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    'हॉलीवुड जैसा नहीं होना चाहिए हमारा भविष्य', Kalki 2898 AD के डायरेक्टर ने 'मार्वल' को टक्कर देने की कही बात

    नाग अश्विन के डायरेक्शन में बनी कल्कि 2898 एडी बॉक्स ऑफिस पर कमाई के नए - नए रिकॉर्ड बनाती जा रही है। साउथ की ये फिल्म पूरी दुनिया में बवाल मचा रही है। रिलीज के महज 10 दिनों में कल्कि 2898 एडी ने 500 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया है। वहीं वर्ल्डवाइड 1000 करोड़ क्लब में एंट्री करने वाली है।

    By Vaishali Chandra Edited By: Vaishali Chandra Updated: Mon, 08 Jul 2024 08:57 AM (IST)
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    'बेहतर होगा कि हम अपने सिनेमा को भारतीय सिनेमा बुलाएं' : नाग अश्विन

    स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। प्रभास, दीपिका पादुकोण और अमिताभ बच्चन अभिनीत फिल्म कल्कि 2898 एडी वैश्विक स्तर पर कमाई के मामले में एक हजार करोड़ रुपये का आंकड़ा छूने के करीब है। फिल्म की सफलता से इसके लेखक और निर्देशक नाग अश्विन खासे उत्साहित हैं। अब नजरें इस फिल्म के दूसरे पार्ट को लेकर हैं, जिसे आने में वक्त लगेगा। इस बीच फिल्म को लेकर नाग अश्विन ने खास बातचीत की...

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    आपने कितनी फिल्म समीक्षाओं को पढ़ा? बहुत लोगों ने कुछ पात्रों को लेकर सवाल भी उठाए हैं....

    समीक्षा से ज्यादा एक्स पर प्रतिक्रियाएं पढ़ी। निश्चित रूप से आलोचना में कहा गया है कि फिल्म कुछ जगह धीमी है, लेकिन उसी समीक्षा में अंत में फिल्म की तारीफ की गई है। थिएटर के बाहर आने पर कई लोग फिल्म का रिव्यू देते हैं, वो भी किसी कमी के बारे में बात करने के बाद फिल्म की तारीफ भी कर रहे हैं।

    बुज्जी को बनाने के बारे में कैसे सोचा ?

    बुज्जी तो हमारी फिल्म का पांचवां किरदार रहा। पहले तो उसे लिखने की प्रक्रिया रही। उसके बाद चुनौती उसे बनाने की थी। बुज्जी का विशुद्ध रूप से इंजीनियरिंग का सफर रहा। ऐसा वाहन अभी तक बनाया नहीं गया है। तीन पहियों के इस वाहन का वजन करीब छह टन है। बुज्जी फिलहाल भारत भ्रमण पर है। जयपुर, चंडीगढ़, दिल्ली गया। सब जगह उसे बहुत प्यार मिल रहा है। छोटे बच्चों को उससे बहुत प्रेरणा मिल रही है। बुज्जी को बनाने का सबसे अहम आइडिया ही बच्चों को प्रेरित करना था। उसे बनाने के लिए ऑटोमोबाइल कंपनी की मदद भी ली, क्योंकि हम लोग इंजीनियर नहीं हैं।

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    कल्कि की दुनिया को बनाने में कितना कुछ काम करना पड़ा?

    हम भविष्य के बारे में सोच रहे हैं। जैसे हॉलीवुड साइंस फिक्शन और भविष्य आधारित फिल्मों के बारे में सोच रहा है, हमारा भविष्य वैसा नहीं होना चाहिए। हमारी साइंस फिक्शन भविष्य आधारित फिल्म में भारतीयता होनी चाहिए। तो उसे कैसे बनाना है उसके बारे में काफी सोचना पड़ा कि हमारी काशी नगरी कैसी रहेगी? उसके वाहन कैसे होंगे? हमारी फिल्म में एक ऑटो है लेकिन वह भविष्य का ऑटो है। वो सभी भारतीयों के साथ जुड़ता है तो वैसी सोच थी।

    पहले दिन का शूट कैसा था ?

    पहले दिन की शूटिंग अमित सर (अमिताभ बच्चन) के साथ ही शुरू हुई। गुरु पूर्णिमा के दिन हमने शूट शुरू किया था तो बहुत खास शुरुआत थी। मुझे नहीं पता था कि कैसे बताऊं अमित सर को कैसे इस सीन में अभिनय करना है (मुस्कारते हुए), लेकिन अमित सर बहुत दरियादिल इंसान हैं। वह खुद से सुनना चाहते थे कि मैं पात्र के बारे में क्या बोलना चाहता हूं।

    क्या हालीवुड फिल्मों के प्रभाव के बीच अपनी मौलिक चीजों को ला पाना कठिन है ?

    निश्चित रूप से हमारी पीढ़ी और युवा पीढ़ी के लिए गर्व की बात होनी चाहिए कि यह हमारी फिल्म है, क्योंकि दस-पंद्रह साल से यह मार्वल स्टूडियो की फिल्में देख रहे हैं। पर वो सब कहानियां हालीवुड की हैं। हमारे पास पौराणिक कथाएं और इतिहास में ढेरों खूबसूरत कहानियां हैं, जब हम उन्हें सही तरीके से और उसी तकनीकी वैल्यू से बना सकते हैं तो निश्चित रूप से हमारी युवा पीढ़ी उसे पसंद करेगी।

    प्रभास को दो पार्ट की फिल्म के लिए मनाना आसान था ?

    शायद यह प्रभास की किस्मत है या कुछ और वो जो भी कहानियां चुनते हैं वो इतनी बड़ी होती हैं कि उन्हें दो पार्ट में बनाना पड़ता है, लेकिन हां पहले कल्कि को एक ही पार्ट में बनाने की योजना थी, लेकिन कहानी इतनी बड़ी है कि दो पार्ट में बनाना पड़ा। प्रभास को हमने पहले एक-दो बार कहानी सुनाई उसके बाद वह फिल्म से पूरी तरह जुड़ गए थे।

    कल्कि सही मायने में पैन इंडिया फिल्म हुई, क्योंकि इसमें अलग- अलग इंडस्ट्री के कलाकार और फिल्ममेकर्स को आपने संक्षिप्त भूमिका में कास्ट किया?

    इस फिल्म में एस एस राजामौली सर और राम गोपाल वर्मा का कैमियो से ज्यादा ट्रिब्यूट है, क्योंकि एक तरह से दोनों ने भारतीय सिनेमा इंडस्ट्री को बदला। मैंने सलमान दुल्कर के साथ पहले काम किया हुआ था। अब लोग कह रहे हैं कि पैन इंडिया शब्द धीरे-धीरे मिट जाएगा। साउथ में शाह रुख खान की फिल्में लोग बहुत देखते हैं। नॉर्थ में रजनी सर की फिल्में देखते हैं। जब हम एक इंडस्ट्री होंगे तब हम हॉलीवुड या मार्वल फिल्मों को टक्कर दे सकते हैं। बेहतर होगा कि हम अपने सिनेमा को भारतीय सिनेमा बुलाएं।

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