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    टीवी में घुसने की कोशिश में Anupam Kher का निकल जाता दिवालिया, क्यों डिप्रेशन का शिकार हुए थे DDLJ एक्टर

    Updated: Sat, 19 Jul 2025 11:36 AM (IST)

    अनुपम खेर को अच्छे स्कूल में पढ़ाने के लिए उनकी मां ने अपने गहने तक बेच दिए थे. लेकिन अनुपम की एक्टर बनने की जिद उन्हें मुंबई ले आई। हालांकि ये सफर इतना आसान नहीं रहा क्योंकि उन्हें अपने बाल ना होने वजह से ही कई बार रिजेक्ट होना पड़ा।

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    अनुपम खेर की तन्वी: द ग्रेट इन दिनों चर्चा में है।

    एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। अनुपम खेर, भारतीय सिनेमा का एक ऐसा नाम जिसे किसी परिचय की जरुरत नहीं। अनुपम ने अपने करियर में अब तक 500 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है जिसमें बॉलीवुड के साथ ही कुछ हॉलीवुड फिल्में भी शामिल हैं। अनुपम ने अपने अभिनय के लिए 2 नेशनल अवार्ड भी जीते हैं। हालांकि उनका ये सफर इतना आसान नहीं था, उन्हें कई रातें प्लेटफॉर्म पर सोकर गुजारनी पड़ी और कई दिन रिजेक्शन झेलकर निराश होना पड़ा। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी मंजिल की ओर बढ़ते रहे। जानें कैसे शुरू हुआ उनका एक्टिंग का सफर और कैसे उन्होंने बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाया।

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    अनुपम के लिए मां ने बेचे गहने

    7 मार्च 1955 को शिमला में जन्में अनुपम खेर के पिता की तनख्वाह उस वक्त 90 रुपये थी वे फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में क्लर्क थे। हालांकि उनकी मां चाहती थी कि वे अच्छे स्कूल में पढ़ें इसीलिए उन्होंने अपने गहने तक बेच दिए। लेकिन अनुपम को एक्टर बनने में दिलचस्पी थी और इसीलिए वे चंडीगढ़ आ गए। हालांकि उन्होंने अपनी पढ़ाई बीच में छोड़कर पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ में थिएटर जॉइन कर लिया। ड इसके बाद उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा दिल्ली (NSD) से ट्रेनिंग ली।

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    मुंबई आकर एक महीने प्लेटफॉर्म पर सोए

    एनएसडी से मुंबई आने के बाद अनुपम का असली स्ट्रगल शुरू हुआ। एक महीने तक उन्हें प्लेटफॉर्म पर सोना पड़ा। अनुपम के सिर पर बाल ना होने की वजह से भी उन्हें कई बार रिजेक्शन का सामना करना पड़ा। आखिरकार महेश भट्ट की फिल्म सारांश में उन्हें काम करने का मौका मिला लेकिन महीनों तक इसकी तैयारी करने के बाद शूटिंग के दस दिन पहले ही अनुपम को इसके बाहर कर दिया गया। लेकिन अनुपम डटे रहे और इसका विरोध किया। उनकी निडरता महेश भट्ट को पसंद आई और फिर उन्होंने अनुपम को इस फिल्म मां कास्ट कर लिया। उनकी डेब्यू फिल्म ही उनके लिए एक अच्छा शुरूआत साबित हुई क्योंकि इसके बाद उन्हें एक साथ 57 फिल्मों के ऑफर आए।

    इसेक बाद उन्होंने आखिरी रास्ता, कर्म, और इंसाफ की आवाज जैसी फिल्मों में काम किया। जिनमें ऑडियंस ने उन्हें पसंद किया। अनुपम खेर को फिल्म डैडी और मैंने गांधी को नहीं मारा के लिए 2 बार नेशनल अवार्ड से नवाजा गया वहीं उन्होंने 8 फिल्मफेयर अवार्ड भी जीते। दिलचस्प बात यह है कि पहला फिल्म फेयर अवार्ड उन्होंने अपनी डेब्यू फिल्म सारांश के लिए ही जीता था। अनुपम को पद्मश्री (2004) और पद्म भूषण (2016) से भी नवाजा जा चुका है।

    इंटरनेशनल फिल्मों में आए नजर

    हॉलीवुड फिल्मों की बात करें तो अनुपम ने बेंड इट लाइक बेकहम (2002),सिल्वर लाइनिंग्स प्लेबुक, प्राइड एंड प्रेजुडिस, द मिस्ट्रेस ऑफ स्पाइसेस जैसी फिल्मों में काम किया है।

    दिवालिया होते-होते बचे

    ऐसा नहीं है कि अनुपम इतनी फिल्में करने बाद बहुत ज्यादा सफल हो गए थे, दरअसल साल 2003 के आसपास उन्हें टीवी में करियर बनाने का मन किया. लेकिन यहां वो बात नहीं बनी और इस वक्त अनुपम दिवालिया होते-होते बचे थे। इस वजह से उन्हें पैनिक अटैक आए और डिप्रेशन भी हुआ, इतना ही नहीं उन्हें चेहरे पर लकवा तक मार गया था। लेकिन इसके बावजूद अनुपम हम आपके हैं कौन फिल्म की शूटिंग करने गए थे।

    अनुपम की पर्सनल लाइफ की बात करें तो उन्होंने पहली शादी एक्ट्रेस मधुमती से 1979 में की थी लेकिन कुछ सालों बाद ही उनका तलाक हो गया था। इसके बाद 1985 में उन्होंने एक्ट्रेस किरण खेर से शादी की। किरण का पहले से एक बेटा था जिसका नाम सिकंदर है।

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