पुण्यतिथि: इंदिरा गांधी के जीवन पर बनी ये फिल्में और हर फिल्म के रिलीज पर हुआ विवाद
Indira Gandhi Death Anniversary इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर जानते हैं कि उनके जीवन पर कितनी फिल्में बनीं और उन फिल्मों को लेकर क्या क्या विवाद हुआ।
नई दिल्ली, जेएनएन। 31 अक्टूबर 1984 यानी आज से करीब 35 साल पहले देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई थी। इंदिरा गांधी का राजनीतिक जीवन भी काफी विवादों से भरा रहा। ऐसे में उनकी उतार-चढ़ाव वाली जिंदगी पर कई फिल्में भी बनीं, लेकिन अधिकतर फिल्में आसानी से रिलीज होने के बजाय विवाद का हिस्सा रहीं। जानते हैं इंदिरा गांधी के जीवन से जुड़ी भारतीय सिनेमा में कौन-कौन सी फिल्में बनी हैं...
आंधी- कहा जाता है कि 13 फरवरी 1975 को रिलीज हुई फिल्म 'आंधी' इंदिरा गांधी के राजनीतिक घटनाक्रम पर बनी फिल्म थी, हालांकि इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। कई दिनों बाद इंद्र कुमार गुजराल ने इसे रिलीज करने की इजाजत थी, जब वो देश सूचना और प्रसारण मंत्री थे। फिल्म में संजीव कुमार और सुचित्रा सेन ने अभिनय किया था।
किस्सा कुर्सी का- देश में लगी इमरजेंसी के बाद 1978 में बनी फिल्म किस्सी कुर्सी का काफी विवादित फिल्म रही। यह फिल्म इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लगाई गई इमरजेंसी पर बनी थी। फिल्म का डायरेक्शन अमृत नाहटा ने किया था और भगवंत देशपांडे, विजय कश्मीरी और बाबा मजगांवकर प्रोड्यूसर्स थे। फिल्म में शबाना आजमी, उत्पल दत्त जैसे मंझे हुए कलाकार थे। हालांकि इससे संजय गांधी काफी नाराज थे और फिल्म को लेकर काफी विवाद हुआ था।
31 अक्टूबर- यह फिल्म पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या पर आधारित है, कई सीन की काटछांट और चार महीने की देरी के बाद 2016 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म में अभिनेत्री सोहा अली खान और अभिनेता वीर दास मुख्य भूमिका में थे। राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म निर्माता शिवाजी लोटन पाटिल ने इस फिल्म का निर्देशन किया है।
इंदु सरकार- फिल्म में 1975 में इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लगाई गई इमरजेंसी के हालात दिखाए गए थे। इस फिल्म को लेकर काफी विवाद उठा था और फिल्म निर्देशक मधुर भंडारकर को काफी विरोध का सामना करना पड़ा था। 2017 में आई इस फिल्म को लेकर कांग्रेस ने काफी हंगामा किया था, जिसमें गांधी परिवार की कहानी दिखाई गई है।
कौम दे हीरे- ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद इंदिरा गांधी का हत्या कर दी गई थी और इंदिरा गांधी के सिख अंगरक्षकों ने उन्हें दिल्ली के आवास में गोलियों से भून दिया था। पंजाबी फिल्म "कौम दे हीरे" उन्हीं हत्यारों पर बनी है। इस फिल्म को भी सेंसर बोर्ड ने पास नहीं किया था।