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    निर्देशक को एक नज़र में पसंद आ गई थीं विद्या बालन, ऐसे एक्ट्रेस के हाथ लगी ‘तुम्हारी सुलु’

    विज्ञापन जगत से ताल्लुक रखने वाले सुरेश त्रिवेणी ने फिल्म ‘तुम्हारी सुलु’ से निर्देशन में कदम रखा था। यह फिल्म मुंबई के उपनगर विरार की एक घरेलू महिला सुलोचना की कहानी है। वह हमेशा कुछ नया करने के लिए उत्साहित रहती है।

    By Nazneen AhmedEdited By: Updated: Fri, 17 Sep 2021 02:47 PM (IST)
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    Photo credit - Vidya Balan Insta Account Photo

    स्मिता श्रीवास्तव, जेएनएन। विज्ञापन जगत से ताल्लुक रखने वाले सुरेश त्रिवेणी ने फिल्म ‘तुम्हारी सुलु’ से निर्देशन में कदम रखा था। यह फिल्म मुंबई के उपनगर विरार की एक घरेलू महिला सुलोचना की कहानी है। वह हमेशा कुछ नया करने के लिए उत्साहित रहती है। इसमें पति अशोक उसका साथ देता है। विद्या बालन, मानव कौल अभिनीत इस फिल्म से जुड़ी यादों को साझा कर रहे हैं सुरेश त्रिवेणी...

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    मेरी विद्या बालन से पहली मुलाकात फिल्म ‘परिणीता’ के प्रमोशन के वक्त हुई थी। एक डाक्यूमेंट्री की शूटिंग चल रही थी। मैं उसमें सितारों की बाइट लेता था। इसी सिलसिले में मैं विद्या से मिला और उनसे यूं ही कह दिया कि एक दिन मैं आपके पास स्क्रिप्ट लेकर आऊंगा। साल 2015 में एक स्क्रिप्ट पर उनसे चर्चा हुई, पर बाद में मैं उससे खुश नहीं था। यही बताने मैं विद्या के पास जा रहा था कि रास्ते में मुझे आइडिया आया कि एक मिडिल क्लास हाउस वाइफ अगर आधी रात को रेडियो जॉकी का काम करे तो क्या होगा? विद्या को यह आइडिया बहुत पसंद आया। मेरे दिमाग में सबसे पहले इस फिल्म का टाइटल आया था।

    ‘सुलु’ नाम मोहनलाल की एक मलयालम फिल्म से लिया गया है, जिसमें महिला किरदार का नाम सुलोचना है और लोग उसे प्यार से सुलु बुलाते हैं। इस फिल्म में टकराव था कि एक मध्यमवर्गीय महिला खुशी-खुशी लेट नाइट नौकरी कर रही है। फिल्मों में अक्सर लोअर मिडिल क्लास महिला को परेशान दिखाया जाता है। मैं खुद लोअर मिडिल क्लास से हूं, लेकिन मेरे परिवार में मां समेत हम सब हमेशा खुशी-खुशी रहे हैं। यह फिल्म मैंने मां के लिए बनाई थी। सुलु के कबूतरों से बातें करने वाली आदत समेत कई चीजें मैंने अपनी मां की डाली हैं। पहले दिन हमने फिल्म का फर्राटा गाना शूट किया था।

    विद्या के साथ हमने सबसे पहले स्पून एंड लेमन रेस वाला सीन शूट किया था। उस मौके पर मैं मां और पत्नी को साथ लेकर गया था। फिल्म का बजट सीमित था, इसलिए हम उस सीन में शामिल सभी महिलाएं जान-पहचान से लाए थे। इस सीन के लिए स्क्रिप्ट में सिर्फ इतना लिखा था कि सुलू दूसरे स्थान पर आती है, लेकिन जैसे ही सीन में पहले नंबर पर आई महिला अपने स्थान से उतरती है, मैंने तुरंत सुलु से पहले नंबर वाले स्थान पर जाने के लिए कहा। उसके बाद पति उसकी पहले नंबर पर फोटो खींचते हैं। यह सीन खत्म होते ही, विद्या मेरे पास आईं और उन्होंने कहा ठीक यही बात मैं सोच रही थी।

    काफी कोशिश के बाद हमें विले पार्ले में गोल्डन टोबैको फैक्टरी में एक गेस्ट हाउस मिला। जिसकी हालत बहुत बुरी थी, फिर उसको हमने फिल्म के सेट में बदला। घर का फील लाने के लिए हम वहां अगरबत्ती जलाकर रखते थे। शूटिंग के दूसरे दिन ही वह झूला टूट गया जिस पर विद्या बैठती थीं। विद्या नीचे गिर गईं, सबको काफी चिंता हुई। विद्या ने तुरंत माहौल को संभाला और हंसने लगीं।

    फिल्म में विद्या रेडियो स्टेशन में बैठकर मटर छीलती हैं। यह सीन मुंबई की लाइफस्टाइल से प्रेरित था, यहां जब महिलाएं काम के बाद शाम को घर लौटती हैं तो लोकल ट्रेन में सफर के वक्त बैठकर सब्जियां काटती हैं। फिल्म के लिए आरजे सुरेन, मीरा और मलिष्का ने काफी मदद की। मानव को लेने में पहले मुझे हिचक थी। मेरी सोच थी कि वह बहुत सीरियस होंगे, लेकिन उनसे पहली मुलाकात बहुत गर्म जोशी के साथ हुई। अगर मैं उन्हें कास्ट नहीं करता तो यह मेरी भूल होती।