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    Super 30 Truns 1: ऋतिक रोशन स्टारर फ़िल्म की पांच ऐसे डायलॉग, जो आज भी हैं फेमस

    By Rajat SinghEdited By:
    Updated: Sun, 12 Jul 2020 04:39 PM (IST)

    Super 30 Truns 1 ऋतिक रोशन की फ़िल्म कहानी के अलावा कुछ ऐसे डायलॉग्स भी थे जो दर्शक को पसंद आए।

    Super 30 Truns 1: ऋतिक रोशन स्टारर फ़िल्म की पांच ऐसे डायलॉग, जो आज भी हैं फेमस

    नई दिल्ली, जेएनएन। Super 30 Truns 1: ऋतिक रोशन की फ़िल्म सुपर 30 को आज यानी 12 जुलाई को रिलीज़ हुए एक साल हो गए हैं। फ़िल्म में बिहार में आईआईटी और इंजीनियरिंग के लिए बच्चों को कोचिंग देने वाले आनंद कुमार की कहानी दिखाई गई है। ऋतिक ने आनंद कुमार की ही भूमिका निभाई है। इसके अलावा फ़िल्म में मृणााल ठाकुर भी लीड रोल में नज़र आईं। वहीं, आदित्य श्रीवास्तव, विजय कुमार, पंकज त्रिपाठी और अमित साध जैसे एक्टर्स ने भी अहम भूमिका निभाई है। इस फ़िल्म कहानी के अलावा कुछ ऐसे डायलॉग्स भी थे, जो दर्शक को पसंद आए। एक साल हो जाने के बाद हम आपको एक बार फिर उन डायलॉग्स से रुबरू करा रहे हैं। 

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    1. सबसे बड़ा छलांग- किस बात का डर है तुमको। खोने के लिए क्या है तुम्हारे पास, तो काहे का डर है। अरे भूख से, थकान से, बुखार से क्या होगा, मर जाओगे। मर उस दिन गए थे, जिस दिन गरीब के घर में पैदा हुए थे। ये अमीर लोग अपने लिए खूब चिकना सड़क बनाए। हमारी राह में इतना बड़ा गड्ढा खो दिए। यहीं, वो सबसे बड़ी गलती कर गए, हमको साला छलांग मारना सीखा गए। जब समय आएगा, तब सबसे ऊंचा, सबसे लंबा और सबसे बड़ा छलांग हम ही मारेंगे। 

    2. लल्लन सिंह- राजा को तैयार करना है, तो राजा के बच्चों को ही पढ़ना होगा। लंगड़े घोड़ों को डर्बी के रेस में नहीं उतारते आनंद बाबू। उसे स्टेशन के बाहर टट्टू बनाकर 2-2 रुपये में सवारी कराते हैं। आनंद कुमार- रेस तो शुरू हो गया है लल्लन जी। अब शायद पहली बार आप भी देखेंगे कि ई 2 रुपिया वाला टट्टू कैसे डर्बी जीतता है। घर जाइए लल्लन जी लगता है कि तूफान आने वाला है। 

    3. आज राजा का बेटा राजा नहीं बनेगा। राजा वहीं बनेगा, जो हकदार होगा। उठो पढ़ो, लड़ो, बढ़ो और हकदार बनो। 

    4. प्रयास और सफलता के बीच एक ही नंबर का फर्क होता है। 

    5. ऐसे बहुत से दरवाजे हैं दुनिया में, जो इसलिए नहीं खुलते हैं, क्योंकि 'आई एम कमिंग' नहीं कह पाते।

    सुपर 30 के एक साल होने के पर ऋतिक रोशन ने कहा, 'विश्वास नहीं होता कि एक साल हो गया है। मेरे लिए, सुपर 30 की सफलता मेरी अन्य फिल्मों की सफलता की तुलना में अधिक संतोषजनक है। आनंद कुमार बनने से लेकर कैमरे के सामने आने तक का मेरा सफर बेहद ख़ास था। बॉडी लैंग्वेज पर पकड़ बनाने, बारीकियों को सीखने और उसके लिए बदलाव लाने की प्रक्रिया के बारे में सोच कर मेरे चेहरे पर हमेशा मुस्कान आ जाती है।'