Kesari 2: अक्षय कुमार ने 4 घंटे तक कैमरा रोल नहीं करने दिया.. फिर आया वो सीन, जब पूरा सेट हो गया भावुक
वकालत छोड़कर बॉलीवुड में कदम रखने वाले फिल्म केसरी 2 निर्देशक करण सिंह त्यागी ने इस फिल्म की कहानी चुनने और शूटिंग के दौरान के अपने एक्सपीरिएंस शेयर किए। करण बताते हैं कि अक्षय कुमार ने क्लाइमेक्स सीन से पहले चार घंटे तक कैमरा रोल ही नहीं होने दिया। फिर आया एक ऐसा सीन जिसे देख सेट पर सभी लोग हो गए भावुक। पढ़ें..
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। पिछले सप्ताह रिलीज हुई फिल्म 'केसरी चैप्टर 2 : द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ जलियांवाला बाग' अब तक बॉक्स ऑफिस पर 39.16 करोड़ रुपये की कमाई कर चुकी है। अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म का निर्देशन मेरठ से ताल्लुक रखने वाले करण सिंह त्यागी ने किया है। बतौर निर्देशक यह उनकी पहली फिल्म है। पेशे से वकील रहे करण ने इस फिल्म के लिए अपना पेशा छोड़ दिया।
फिल्म बनने के पीछे की क्या कहानी है?
करण सिंह त्यागी कहते हैं,
'मध्यम वर्गीय परिवार से आता हूं तो उस चक्कर में एलएलबी की पढ़ाई की। फिर नौकरी लगी। कभी ताकत नहीं जुटा पाया था कि बॉलीवुड में चलते हैं। अमेरिका में अच्छी खासी नौकरी चल रही थी। मैंने 'द केस दैट शुक द एंपायर' किताब पढ़ी थी। लगा पहली फिल्म यही होनी चाहिए। फिर लगा कि अब नहीं कोशिश की, तो कभी नहीं कर पाऊंगा।
मैं चाहता था कि सी शंकरन नायर की बहादुरी की कहानी दुनिया तक पहुंचे। मैंने बॉस से कहा कि एक साल चाहिए। मैंने स्क्रिप्ट लिखनी शुरू की। उस दौरान मेरी मुलाकात अमृतपाल सिंह बिंद्रा से हुई। वह सह लेखक और निर्माता के तौर पर जुड़ गए। उन्होंने ही करण जौहर से मिलवाया था।
दस वकीलों का मिश्रण था माधवन का रोल
फिल्म में आर माधवन वकील नेविल मैककिनले की किरदार में थे। करण सिंह त्यागी बताते हैं कि हर हीरो को एक विलेन चाहिए होता है, जो उसे एकदम कड़ी चुनौती दे पाए।
वास्तविक जीवन में दस वकील थे, जिन्होंने केस लड़ा था। हमने उन्हें जोड़कर एक किरदार बनाया। नेविल को एक निजी कारण दिया, जिससे वह शंकरन को हरा सके। जब लड़ाई निजी होती है तो वह व्यक्ति कोई मौका नहीं छोड़ेगा, लड़ाई जीतने के लिए।
फिल्म के क्लाइमेक्स को हमने दो दिन में शूट किया था। अक्षय सर जब शूट पर आए तो बोले चार घंटे तक कैमरा रोल नहीं करेंगे, हम सिर्फ रिहर्सल करेंगे। फिर चार घंटे बाद कैमरा शुरू किया गया। उनका मोनोलाग बहुत पावरफुल रहा। -करण सिंह त्यागी, डायरेक्टर, केसरी 2
फिल्म क्या अलग है?
फिल्म में काफी सिनेमाई लिबर्टी ली गई है। यह मुकदमा मानहानि से संबंधित था, जिसमें जलियांवाला बाग नरसंहार का जिक्र था। मुकदमा लंदन में लड़ा गया था पर उसका जिक्र नहीं है।
इस पर करण कहते हैं, 'वह केस कई महीनों तक चला था। उसे दो घंटे की फिल्म में डालना कठिन था। जनरल डायर ने गोलियां चलवाई तो पंजाब के गवर्नर माइकल ओ डायर ने खबर को दबाने में पूरी ताकत लगा दी।
इस केस को आधा पंजाब और आधा लंदन में लड़ा गया था। अगर पूरा केस लंदन में दिखाते तो हमारी फिल्म हिंदी में नहीं बन पाती।
जब सेट पर सभी हो गए भावुक
इस सीन को शूट करना करण के लिए कठिन रहा। वह कहते हैं, 'मुझ पर दबाव था, क्योंकि सरदार उधम व गांधी में वह सीन बेहतरीन तरीके से शूट हुआ है। हमें कुछ नया करना था, इसलिए हमने इस नरसंहार को एक बच्चे के नजरिये से दिखाया। जब बच्चा अपनी बहन की लाश लेकर चल रहा था, तो सेट पर सभी भावुक हो गए थे।'
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