वजह से खूबसूरत लोकेशन मिल पा रहा है। उन्हें सरकार की तरफ से कई फायदे मिल रहे हैं। आए दिन वहां निर्माता लोकेशन रेकी के लिए पहुंच रहे हैं। सिनेमा का जो एक माहौल पहले था, वह जम्मू-कश्मीर में बनने लगा है। जो वहां का बॉर्डर एरिया है, जैसे राजौरी, भदरवा वहां पर निर्माताओं ने फिल्मों की शूटिंग के लिए जाना शुरू कर दिया है। सिर्फ हिंदी फिल्में ही नहीं बल्कि दूसरी कई भाषाओं वाली फिल्में भी शूट हो रही हैं। कोई-कोई तो एक गाना ही शूट करके आ जाता है। एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री से जुड़े शो, सेमिनार्स भी होने लगे हैं। हम वहां पर अवॉर्ड समारोह करने की योजना भी बना रहे हैं। तीन सालों में लोगों का आत्मविश्वास वहां जाने को लेकर बढ़ गया है।

    कश्मीरी युवाओं में प्रतिभा और भूख है

    सलमान खान निर्मित फिल्म नोटबुक में कश्मीर की खूबसूरती बड़े पर्दे तक पहुंचाने का श्रेय इस फिल्म के सिनेमैटोग्राफर मनोज कुमार खतोई को जाता है। पिछले साल उन्होंने वहां पर कुछ विज्ञापन भी शूट किए हैं। दिसंबर में वह कश्मीर में एक शॉर्ट फिल्म भी शूट करने की तैयारी में हैं। मनोज ने साल 2019 में नोटबुक की शूटिंग कश्मीर में की थी, जिसके कुछ वक्त के बाद अनुच्छेद 370 हटा दिया गया है। उन्होंने वहां के स्थानीय लोगों के साथ काफी काम किया था। मनोज कहते हैं कि वहां के युवाओं में काम करने को लेकर एक भूख है। वहां की युवा पीढ़ी बहुत सतर्क, तेज और प्रतिभाशाली है। उनको पता है कि काम करने से ही आगे काम मिलेगा। काम में पैसे भी मिलते हैं, ऐसे में उनको उसकी वैल्यू पता है। कई युवा लड़के हमारे साथ मुंबई में काम कर रहे हैं। कई प्रोजेक्ट में काम करके वापस चले जाते हैं।

    नोटबुक फिल्म के निर्देशक नितिन कक्कड़ को फिल्म को मुंबई में शूट नहीं करना चाहते थे। वह वहां के लोग, कॉस्ट्यूम्स, संस्कृति इन चीजों को फिल्म में दिखाना चाह रहे थे। वहां पर पेशेवर लोग थे। हमें वहां डल लेक पर एक फ्लोटिंग स्कूल बनाना था। लोकल लोगों ने ही सपोर्ट किया और मजबूत फ्लोटिंग स्कूल बना दिया। उन्होंने कहा कि यह स्ट्रॉन्ग है आराम से शूट करिए। लोकल लोगों की मदद के बिना वहां आप कोई काम नहीं कर पाएंगे। शूटिंग की परमिशन लेने में भी कोई दिक्कतें नहीं आई थीं। हर डिपार्टमेंट में लोकल लोग काम कर रहे थे। कमाल की बात तो यह कि मेरे साथ एक-दो इंटरन्स थे, जिन्होंने पहले ही मुझसे संपर्क कर लिया था कि क्या वह मुझे ज्वाइन कर सकते हैं। वह खुश हैं कि उन्हें मौके मिल रहे है। विज्ञापन की शूटिंग के लिए जब मैं कबीर खान के साथ कश्मीर गया था, तब ऐसा लगा कि कश्मीर कितना बड़ा है, कितनी जगहों को अब तक एक्सप्लोर ही नहीं किया गया है। वहां के लोगों ने हमारा स्वागत गर्मजोशी से किया था। उन्हें हमसे उम्मीदें थीं, वह खुश थे कि शूटिंग में तेजी आई है। उस वक्त ऐसा लगा कि हम क्यों लेट हो गए यहां आने में। मेरी अगली शॉर्ट फिल्म के लिए मैं और मेरे निर्देशक ही बस मुंबई से जा रहे हैं। बाकी पूरा कश्मीर का लोकल क्रू होगा। 15-20 दिन का शूट है। कहानी वहीं की है।

