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    ''वीरप्पन'' को पकड़ते-पकड़ते ये इंस्पेक्टर बना कन्नड़ का इतना बड़ा सुपरस्टार, जानें केजीएफ़ कनेक्शन

    By Rahul soniEdited By:
    Updated: Thu, 06 Dec 2018 06:54 AM (IST)

    ज़ीरो से क्लैश को लेकर यश का कहना है कि वह खुद शाहरुख़ खान के बड़े फैन रहे हैं और वह चाहेंगे कि दोनों की ही फिल्में कामयाब हों.

    ''वीरप्पन'' को पकड़ते-पकड़ते ये इंस्पेक्टर बना कन्नड़ का इतना बड़ा सुपरस्टार, जानें केजीएफ़ कनेक्शन

    अनुप्रिया वर्मा, मुंबई। यह कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री के बड़े नामों में से एक रहे हैं. वह बड़े स्टार हैं और अब यश की फिल्म केजीएफ जल्द ही दर्शकों के सामने होगी. फिल्म का ट्रेलर काफी पसंद किया जा रहा है. फिल्म शाहरुख़ खान की फिल्म ज़ीरो के साथ रिलीज होने वाली है. 

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    इस बारे में यश का कहना है कि वह खुद शाहरुख़ खान के बड़े फैन रहे हैं और वह चाहेंगे कि दोनों की ही फिल्में कामयाब हों. उन्होंने यह भी कहा कि दोनों फिल्मों का विषय अलग है, ऐसे में दर्शक सभी तरह की फिल्में देखना पसंद करेंगे.

    हमेशा से एक्टर ही बनना था

    यश कहते हैं कि मुझे हमेशा से चाहत थी कि मैं एक्टर ही बनूं. मैंने एल केजी से ही अभिनय करना शुरू कर दिया था. यश याद करते हैं कि जब उन्होंने फैंसी ड्रेस में पार्टिसिपेट किया था, तो उन्होंने इंस्पेक्टर का किरदार निभाया था और उन्होंने कह दिया था कि वह वीरप्पन को जल्द ही पकड़ेंगे. उस वक़्त से लेकर जब भी वीरप्पन को पकड़े जाने या कोई खबर आती थी तो सब मुझसे पूछते थे कि तुम पकड़ोगे. और सब मुझे वही कहते थे और इंस्पेक्टर है. यश कहते हैं कि मुझे स्कूल के दिनों से ही प्यार मिलने लगा था और लोग तालियाँ वगैरह मिलती थी और मुझ पर धुन चढ़ गई थी. यश का असली नाम नवीन हैं. लेकिन वह बताते हैं कि जब वह इंडस्ट्री में आये थे, उस वक़्त इंडस्ट्री में कई सारे नवीन थे. तो सभी ने कहा कि कुछ कन्फ्यूजन न हो इसलिए नाम बदल लिया जाना चाहिए. फिर मेरे दादाजी की कभी चाहत थी कि मेरा नाम यशवंत हो. तो मैंने तय किया कि मैं यश ही नाम लूं.

    परिवार के खिलाफ अभिनय में आया

    यश कहते हैं कि वह शंकरनाथ के फैन थे. मुझे तो घर से निकाल दिया था. यश कहते हैं कि मैं घर से बाहर भाग गया था. ऐसे में यश कहते हैं कि मैंने पीयूसी में दो साल बिताये. मुझे गुस्सा आया कि मुझे अकाउंटेंट नहीं बनना है, यश बताते हैं कि मेरे पापा बस ड्राईवर थे. तो उनके मन में डर था. लेकिन मां ने मुझे सपोर्ट किया था. यश कहते हैं कि मैं थियटर गया. फिर मैंने टीवी में काम किया. वहां कामयाबी मिली. फिर फिल्में करने लगा.

