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    Kay Kay Menon ने कहा- Sherlock Holmes से प्रभावित नहीं है शेखर होम, बंगाल के एक छोटे से शहर की है कहानी

    जासूसी के कॉन्सेप्ट पर कई सारी कहानियां लिखी और दिखाई गई हैं। अब सिल्वर स्क्रीन के साथ ही ओटीटी पर भी मिस्ट्री से भरे कॉन्सेप्ट आ चुके हैं। हाल ही में केके मेनन (KK Menon) शेखर होम नाम से एक सीरीज लेकर आए जोकि ओटीटी प्लेटफॉर्म जियो सिनेमा पर रिलीज हुई। इसमें बिग बॉस ओटीटी 3 के कंटेस्टेंट रहे रणवीर शौरी भी नजर आए।

    By Surabhi Shukla Edited By: Surabhi Shukla Updated: Sun, 25 Aug 2024 06:00 AM (IST)
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    के के मेनन शेखर होम वेब सीरीज

    स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। डिजिटल प्लेटफार्म ने कई कलाकारों को केंद्रीय भूमिका में जगह दी है। इन कलाकारों को अक्सर फिल्मों में साइड कैरेक्टर के तौर पर ही सीमित कर दिया गया था। उन्हीं में से एक हैं के. के. मेनन। इन दिनों जियो सिनेमा पर स्ट्रीम हो रहे शो ‘शेखर होम’ में वह जासूस बने नजर आ रहे हैं। हमारी जागरण संवावदाता ने एक्टर के किरदार और किस चीज ने उन्हें ये रोल करने के लिए प्रेरित किया इसको लेकर बात की। आइए जानते हैं बातचीत के कुछ अंश।

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    जो सम्मान फिल्मों के जरिए मिलना चाहिए था वह ओटीटी प्लेटफार्म ने दिया?

    मैं कहना चाहूंगा कि ओटीटी प्लेटफार्म को प्रतिभा पहचानने की परख है। मुझे तो यहां काम करने में आनंद आ रहा है। यहां आपकी परफार्मेंस पर ज्यादा फोकस होता है। यहां आपकी छवि उतना काम नहीं करती, जितना फिल्मों में करती है, जो अच्छी बात है। यहां आपको कहानी विस्तार से कहने का मौका मिलता है तो किरदार को बेहतर तरीके से दिखा सकते हैं।

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    ‘शेखर होम’ से जुड़ने की क्या वजह रही?

    यह ओरिजनल फिक्शनल सीरीज है जो आर्थर कानन डायल की कहानियों से प्रेरित है। यह शरलाक होम्स (ब्रिटिश लेखक आर्थर कानन डायल द्वारा रचित काल्पनिक पात्र) नहीं है इसलिए इसका नाम शेखर होम है। यह पिछली शताब्दी के नौवें दशक के बंगाल के लोनपुर नामक छोटे से शहर की कहानी है।

    क्या धारावाहिक ‘ब्योमकेश बख्शी’ भी बंगाल की पृष्ठभूमि में बना जासूसी शो था?

    ब्योमकेश अलग किरदार था, शेखर अलग है। मैं हमेशा कहता हूं कि दो लोग अगर एक ही पेशे में हैं तो इसका अर्थ यह नहीं है कि दोनों समान हैं। दोनों की अपनी पहचान हैं। मैं पटकथा से प्रभावित रहता हूं, लेकिन किरदार क्या चाहता है यह सब उस पर निर्भर करता है। मैं यह जानता हूं कि वो स्क्रिप्ट अलग है। जासूसी पर देश-विदेश में कई शो बने हैं। बतौर दर्शक आप उसे पसंद कर सकते हैं, लेकिन बतौर कलाकार आपको अपना धर्म निभाना होता है।

    इंडस्ट्री में किन लोगों की जासूसी करना चाहेंगे ?

    कलाकारों के पेशे में एक अच्छी बात यह है कि आप वह सब कुछ कर सकते हैं, जिसे सामाजिक तौर पर लताड़ा जाएगा। जासूसी करना हो या खराब इंसान की भूमिका निभाना हो, उसे पर्दे तक सीमित रखता हूं। उसके बाहर नहीं जाता हूं, मुझे जासूस नहीं बनना है।

    पिछली शताब्दी के नौवें दशक को जीने के लिए किन चीजों को भूलना पड़ा ?

    आपको अपनी सीमाओं को तय करना होता है। उस जमाने का अलग रोमांच है। हर दौर का अपना चार्म होता है। इसमें किरदार के बारे में पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है। उसकी अपनी लय, ताल है, वह उस पर चलता है। थोड़ा सनकी है, मगर स्वाधीन है। उसके अंदर बहुत सारी चीजें हैं।

    आज के दौर में स्वाधीनता की कीमत समझना कितना जरूरी मानते हैं?

    स्वाधीनता की कीमत समझनी चाहिए। एक बार यह सोचकर देखना चाहिए कि अगर यह नहीं होता तो क्या होता। इसलिए ईश्वर ने स्वाधीनता समेत हमें जो भी दिया है, उसकी इज्जत करनी चाहिए। दूसरा, नई पीढ़ी स्वाधीनता के पीछे के संघर्ष, बलिदान और तप को नहीं जानती। उसके प्रति आदर और सम्मान बहुत जरूरी है। उन्हें नमन करना न भूलें। देश की उन्नति में अपना योगदान करें। अपना काम ईमानदारी से करें। यही देश के प्रति आपकी सच्ची भक्ति है।

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