Back Image

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    ये थी भारत की पहली रंगीन फिल्म, इतिहास रचने से चूक गए थे बड़े फिल्ममेकर

    Updated: Tue, 21 Oct 2025 07:30 AM (IST)

    भारतीय सिनेमा का इतिहास कई उतार-चढ़ावों और दिलचस्प किस्सों से भरा रहा है। 1913 की राजा हरिश्चंद्र फिल्म से शुरू हुए सफर में कई फिल्मों ने इतिहास रचा। जिनमें एक ऐसी फिल्म भी शामिल है जो भारत की पहली रंगीन फिल्म बनकर उभरी। 

    Hero Image

    ये थी भारत की पहली कलर फिल्म

    एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। राजा हरिश्चंद्र के साथ भारतीय सिनेमा की नींव पड़ी, इसके बाद कई फिल्में बनीं लेकिन ब्लैक एंड व्हाईट। 1913 से शुरु हुआ सिनेमाई दौर तीन दो दशकों तक ब्लैक व्हाईट फिल्मों का ही रहा। फिर 1937 में भारत की पहली कलर फिल्म बनाई गई जो एक मील का पत्थर साबित हुई।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ये थी भारत की पहली रंगीन फिल्म

    1937 में रिलीज हुई किसान कन्या को भारत में बनी पहली स्वदेशी रंगीन फिल्म माना जाता है। मोती बी. गिडवानी द्वारा निर्देशित और अर्देशिर ईरानी द्वारा निर्मित, इस फिल्म ने भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक नया मोड़ ला दिया। फिल्म को सिनेकलर तकनीक का उपयोग करके बनाया गया था, जिसके लिए उपकरण और तकनीक जर्मनी से आयात की गई थी। उस समय, रंगीन फिल्म की शूटिंग के लिए पैसे भी बहुत चाहिए थे। इसीलिए फिल्मों की रीलों को विदेश भेजा जाता था, फिर एडिटिंग और रिलीज के लिए भारत वापस लाया जाता था।

    kisan kanya (1)

    मील का पत्थर साबित हुई फिल्म

    किसान कन्या का अर्थ है किसान की बेटी। यह फिल्म गरीब किसानों की दुर्दशा और ग्रामीण समुदायों के संघर्षों पर बनी थी। ऐसे में इसमें दिखाए गए रंगीन दृश्य दर्शकों के दिलों में बैठ गए। सामाजिक रूप से जागरूक कहानी ने भी ध्यान आकर्षित किया। रंगीन प्रिंट बनाने की ऊंची लागत के कारण, उस दौर की ब्लैक एंड व्हाईट फिल्मों की तुलना में किसान कन्या को लिमिटेड स्क्रीन ही मिल पाई। इसे केवल कुछ ही सिनेमाघरों में दिखाया जा सका, जिससे यह एक ब्लॉकबस्टर से ज्यादा एक मील का पत्थर साबित हुई।

    kisan kanya (2)

    हालांकि किसान कन्या कोई बड़ी व्यावसायिक सफलता नहीं थी, लेकिन इसने फिल्म निर्माताओं के लिए रंगों के साथ प्रयोग करने के द्वार खोल दिए। इसने भारत की पहली टेक्नीकलर ब्लॉकबस्टर, आन (1952) जैसी भविष्य की क्लासिक फिल्मों के लिए मंच तैयार किया। आज, किसान कन्या को उस फिल्म के रूप में याद किया जाता है जिसने भारतीय दर्शकों को रंगीन सिनेमा की पहली झलक दिखाई।

    इतिहास रचने से चूक गए थे वी शांताराम

    उस दौर के बड़े फिल्म मेकर्स में से एक वी शांताराम भारत की पहली रंगीन फिल्म बनाना चाहते थे। हालांकि किसी वजह से उनकी फिल्म यह तमगा हासिल नहीं कर सकी, इसके पीछे की वजह फिल्म के कुछ कामों में देरी होना था। इस तरह किसान कन्या भारत की पहली रंगीन फिल्म बनकर उभरी।