'ऐसी प्रोपेगेंडा फिल्में डरावनी...' विवेक अग्निहोत्री के प्रोटीन वाले बयान पर John Abraham ने किया पलटवार
John Abraham जॉन अब्राहम ने हाल ही में कहा कि हम एक हाइपर पॉलीटिकल माहौल में जी रहे हैं जहां धर्म समाज को बांट रहा है और कुछ फिल्में बिना किसी बारीकी के इसका फायदा उठाकर दर्शकों की संख्या बढ़ा रही हैं। उन्होंने विवेक अग्निहोत्री के प्रोटीन वाले बयान पर भी तंज कसा है।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। जॉन अब्राहम जिन्होंने हाल के वर्षों में कई जियोपॉलिटिकल थ्रिलर फिल्में की हैं। उन्हें पिछली बार जी5 की फिल्म तेहरान में देखा गया था। उन्होंने कहा कि फिल्में देशभक्ति से भरी हो सकती हैं बिना कट्टरवाद के। दरअसल इन दिनों विवेक अग्निहोत्री अपनी फिल्म द बंगाल फाइल्स को लेकर चर्चा में है और जॉन अब्राहम ने अग्निहोत्री की द कश्मीर फाइल्स पर तंज कसते हुए कहा था ऐसी फिल्में बिना बारीकी के बनाई जाती हैं और कट्टरवादी सोच के साथ बनती हैं।
जॉन ने फिर किया पलटवार
इसका जवाब देते हुए विवेक अग्निहोत्री ने पलटवार करते हुए कहा था कि उन्हें अपने प्रोटीन पर ध्यान देना चाहिए। सिनेमा पर कमेंट करने से वे दूर ही रहें तो अच्छा है। इस तरह जॉन और विवेक अग्निहोत्री के बीच तीखी बहस छिड़ गई और ये विवाद खड़ा हो गया। अब विवेक के इस कमेंट के बाद जॉन अब्राहम ने वापस पलटवार किया है उन्होंने पीटीआई से बात करते हुए कहा कि देशभक्ति वाली फिल्में बिना कट्टरवार के भी बन सकती हैं।
यह भी पढ़ें- Tehran फिल्म पसंद आई? देख डालिए OTT पर मौजूद ये 5 एक्शन थ्रिलर फिल्में, Imdb पर मिली है दमदार रेटिंग
जॉन अब्राहम ने अपनी फिल्म द डिप्लोमैट का हवाला देते हुए पीटीआई से कहा, ऐसी फिल्में होती हैं जो देशभक्ति से भरपूर होती हैं और बहुत सार्थक होती हैं। इस फिल्म में जॉन ने डिप्लोमैट जे पी सिंह की भूमिका निभाई थी, जिन्होंने पाकिस्तान से एक भारतीय महिला को बचाया था।
जॉन ने अपनी फिल्मों के दिए उदाहरण
एक्टर ने कहा, 'ऐसा इसलिए नहीं कि मैंने ऐसा किया है, बल्कि 'द डिप्लोमैट' उन फिल्मों में से एक है जहां आप राष्ट्रवादी नहीं होते अपनी छाती नहीं पीटते। बल्कि आप एक मौन और संयमित तरीके से देशभक्त होते हैं'। 2003 की फिल्म 'जिस्म' से अपने फिल्मी सफर की शुरुआत करने और 'गरम मसाला' और 'दोस्ताना' जैसी कॉमेडी फिल्मों में काम करने के बाद, उन्होंने 'मद्रास कैफे', 'परमाणु' और 'द डिप्लोमैट' जैसी राजनीति और कूटनीति पर आधारित फिल्मों में काम किया है।
प्रोपेगेंडा फिल्मों को बताया डरावना
अब्राहम ने पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में कहा, 'कुछ फिल्में इसका फायदा उठा रही हैं और अच्छी कमाई कर रही हैं। यह देखना वाकई दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि जब आप कुछ फिल्में देखते हैं, तो आपको पता चलता है कि उनमें कोई बारीकियां नहीं है, बल्कि आप देखते हैं कि उनमें बनावटीपन है और आज के दौर में यह देखना डरावना है'। अब्राहम के कहा कि प्रोपेगैंडा फिल्में बनती रहेंगी क्योंकि फिल्म निर्माण एक क्रिएटीव फील्ड है जहां आपको अफनी पसंद की फिल्में बनाने की इजाजत है।
मैडॉक फिल्म्स द्वारा निर्मित और ZEE5 पर स्ट्रीम हो रही तेहरान एक सच्ची घटना का काल्पनिक रुपांतर है जो इजराइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के बीच घटित हुई। यह 2012 में नई दिल्ली स्थित इजराइली दूतावास के पास हुए बम विस्फोट से प्रेरित है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।