Gulshan Kumar Death Anniversary: मिसाल है 'कैसेट किंग' बनने का सफर, आमिर खान की फिल्म से बदल गयी किस्मत
Gulshan Kumar Death Anniversary भजन सम्राट के नाम से मशहूर संगीत निर्माता गुलशन कुमार ने एक से बढ़ कर एक गाने गाए थे। वह ऐसे भक्ति गायक थे जिनके भजन सुनने के बाद लोग मंत्रमुग्ध हो जाया करते थे। गुलशन कुमार का नाम बॉलीवुड में आज भी बड़े आदर और सम्मान से लिया जाता है। वह ऐसी शख्सियत थे जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से सफलता हासिल कर पहचान बनाई थी।

नई दिल्ली, जेएनएन। Gulshan Kumar Death Anniversary: म्यूजिक इंडस्ट्री के कैसेट किंग कहलाने वाले गुलशन कुमार की 12 अगस्त को डेथ एनिवर्सरी है। गुलशन कुमार ने एक निम्न मध्यम वर्गीय परिवार में जन्म लेकर भी अपने जीवन में बड़ा मुकाम हासिल किया। आइए जानते हैं, उनके संघर्ष भरे सफर के बारे में।
जूस की दुकान में काम करते थे
गुलशन कुमार का जन्म 5 मई 1956 को दिल्ली के एक पंजाबी परिवार में हुआ। उनके पिता चंद्रभान कुमार दुआ 1947 में बंटवारे के दौरान पाकिस्तान छोड़कर भारत आए थे। यहां आकर उन्होंने एक जूस की दुकान शुरू की। गुलशन कुमार भी छोटी-सी उम्र में इसी दुकान में काम करने लगे।
ऑडियो कैसेट की दुकान खोली
इसके बाद गुलशन ने एक ऑडियो कैसेट बेचने की दुकान शुरू की, दुकान चल निकली। गुलशन कुमार को खूब मुनाफा हुआ। साल 1983 में गुलशन कुमार ने सुपर कैसेट्स इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड नाम से एक म्यूजिक प्रोडक्शन कंपनी शुरू की। इसी कंपनी के तहत टी-सीरीज की शुरुआत हुई। टी का मतलब त्रिशूल से है।
दिग्गज कंपनियों ने भी घुटने टेक दिए
शुरुआत में टी-सीरीज कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई, लेकिन लंबे समय तक मार्केट में टिके रहने के बाद टी-सीरीज को साल 1988 में बड़ा मुनाफा हुआ। दरअसल, इस साल टी-सीरीज ने फिल्म 'कयामत से कयामत तक' के 80 लाख कैसेट बेचे। इसके बाद 1990 में आशिकी के म्यूजिक अल्बम से कंपनी ने बड़े कीर्तिमान स्थापित कर दिए।
साल 1997 आते-आते गुलशन कुमार की टी-सीरीज ने म्यूजिक इंडस्ट्री के 65 प्रतिशत मार्केट को कैप्चर कर लिया। उस समय की दिग्गज कंपनियां टिप्स और सारेगामा भी टी-सीरीज के सामने नहीं टिक पाईं।
लाल दुपट्टा मलमल का
1989 में टी-सीरीज की पहली टेलीविजन फिल्म लाल दुपट्टा मलमल का बेहद कामयाब रही। रविंदर पीपट निर्देशित रोमांटिक ड्रामा फिल्म में साहिल चड्ढा और वेवरली ने मुख्य भूमिकाएं निभायी थीं। खुद गुलशन कुमार ने भी एक किरदार प्ले किया था। इस फिल्म का म्यूजिक काफी हिट रहा था।
संगीत आनंद-मिलिंद ने दिया था, जबकि मजरूह सुल्तानपुरी ने गीत लिखे थे। फिल्म में 10 गाने थे, जिन्हें अनुराधा पौडवाल, कुमार शानू, सुरेश वाडेकर, मोहम्मद अजीज, उदित नारायण और पंकज उधास ने आवाज जी थी।
अंडरवर्ल्ड ने की हत्या
गुलशन कुमार भक्ति भाव वाले शख्स थे। वे रोजाना मुंबई के जीतनगर स्थित एक शिव मंदिर में पूजा करने जाया करते थे। 12 अगस्त 1997 को भी वे सुबह 10 बजकर 10 मिनट पर घर से पूजा की थाली लेकर निकले थे। 10 बजकर 40 मिनट पर वे पूजा करके लौटे तो किसी शख्स ने उन पर बंदूक तान दी। शख्स ने उन पर गोली चला दी, जो गुलशन कुमार को छूती हुई निकल गई।
इसके बाद गुलशन कुमार ने लोगों से अपनी जान बचाने की गुहार लगाई, जिसे लोगों ने अनसुना कर दिया था। फिर थोड़ी ही देर में गुलशन कुमार को गोलियों से भून दिया गया। उनकी पीठ और गर्दन पर 16 गोलियां लगी थीं। अस्पताल ले जाने पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था।
उस दौरान इंडियन फिल्म इंडस्ट्री में अंडरवर्ल्ड का काफी बोलबाला हुआ करता था। गुलशन कुमार को कई बार अंडरवर्ल्ड से धमकी मिल चुकी थी, जिसे उन्होंने नजरअंदाज कर दिया था। धमकीयों को नजरअंदाज करने के कारण अंडरवर्ल्ड के लोगों ने आखिरकार 12 अगस्त को गुलशन कुमार का कत्ल कर दिया गया।
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