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    'जलियांवाला बाग नरसंहार' पर फ़िल्म ला रहे करण जौहर, केस ने हिला दी थीं ब्रिटिश हुकूमत की चूलें, पढ़ें डिटेल्स

    By Manoj VashisthEdited By:
    Updated: Tue, 29 Jun 2021 05:15 PM (IST)

    करण ने इस फ़िल्म के एलान के साथ बताया कि फ़िल्म की कहानी सी शंकरन नायर पर आधारित होगी जिन्होंने जलियांवाला बाग नरसंहार का सच सामने लाने के लिए ब्रिटिश हकूमत से क़ानूनी लड़ाई लड़ी थी। यह केस निरंकुश सत्ता के सामने सच की लड़ाई के रूप में दर्ज़ है।

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    Karan Johar and the cover of the book. Photo- Instagram

    नई दिल्ली, जेएनएन। करण जौहर ने मंगलवार को एक ऐसी फ़िल्म का एलान किया, जो आम तौर पर धर्मा प्रोडक्शंस की पहचान नहीं है। करण अब भारतीय स्वतंत्रता के इतिहास के सबसे जघन्य अध्याय जलियांवाला बाग नरसंहार की कहानी को सिल्वर स्क्रीन पर लेकर आ रहे हैं।

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    करण ने इस फ़िल्म के एलान के साथ बताया कि फ़िल्म की कहानी सी शंकरन नायर पर आधारित होगी, जिन्होंने जलियांवाला बाग नरसंहार का सच सामने लाने के लिए ब्रिटिश हकूमत से क़ानूनी लड़ाई लड़ी थी। शंकरन नायर के इस साहस ने पूरे देश में आज़ादी की लड़ाई लड़ने वालों में एक नई जान फूंकी थी। यह केस इतिहास में एक निरंकुश सत्ता के सामने सच की लड़ाई के रूप में दर्ज़ है।

    इसकी कहानी द केस दैट शुक द एम्पायर (The Case That Shook The Empire) किताब से ली गयी है, जिसे शंकरन नायर के ग्रेट ग्रांडसन रघु पलट और उनकी पत्नी पुष्पा पलट ने लिखा है। फ़िल्म का निर्देशन करण सिंह त्यागी कर रहे हैं। फ़िल्म की शूटिंग जल्द शुरू की जाएगी। स्टार कास्ट का एलान भी जल्द होने वाला है। 

     

     

     

     

     

     

     

     

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    जलियांवाला बाग का इतिहास

    जलियांवाला बाग नरसंहार भारतीय स्वतंत्रता इतिहास की सबसे जघन्य और हिला देने वाली घटना है। इसे अमृतसर नरसंहार के नाम से भी जाना जाताहै। 13 अप्रैल 1919 को यह घटना हुई थी। स्वतंत्रता सेनानी डॉ. सैफुद्दीन किचलू और डॉ. सत्य पाल की गिरफ़्तारी के विरोध में अमृतसर के जलियांवाला बाग में बड़ी तादाद में भीड़ शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने पहुंची थी। इसे रोकने के लिए ब्रिटिश कमांडिंग ब्रिगेडियर-जनरल डायर ने अपने सिपाहियों से पूरा बाग घिरवा लिया था।

    बाग से निकलने का सिर्फ़ एक रास्ता था, क्योंकि बाग तीनों तरफ़ भवनों से घिरा हुआ था। एक ही निकास रोकने के बाद जनरल ने भीड़ पर गोलियां चलाने के आदेश दिये थे। गोलियों से बचने के लिए प्रदर्शनकारियों में भगदड़ मच गयी। ब्रिटिश सिपाही तब तक गोलियां चलाते रहे, जब तक कि गोलियां ख़त्म नहीं गो गयीं। इस क्रूरतम कार्रवाई में कम से कम 379 लोग मारे गये थे और 1200 से अधिक घायल हुए थे। इस हत्याकांड से रवींद्र नाथ टैगोर इतना विचलित हुए कि अपनी ब्रिटिश नाइटहुड की उपाधि का त्याग कर दिया।

    इस घटना का बदला लेने के लिए स्वतंत्रता सेनानी सरदार ऊधम सिंह ने 1940 में इसके मास्टर माइंड माने जाने वाले पंजाब के तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर माइकल ओ डायर को लंदन में जान से मार दिया था। सरदार ऊधम सिंह पर भी एक फ़िल्म बन रही है, जिसमें विक्की कौशल ऊधम सिंह के रोल में हैं और शूजित सरकार इसका निर्देशन कर रहे हैं।