'नो एंट्री 2' पर आया बड़ा अपडेट...Akshay Kumar पर फिर लगाया दांव, अनीस बज्मी का खुलासा!
'भूल भुलैया 3' के निर्देशन के बाद फिल्मकार अनीस बज्मी लगातार नई कहानियां लिख रहे हैं। फिल्म जगत के बदलते माहौल, कामेडी की मुश्किलें, इंटरनेट मीडिया पर ...और पढ़ें

अनीस बज्मी के साथ खास बातचीत
प्रियंका सिंह, नई दिल्ली। फिल्ममेकर अनीस बज्मी (Anees Bazmee) हमेशा से ही अपनी अलग और हटके फिल्मों के लिए जाने गए हैं। जल्द ही वो नए प्रोजेक्ट्स के साथ आ रहे हैं। इसी बीच उन्होंने अपने आने वाले प्रोजेक्ट्स, अक्षय कुमार और कॉमेडी-हॉरर फिल्मों के लेकर काफी कुछ कहा है।
सवाल- अक्षय कुमार (Akshay Kumar) के साथ आप दोबारा कॉमेडी फिल्म ही बना रहे हैं?
जवाब- हां, उनके साथ कई फिल्में की हैं। यह कहानी काफी समय से मेरे पास थी। वैसे कई कहानियां मेरे पास रहती ही हैं। जब मैं निर्देशन नहीं कर रहा होता हूं, तो लिखता रहता हूं। मैं डेढ़ साल से निर्देशन नहीं कर रहा हूं, कोई और होता तो शायद परेशान हो जाता। मैं नहीं होता, क्योंकि मैं लेखक भी हूं और हर दिन काम करता हूं। दुनियाभर की फिल्में देखता हूं, कुछ न कुछ लिखता रहता हूं।
सवाल- क्या अब कॉमेडी और कठिन होती जा रही है?
जवाब- कॉमेडी हर जमाने में कठिन रही है। मैंने हर जॉनर की फिल्म लिखी है, सबसे कठिन कॉमेडी है। कई लोग फ्रेंचाइज फिल्मों में पिछली फिल्म के सीन रिपीट भी कर देते हैं। मैं ऐसा नहीं करता। मैं यह नहीं कह रहा कि यह सही या गलत है। हर किसी की अपनी समझ है।
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सवाल- अब इंटरनेट मीडिया पर फिल्म प्रदर्शित होते ही उसकी समीक्षाएं आने लगती हैं, क्या इससे शुक्रवार को होने वाला दबाव और बढ़ रहा है?
जवाब- बहुत ही ज्यादा। कुछ लोग हैं, जो खुद को समीक्षक मानते हैं। ऐसा करने के लिए किसी डिग्री की जरूरत तो है नहीं। आजकल तो लोग इंटरवल में ही फोन कर देते हैं। आप स्वतंत्र देश में रहते हैं, आपको स्वतंत्रता से बोलने का पूरा हक है, तो अब कोई कुछ भी बोलता है। मेरा मानना है कि पहले पूरी फिल्म देखो तो सही। पहले कुछ फिल्में ऐसी भी थीं, जो पहले हफ्ते में लोगों को पसंद नहीं आईं, लेकिन बाद में बंपर हिट हुईं। 'मुगल-ए-आजम', 'शोले' इसकी मिसाल हैं। वह मौका आज की फिल्मों को मिलता ही नहीं है। आज यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि शुक्रवार आते ही पहले 15-20 मिनट में रिव्यू आने लगते हैं। यह अब बिजनेस बनता जा रहा है।
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सवाल- इन दिनों हिंदी फिल्मों में प्रमोशन को कम अहमियत दी जा रही है। अपनी फिल्मों को लेकर क्या रणनीति होगी?
जवाब- मुझे लगता है कि केवल प्रमोशन से फिल्में नहीं चलती हैं। आप प्रमोशन से दिखाते हैं कि हमारी फिल्म इस तारीख को प्रदर्शित हो रही है। उन्हें जिज्ञासा वाले स्तर पर ले जाना होगा कि लोग सोचें कि उन्हें यही फिल्म देखनी है, तब तक फिल्में नहीं चलेंगी। ऐसा तब होता है, जब फिल्म अच्छी होती है। हमने कितनी फिल्में बिना किसी प्रमोशन के प्रदर्शित की हैं। मेरी 'नो एंट्री' की बात करूं, तो किसी को गुरुवार तक भी पता नहीं था कि शुक्रवार को फिल्म प्रदर्शित होने वाली है। पहले दिन सिनेमाघर में गया, तो 10 लोग थे। वह देखकर मेरी तो तबियत खराब हो गई, लेकिन रात को नौ बजे फोन आया कि जितने थिएटर में लोग भरे हैं, उतने ही बाहर अगले शो का इंतजार कर रहे हैं। कुल मिलाकर फिल्म का प्रमोशन भी जरूरी है, लेकिन उस स्तर पर नहीं। फिल्म की अपनी बहुत बड़ी ताकत होती है। अगर आपकी फिल्म का ट्रेलर अच्छा है, गाने अच्छे हैं, तब लोगों में जिज्ञासा बनती है कि फिल्म अच्छी होगी।
सवाल- 'नो एंट्री 2' को लेकर क्या तैयारियां हैं?
जवाब- फिल्म जल्द शुरू होगी। दिलजीत दोसांझ फिल्म नहीं कर पाए। उनके बदले किसी और को लेंगे। ऐसा नहीं है कि फिल्म के लिए सरदार एक्टर ही चाहिए था। दिलजीत के लिए हमने किरदार वही बना दिया था। पहली फिल्म जब परेश रावल के साथ की थी, तो उन्हें गुजराती बना दिया था, ताकि उच्चारण का चक्कर न रहे।

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