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    Happy Birthday: कॉलेज में लड़कियों की वजह से 'भटक' गए थे अनुराग कश्यप, अच्छा दिखने के लिए खरीदते थे सेकंड हैंड जूते

    By Anand KashyapEdited By:
    Updated: Fri, 10 Sep 2021 07:12 AM (IST)

    अनुराग कश्यप उन कलाकारों में से एक हैं जिन्होंने अभिनय से लेकर निर्देशन निर्माता और पटकथा लेखक के तौर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। अगर वह नहीं होते तो शायद बॉलीवुड को सत्या गैंग्स ऑफ वासेपुर ब्लैक फ्राइडे उड़ता पंजाब और देव डी जैसी शानदार फिल्में न मिलत पातीं।

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    बॉलीवुड के निर्माता-निर्देशक अनुराग कश्यप, तस्वीर- Instagram: anuragkashyap10

    नई दिल्ली, जेएनएन। अनुराग कश्यप बॉलीवुड के उन कलाकारों में से एक हैं जिन्होंने अभिनय से लेकर निर्देशन, निर्माता और पटकथा लेखक के तौर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। अगर वह नहीं होते तो शायद बॉलीवुड को सत्या, गैंग्स ऑफ वासेपुर, ब्लैक फ्राइडे, उड़ता पंजाब और देव डी जैसी शानदार फिल्में न मिलत पातीं। अनुराग कश्यप का जन्म 10 सितंबर 1974 को गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। देहरादून के ग्रीन स्कूल और ग्वालियर के सिंधिया स्कूल में अनुराग की पढ़ाई हुई।

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    राज्य सभी टीवी को दिए अपने एक इंटरव्यू में अनुराग कश्यप खुद बता चुके हैं कि सिंधिया स्कूल में अमीर घर के बच्चे पढ़ते थे। वह सभी अच्छी अंग्रेजी बोलते थे, लेकिन अनुराग को उस समय अंग्रेजी बोलनी नहीं आती थी तो वह उन बच्चों से दूर रहने लगे थे। हालांकि उन्हें बचपन से किताबे पढ़ने का शौक रहा था। लेकिन एक समय ऐसा भी आया जब अनुराग कश्यप किताबों की दुनिया से भटकर अपनी दुनिया जीने लगे थे।

    अनुराग कश्यप का यह दौर कॉलेज के समय का था। वह दिल्ली के हंसराज कॉलेज में जूलॉजी से ग्रेजुएशन कर रहे थे। इस दौरान अनुराग कश्यप लड़कियों से बात करने की कोशिश किया करते थे। लेकिन ठीक से अंग्रेजी न बोल पाना और अच्छे कपड़े न होने की वजह से वह घबराते बहुत थे। अनुराग कश्यप ने यह भी बताया कि वह और उनके दोस्त अच्छा दिखने के लिए सेकंड हैंड जूते तक खरीदते थे।

    हालांकि कुछ समय बाद अनुराग कश्यप इस दुनिया को छोड़कर थिएटर से जुड़ गए। दिल्ली में अनुराग जन नाट्य मंच नामक थियेटर से जुड़े थे। इस संस्था के बैनर तले इन्होंने कई स्ट्रीट प्ले भी किया। दिल्ली में इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल हुआ, इसमें Vittorio De Sica की Bicycle Thieves फिल्म से अनुराग काफी प्रभावित हुए। इसके बाद उन्होंने दिल्ली में लंबे समय तक अलग-अलग थिएटर के लिए काम किया।

    जिसके बाद अनुराग कश्यप मुंबई चले गए। अनुराग जब मुंबई आए थे, तब उनके जेब में 5 से 6 हजार रुपये पड़े थे। मुंबई शहर में पहले 8-9 महीने वह काफी परेशान रहे। इस दौरान उन्हें सड़कों पर भी सोना पड़ा और काम की खोज में भटकना भी पड़ा। तब कहीं जाकर उनको पृथ्वी थिएटर में काम मिला। लेकिन उनका पहला प्ले आज तक पूरा नहीं हो सका क्योंकि उस दौरान डायरेक्टर का निधन हो गया था।

    अनुराग के निर्देशन में बनी पहली फिल्म पांच थी, हालांकि यह रिलीज न हो सकी। साल 2004 में आई फिल्म ब्लैक फ्राइडे से उन्हें पहचान मिली। 2009 में आई फिल्म देव डी को आलोचकों ने सराहा। लीक से हटकर चलने वाले इस अनुराग कश्यप ने दर्शकों को अब तक ‘गुलाल’, बॉम्बे टॉकीज, ‘अग्ली’, ‘रमन राघव 2.0’ जैसी कई हिट फिल्में दी हैं। फिल्म एडिटर आरती बजाज से अनुराग की शादी 2003 में हुई थी, इसके बाद छह साल बाद यानी 2009 में दोनों का तलाक हो गया था। इस कपल की एक बेटी भी है जिसक नाम आलिया कश्यप हैं। ऊंटी में ‘देव डी’ फिल्म की शूटिंग के दौरान डायरेक्टर अनुराग कश्यप की मुलाकात कल्कि कोचलिन से हुई। जो समय के साथ प्यार और शादी में बदल गई। उनका यह रिश्ता ज्यादा दिनों तक नहीं चला और दोनों ने 2015 में तलाक ले लिया।