बर्थडे: जावेद अख़्तर की कहानी, शबाना आज़मी की ज़ुबानी, कुछ ऐसी है इनकी लव स्टोरी
शबाना आज़मी के अब्बा कैफ़ी साहब से मिलने के लिए जावेद अख़्तर अक्सर उनके घर जाते थे। इसी दौरान जावेद और शबाना एक दूसरे के करीब आये और..
हीरेंद्र झा, मुंबई। हिंदी सिनेमा के बेहतरीन गीतकारों और स्क्रिप्ट राइटर्स में से एक जावेद अख़्तर साहब का आज बर्थडे है। 17 जनवरी, 1945 को उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के खैराबाद कस्बे में पैदा हुए जावेद के बचपन का नाम जादू है। उनकी पत्नी शबाना उन्हें इसी नाम से पुकारती हैं! जागरण डॉट कॉम से एक ख़ास बातचीत में शबाना आज़मी ने जावेद अख़्तर के बारे में बताया कि वो बहुत ही प्रोटेक्टिव और प्रोग्रेसिव इंसान हैं!
हजारों रोमांटिक गाने लिखने वाला यह गीतकार निजी जीवन में कितना रोमांटिक है, जागरण डॉट कॉम के इस सवाल पर शबाना कहती हैं कि- 'मुझसे कई लोग कहते हैं कि आपके सौहर कितने रोमांटिक सांग लिखते हैं तो बहुत रोमांटिक होंगे! पर, ऐसा नहीं है। जावेद साहब भी यही जवाब देते हैं उन्हें कि अगर कोई सर्कस में काम करता है तो क्या वह घर पर भी उल्टा लटकता रहेगा..नहीं न?' आगे शबाना कहती हैं कि- 'जावेद की एक बात जो मुझे बहुत अच्छी लगती है वो ये कि जावेद मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं। जावेद साहब का भी यही मानना है कि शबाना मेरी इतनी अच्छी दोस्त है कि हमारी शादी भी हमारी दोस्ती को नहीं बिगाड़ सकी।'
शबाना बताती हैं कि- ''कई लोगों को ऐसा लगता है कि जावेद बहुत ही लापरवाह इंसान हैं पर वास्तव में ऐसा नहीं है। वो हमेशा मुझे एक सेन्स ऑफ़ सिक्यूरिटी देते हैं कि मैं निश्चिंत रह सकूं। जावेद बहुत ज्यादा मेरे अब्बा की तरह हैं। चाहे पृष्ठभूमि की बात की जाए या उनकी शायरी हो या फिर पॉलिटिक्स पर उनकी समझ को ले लीजिये या सामजिक मुद्दों पर जो उनकी प्रोग्रेसिव सोच है, हर मोर्चे पर कैफ़ी आज़मी साहब की झलक उनमें मुझे मिलती है।'' शबाना के मुताबिक जावेद कहते हैं कि लोग ट्रांसमीटर की तरह होते हैं इसलिए जिससे मिले अदब से मिले।
बता दें कि जावेद अख़्तर ने बॉलीवुड करियर की शुरुआत बतौर डायलॉग राइटर की थी, लेकिन बाद में वह स्क्रिप्ट राइटर और गीतकार बने। जावेद अख़्तर ने सलीम ख़ान के साथ मिलकर बॉलीवुड को बेहतरीन फ़िल्में दीं। इनमें ‘ज़ंजीर’, ‘त्रिशूल’, ‘दोस्ताना’, ‘सागर’, ‘काला पत्थर’, ‘मशाल’, ‘मेरी जंग’ और ‘मि. इंडिया’, ‘दीवार’, ‘शोले’ जैसी फ़िल्में शामिल हैं। क्या आप जानते हैं 70 के दशक में स्क्रिप्ट राइटर्स का नाम फ़िल्मों के पोस्टर पर नहीं दिया जाता था, लेकिन सलीम-जावेद ने बॉलीवुड में ऐसी कामयाबी पायी कि तब फ़िल्मों के पोस्टर्स पर राइटर्स का भी नाम लिखा जाने लगा। जावेद अख़्तर को 14 बार फ़िल्मफेयर अवॉर्ड मिला है। इनमें सात बार उन्हें बेस्ट स्क्रिप्ट के लिए और सात बार बेस्ट लिरिक्स के लिए अवॉर्ड दिया गया। जावेद अख़्तर को 5 बार नेशनल अवॉर्ड भी मिल चुका है।
जावेद अख़्तर और शबाना आज़मी की लवस्टोरी की बात करें तो आप जानते हैं कि शबाना जावेद साहब की दूसरी पत्नी हैं। जावेद ने साल 1972 में हनी ईरानी से शादी की थी। हनी से जावेद साहब को दो बच्चे हैं- फरहान और ज़ोया अख़्तर। बहरहाल, जावेद और हनी ईरानी का रिश्ता बहुत दिनों तक नहीं चल सका। जब जावेद और हनी की शादी हुई थी तब हनी सिर्फ 17 साल की थीं।
दरअसल, शबाना आज़मी के अब्बा कैफ़ी साहब से मिलने के लिए जावेद अख़्तर अक्सर उनके घर जाते थे। इसी दौरान जावेद और शबाना एक दूसरे के करीब आये और दोनों एक दूसरे को इतना पसंद करने लगे कि दोनों ने शादी करने का इरादा कर लिया। लेकिन, जावेद पहले से ही शादीशुदा थे। ऐसे में जावेद का तलाक लेना ज़रूरी था। जावेद और हनी में अनबन रहने लगी थी और अंततः दोनों अलग हो गए। जावेद और शबाना ने साल 1984 में शादी की।
जावेद साहब को उनकी कौन सी शेर समर्पित करना चाहेंगी आप? शबाना ने जागरण डॉट कॉम की इस गुज़ारिश पर जावेद अख़्तर का ही यह शेर उन्हें नज्र किया - ''पुर-सुकूं लगती है कितनी झील के पानी पे बत पैरों की बेताबियां पानी के अंदर देखिये'।