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    Malini Awasthi slammed PETA: गायिका मालिनी अवस्थी ने 'चमड़ा मुक्त रक्षाबंधन' के प्रचार के लिए पेटा को लताड़ा

    By Rupesh KumarEdited By:
    Updated: Sun, 19 Jul 2020 07:26 AM (IST)

    Malini Awasthi slammed PETA पेटा का चमड़ा मुक्त रक्षाबंधन अभियान मालिनी अवस्थी को बेतुका लगाl

    Malini Awasthi slammed PETA: गायिका मालिनी अवस्थी ने 'चमड़ा मुक्त रक्षाबंधन' के प्रचार के लिए पेटा को लताड़ा

    नई दिल्ली, जेएनएनl भारतीय लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने अपने ट्वीट में पेटा को भारत में चमड़ा मुक्त रक्षाबंधन अभियान को बढ़ावा देने के लिए लताड़ा है, उन्होंने ऐसा लिख पेटा की मंशा पर प्रश्न उठाया हैंl  भारतीय लोक गायिका मालिनी अवस्थी और पेटा में एक ट्विटर युद्ध छिड़ा हुआ हैं। पद्म श्री से सम्मानित मालिनी ने आगामी राखी त्योहार को पेटा के अभियान को लेकर अपनी बात रखी हैंl पेटा ने भाई-बहन के इस पवित्र त्योहार के दौरान किसी भी जानवर, विशेष रूप से गायों को नुकसान नहीं पहुंचाने और चमड़े से मुक्त सामान का विकल्प चुनने के बारे में बात की है।

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    पशु अधिकार संगठन का यह अभियान गायिका को इसलिए बेतुका लगा क्योंकि उन्होंने कभी भी चमड़े की राखियों के बारे में कभी नहीं सुने होने की बात कही, इस प्रकार उन्होंने इस अभियान को अजीब और बीमार बना दिया। पेटा ने ट्वीट किया 'इस रक्षाबंधन, गायों की भी रक्षा करें। गाय का चेहरा #GoLeatherFree #NotOursToWear #VeganLeather #RakshaBandhan'

    जिस पर मालिनी अवस्थी ने जवाब दिया,'यह बेतुका है! राखी के चमड़े से बने होने के बारे में कभी नहीं सुना! @PetaIndia आपका दुर्भावनापूर्ण अभियान अजीब और बीमार है!' जैसे ही पेटा को गायिका की ओर से यह करारा जवाब मिला, उन्होंने खुद को सही ठहराते हुए ट्वीट किया, 'हमने यह नहीं कहा था। निश्चित रूप से आप इस बात से असहमत नहीं हैं कि रक्षा बंधन उन गायों को संरक्षण देने के लिए एक अच्छा दिन है। इस पर मालिनी ने जवाब दिया था कि रक्षाबंधन हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला त्योहार है, जो गाय की पूजा करते हैं, इसलिए चमड़े से मुक्त राखी का प्रचार करना प्रचार की तरह लगता है।'

    साथ ही, उन्होंने पेटा से कुछ त्योहारों के विरोध में निवेश करने का आग्रह किया जो लोगों को जानवरों को मारने का आग्रह करते है। उनके उत्तर में लिखा था, 'रक्षाबंधन एक हिंदू त्योहार है और हिंदुओं गाय में देवियों और देवताओं का निवास मानते है। चमड़े की राखियों के बारे में उपदेश, जो भारत में एक सांस्कृतिक वास्तविकता भी नहीं है, @ पेटाइंडिया का प्रचार लगता है। आपको जानवरों की मौतों का जश्न मनाने वाले त्यौहारों का विरोध करने में निवेश करना चाहिए।'