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पुण्यतिथि पर विशेष: इरफ़ान का वो 'क़िस्सा' जो 9 साल बाद भी नहीं भूलीं रसिका दुग्गल, आज भी खड़े हो जाते हैं रोंगटे

2013 में आयी प्रशंसित फ़िल्म क़िस्सा इरफ़ान के बेहतरीन अभिनय के लिए याद की जाती है। फ़िल्म में इरफ़ान की सह अभिनेत्री रसिका दुग्गल उनके उसी सहज और सरल व्यक्तित्व को याद करके भावुक हो जाती हैं। रसिका ने इस फ़िल्म में इरफ़ान की बहू का किरदार निभाया था।

By Manoj VashisthEdited By: Published: Wed, 28 Apr 2021 07:00 PM (IST)Updated: Thu, 29 Apr 2021 07:50 AM (IST)
पुण्यतिथि पर विशेष: इरफ़ान का वो 'क़िस्सा' जो 9 साल बाद भी नहीं भूलीं रसिका दुग्गल, आज भी खड़े हो जाते हैं रोंगटे
Rasika Duggal and Irrfan. Photo- Instagram/Rasika Duggal

मनोज वशिष्ठ, नई दिल्ली। 29 अप्रैल, 2020 को इरफ़ान इस दुनिया को अलविदा कह गये थे। अपने अभिनय की बारीकियों और गहराइयों से इरफ़ान ने सितारों से सजी इंडस्ट्री में एक अलग पहचान बनायी थी, जिसके लिए वो किसी सरनेम के मोहताज नहीं थे। फ़िल्मों में अपना किरदार निभाते हुए जितने सहज नज़र आते थे, वास्तविक ज़िंदगी में भी उतने ही सहज थे इरफ़ान।

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2013 में आयी बहुचर्चित और प्रशंसित फ़िल्म 'क़िस्सा' इरफ़ान के बेहतरीन अभिनय के लिए याद की जाती है। फ़िल्म में इरफ़ान की सह अभिनेत्री रसिका दुग्गल उनके उसी सहज और सरल व्यक्तित्व को याद करके भावुक हो जाती हैं। रसिका ने इस फ़िल्म में इरफ़ान की बहू का किरदार निभाया था।

'क़िस्सा' के क्लाइमैक्स में इरफ़ान और रसिका के बीच एक बेहद मुश्किल सीन फ़िल्माया गया था। इस सीन में रसिका के अभिनय को काफ़ी सराहा गया था, जिसका पूरा श्रेय वो इरफ़ान को देती हैं। इरफ़ान के साथ उस सीन की पूरी कहानी रसिका की ज़ुबानी।

 

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''जब भी कोई किस्सा की बात छेड़ता है तो मुझे बहुत ख़ुशी होती है। मैं अभारी हूं, आपने वो फ़िल्म देखी है और उस फ़िल्म को याद किया। मेरे करियर की बहुत अहम फ़िल्म है। अहम इसलिए है, क्योंकि फ़िल्म में इरफ़ान, तिलोत्तमा शोम, टिस्का चोपड़ा और डायरेक्टर अनूप सिंह के साथ काम किया। क़िस्सा के ज़रिए मुझे पहली बार यह एहसास करने का मौक़ा मिला कि परफॉर्मेंस की कितनी सम्भावनाएं हो सकती हैं और परफॉर्मेंस के ज़रिए कितनी गहराई में जाया जा सकता है। इसके लिए मैं हमेशा इरफ़ान की आभारी रहूंगी।

क़िस्सा की कई ख़ूबसूरत यादें हमेशा मेरे साथ रहेंगी। इरफ़ान और मेरा एक बहुत ही मुश्किल सीन है, जो बिल्कुल अंत में आता है, जब फ़िल्म मैजिक रियलिज़्म के स्पेस में चली जाती है। इस मुश्किल सीन को हमने दो बार शूट किया था, क्योंकि इरफ़ान, मुझे और निर्देशक, तीनों को लगा कि पहली बार में ठीक से शूट नहीं हुआ।

दोबारा शूट करते वक़्त मैं बहुत नर्वस थी, क्योंकि मानसिक दबाव बन गया था कि अगर इस पर दोबारा समय ख़र्च कर रहे हैं तो कुछ चमत्कारिक सीन बनना चाहिए, ताकि वो वक़्त वसूल हो जाए। इरफ़ान और अनूप की वजह से वो सीन कामयाबी के साथ शूट हुआ। यह मेरी ज़िंदगी का पहला अनुभव है, जिसे मैं एक्शन और कट के बीच वाकई में जादुई मानती हूं।

 

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हमने उस सीन के 8 टेक्स किये होंगे। हर टेक अपने तरीक़े से मैजिकल था। उन मोमेंट्स में इतनी इंटेंसिटी थी कि 9 साल बाद भी उस सीन की बात करती हूं तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इतना पावरफुल सीन था। यह ऐसा सीन था, जब स्क्रिप्ट में पढ़ा तो लगा कि कैसे होगा!

मगर, इरफ़ान की इंटेंसिटी और क्राफ्ट की वजह से इतना ख़ूबसूरत बन गया। इरफ़ान जिस तरह का सम्मान अपने सह कलाकारों को देते थे, उसकी वजह से ही वो सम्भव हो पाया। जब हम 'क़िस्सा' की शूटिंग कर रहे थे तो इरफ़ान बहुत बड़े स्टार थे और मैं नई एक्टर थी, लेकिन उन्होंने मेरे काम को इतनी इज़्ज़त दी कि वो एक्सपीरिएंस कभी नहीं भूल पाऊंगी।''


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