Alia Bhatt से तुलना पर खुश होती हैं Baby John एक्ट्रेस, बताया Akka सीरीज में कैसा होगा किरदार?
साउथ सिनेमा में शानदार अभिनय के लिए कीर्ति सुरेश (Keerthy Suresh) जानी जाती हैं। उन्होंने बेबी जॉन फिल्म से बॉलीवुड में डेब्यू किया है। इसके बाद वह अपकमिंग वेब सीरीज अक्का से ओटीटी की दुनिया में कदम रखने जा रही हैं। एक्ट्रेस ने अपने हिंदी सिनेमा के अनुभव पर खुलकर बात की है। साथ ही आलिया के साथ तुलना होने पर रिएक्शन दिया है।
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। फिल्म ‘बेबी जान’ से हिंदी सिनेमा में प्रवेश कर चुकी दक्षिण भारतीय अभिनेत्री कीर्ति सुरेश (Keerthy Suresh) अब वेब सीरीज ‘अक्का’ कर रही हैं। अपने सफर, हिंदी फिल्मों से लगाव और पैपराजी कल्चर के बारे में एक्ट्रेस ने खुलकर बात की है।
हिंदी सिनेमा के प्रति आपका कैसा आकर्षण रहा है?
हिंदी फिल्मों के प्रति मेरा लगाव मां की वजह से आरंभ हुआ। मां और दादी अमिताभ बच्चन सर की बहुत बड़ी फैन हैं। मां अपनी पसंदीदा फिल्में घर पर ही देखती थीं, तो हम बहुत सारी फिल्में देखते थे। मुझे लगता है कि शायद पहली हिंदी फिल्म जो मैंने घर पर देखी, वह ‘शोले’ थी। वहीं से मेरा हिंदी फिल्मों के प्रति लगाव आरंभ हुआ। जब आप कलाकार बनते हैं, तो निश्चित रूप से हर तरह की फिल्में देखते हैं।
भाषा पर पकड़ को एक्टिंग में कितना जरूरी मानती हैं?
हां, मैं मलयालम, तमिल, तेलुगु, अंग्रेजी और हिंदी बोल लेती हूं। हम हमेशा कहते हैं कि भाषा अवरोध होती है, लेकिन यह तब तक बाधा नहीं है जब तक हम किसी संस्कृति और भावनाओं को समझ नहीं जाते हैं। मैं हमेशा से तमिल और मलयालम फर्राटे से बोल लेती हूं क्योंकि यह मेरे घर पर बोली जाती हैं। मेरी मां तमिल भाषी हैं, जबकि पिता मलयालम भाषी हैं। जब मैंने तेलुगु सिनेमा में काम करना शुरू किया, तो तेलुगु भी सीखी। हर तरह के सिनेमा में फिल्म बनाने की प्रक्रिया समान होती है। बस एक बार आप इमोशन को समझ गए तो बाकी चीजें आसान हो जाती हैं। जब आप भाषा को जान लेते हैं, तो भावनाओं को बेहतर तरीके से दर्शा पाते हैं। इसलिए भाषा बाधा नहीं, बल्कि एक बोनस है। मैं खुश हूं कि मैं कई भाषाओं से परिचित हूं।
Photo Credit- Instagram
ये भी पढ़ें- Aamir Khan के अलावा किसी दूसरे एक्टर को Christmas पर नहीं मिली सफलता, शाह रुख खान, Salman भी रह गए पीछे
वायलिन बजाना आपने कब सीखा?
मैं छठी कक्षा से वायलिन सीख रही थी। मैं क्लासिकल वायलिन बजाती थी। यह काफी कठिन वाद्ययंत्र होता है, इसलिए मैं इसे सीखना चाहती थी। मैं 12वीं कक्षा तक इसे मंदिरों के पास होने वाले उत्सवों में हर साल बजाती रही। इसे बजाकर अच्छा लगता था। चेन्नई में कॉलेज आने के बाद मेरा वायलिन से नाता छूट गया। अब मेरा लक्ष्य कुछ समय निकालकर वायलिन बजाने का भी है, साथ ही कुछ नए वाद्ययंत्र सीखने का भी है। मेरे पास वाद्ययंत्रों का अच्छा संग्रह है। दरअसल, मुझे वाद्ययंत्र पसंद हैं, इसलिए मेरे दोस्त भी उन्हें उपहार में देते हैं।
आप वेब सीरीज ‘अक्का’ भी कर रही हैं?
‘अक्का’ की फिलहाल आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, मगर हां, शो में मेरा बहुत सशक्त किरदार है, लेकिन उसके बारे में ज्यादा बात नहीं कर सकती।
मुंबई में आपको पैपराजी कल्चर कैसा लगा?
निश्चित रूप से यह ऐसा नहीं है जिसे आप प्रतिदिन चेन्नई या केरल में देखते हैं। हैदराबाद में थोड़ा बहुत है, लेकिन मुंबई में ज्यादा है। यह ऐसा है कि हम इसके आदी नहीं हैं, बल्कि आदत डाल रहे हैं। मुझे किसी नई चीज को आत्मसात करना अच्छा लगता है। इसके साथ भी मैं सहज हूं।
Photo Credit- Instagram
अगले पांच वर्षों में भारतीय सिनेमा को कहां पाती हैं?
कुछ साल पहले उत्तर भारत के कलाकार दक्षिण भारतीय सिनेमा में आते थे और दक्षिण के उत्तर में। अब ऐसा नहीं रहा। अब पैन इंडिया फिल्में बन रही हैं। हर कोई अलग-अलग इंडस्ट्री में काम कर रहा है। कोविड के बाद यह दूरी और कम हुई है। पांच वर्षों में फिल्में बेहतरीन तरीके से प्रदर्शन करेंगी।
आपको आलिया भट्ट भी कहा जाता है?
मैंने भी सुना है। खुश हूं क्योंकि बतौर इंसान और कलाकार मुझे भी वे बहुत पसंद हैं।
ये भी पढ़ें- Baby John OTT Release: ओटीटी पर छाने के लिए तैयार बेबी जॉन, कीर्ती सुरेश के लिए जरूर देखनी चाहिए फिल्म
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।