    दोनों तरफा है मामला

    गुडलक जेरी फिल्म के निर्देशक सिद्धार्थ सेन डेढ़ साल पहले ही कश्मीर गए थे। उनका कहना है कि मैं वहां जिन लोगों से भी मिला, वह यही कहते थे कि आइए साथ शूटिंग करेंगे। सिनेमाघर और रंगमंच खोलकर इस खूबसूरत जगह को बढ़ावा देना चाहिए। जॉब्स बढ़ेंगे, तो उनके साथ एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री को भी फायदा होगा। यह मामला दो तरफा है। हम वहां की लोकेशन, लोगों, संस्कृति पर भी सिनेमा बनाने चाहते हैं, वहीं वहां के लोग भी चाहते हैं कि उन्हें काम मिले। दोनों का ही फायदा भी इसी में है कि साथ मिलकर काम किया जाए। मैं अगर कुछ बनाना चाहूंगा तो वह रोमांटिक फिल्म नहीं, बल्कि कुछ कॉमेडी के जोन में होगा। रोमांस कश्मीर में हम देख चुके हैं। मुझे कश्मीर के बैकड्राप पर एक कॉमेडी फिल्म देखनी है। हमने कश्मीर को जिस तरह से फिल्मों में अब तक दिखाया है, उसे बदलना बहुत जरूरी है। वहां पर भी तो लोग रहते हैं, उनकी भी कुछ कहानियां होंगी, जो मजेदार होंगी, खोसला का घोसला फिल्म जैसी हल्की-फुल्की कॉमेडी फिल्में वहां की पृष्ठभूमि पर बननी चाहिए।

    कोने-कोने में बनेंगे मिनी थिएटर

    इस साल पर्यटन के मामसे में भी कश्मीर आगे रहा है। पिछले दस साल का रिकॉर्ड्स तोड़ते हुए केंद्र सरकार की ओर जारी आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष के शुरुआती छह महीनों में लगभग 1.5 करोड़ पर्यटक कश्मीर घूमने पहुंचे हैं। ऐसे में उन पर्यटकों और वहां रहने वाले लोगों के लिए एंटरटेनमेंट की व्यवस्था भी की जा रही है। बकौल अशोक पंडित, ‘पर्यटकों को होटलों में रहने के लिए जगह नहीं मिल रही है। इतने लोग कश्मीर आ रहे हैं। यह अच्छा संकेत है। हम वहां फिल्म फेस्टिवल करने की तैयारी में भी है, जहां एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री से जुड़े लोग पहुंचें। जल्द ही सिनेमा हाल भी शुरू हो जाएंगा। हमारी कोशिश यही है कि जितने भी पर्यटन स्थल हैं, वहां कोने-कोने में मिनी थिएटर बनाएंगे, ताकि पर्यटक और वहां रहने वाले लोग सिनेमा का मजा ले सकें। मास्टर क्लासेस खोलने की दिशा में मैं पहले से की काम कर रहा हूं।

    मोहब्बत की जगह है कश्मीर

    कश्मीर की पृष्ठभूमि पर अब तक ज्यादातर फिल्मों में आतंकवाद, प्रताड़ना, सैन्य अभियान या बगावत की कहानियां दिखाई जाती रही हैं। बदलते माहौल में अब वहां की प्रेरक और मोहब्बत से भरी अलग-अलग कहानियां सिनेमा में जगह बना रही हैं। इस विषय पर महावीर कहते हैं, ‘कश्मीर हिंदुस्तान की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है, जिसे धरती का स्वर्ग भी कहा जाता है। वहां की खूबसूरती देख कर मन खुश हो जाता है। मुझे लगता है ऐसी खूबसूरत जगहों की लव स्टोरीज दिखाई जानी चाहिए, क्योंकि कश्मीर के लोग बहुत अच्छे हैं और उनके मेहमाननवाजी भी बहुत अच्छी है। वह मोहब्बत करने वाले लोग हैं और उनकी मोहब्बत की कहानियां लोगों के सामने लाई जानी चाहिए। मुझे प्यार के मामले में कश्मीर सबसे खूबसूरत जगह लगती है।

    जम्मू-कश्मीर फिल्म नीति – 2021 की घोषणा के बाद एक साल से भी कम समय में 120 से अधिक फिल्मों की शूटिंग की अनुमति अब तक जम्मू-कश्मीर के लिए दी जा चुकी है। इनमें हिंदी के साथ, पंजाबी, दक्षिण भारतीय फिल्में शामिल रहे।