    कन्नड़ इंडस्ट्री को अलग पहचान

    यश कहते हैं कि मैं केजीएफ जैसी फिल्म इसलिए बनाना चाहता था क्योंकि मुझे लगा कि लोगों को पता चले कि हमारी इंडस्ट्री कैसी है और किस तरह से वर्क करती है. लेकिन मुझे इस बात का दुःख है कि लोग इसे साउथ इंडियन इंडस्ट्री में जब भी बात करते तो इसे कम आंकते हैं. लेकिन मैं चाहता था कि मैं उस स्तर की फिल्में बनाऊं और दुनिया देख पाए कि हमारी इंडस्ट्री क्या करने की ताकत रखती है और हमारे तकनीशियन भी किस स्तर पर काम करते हैं. वह चाहते थे कि वह एक बड़े लेवल पर फिल्म बनाएं.

    बाहुबली ने इंडियन फिल्म इंडस्ट्री को अलग पहचान दी है

    यश कहते हैं कि यह सच है कि बाहुबली ने इंडियन फिल्म इंडस्ट्री को अलग ही तरह से पहचान दी है. उस बजट में और उस स्तर पर पहुंचने में वक़्त लगेगा. लेकिन फिर भी हमने कोशिश की है कि केजीएफ के माध्यम से बिग बजट और अच्छे तकनीशियनों के साथ उस स्तर पर फिल्म बना सकें. यश कहते हैं कि राजामौली में इस सोच को बदल दिया है कि कुछ भी रीजनल नहीं है अब, यह एक इंडियन फिल्म है. अब ऐसा नहीं कहा जाना चाहिए कि बॉलीवुड की फिल्म है, या साउथ का सिनेमा है. कहा जाना चाहिए कि इंडियन फिल्म है और इस राज्य से आ रही है.

    टीवी इंडस्ट्री का टैग

    यह पूछे जाने पर कि क्या कभी ऐसा हुआ था कि जब वह टीवी कर रहे थे और फिल्मों में आये तो उनको इस बात से टैग किया जाता हो कि वह टीवी से आये हैं. चूंकि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में ऐसा होता है. इस पर यश कहते हैं कि हां लोगों ने उन्हें ये बातें कही थीं. लेकिन मैं उनको साफ़ कहता था कि शाहरुख़ खान को देखो और फिर बात करो. वह कहते हैं कि टीवी मेरे लिए जरूरत थी. मुझे उस वक़्त पैसे कमाने थे तो मैंने जम कर काम किया और मुझे अच्छी आमदनी मिली. यश ने दिलचस्प बात यह बताई कि उस दौर में जब कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री अपनी शुरुआती दौर में पहचान बनाने की कोशिशों में जुटा हुआ था, उस वक़्त एक्टर को अपने कपड़े खुद के लिए लाने होते थे. मुझे 50 हजार मिलते थे तो मैं चालीस हजार अपने ऊपर खर्च करता था. जबकि बाकी स्टार पांच हजार से अधिक नहीं करते थे और उन्हीं कपड़ों को रिपीट करते थे. यश कहते हैं कि उस वक़्त मैं बाइक से ही आना जाना करता था. मुझे कहते थे कि कार लेलो. लेकिन मुझे बड़ी कार का ही शौक था. तो मैंने फिल्म की और तीन चार साल बिताया तब जाकर मैंने पहली कार ली.

    स्टारडम

    यश कहते हैं कि वहां के लोगों का प्यार अलग तरह का ही होता है. वह आपसे मिलते हैं तो आपके पैर छूने लगते हैं और फिर टैटू वगरेह बनवाते हैं हमारे नाम का. वह कहते हैं कि हम ग्लैमर जो है अपनी फिल्मों में रखते हैं. बाकी फिल्मों के बाद हम आम लोगों के तरह ही लोगों से मिलते हैं. यश ने कहा है कि अबतक उन्होंने जो भी फिल्में रही हैं, वह यादगार रही है. केजी एफ को लेकर भी उनकी वहीं चाहत है. यश कहते हैं कि वह आम लोगों से कनेक्शन रखना चाहते हैं. वह कहते हैं कि वह जानते हैं कि सक्सेस और स्टारडम कुछ दिनों के लिए ही होता है. जब वह नहीं रहता तो दिक्कत होती है. यश कहते हैं कि मेरी पत्नी और मेरी दोनों की तस्वीर टैटू कर देते हैं. शादी के कार्ड में नाम लिखते हैं. अपनी कार में नाम लिखते हैं. हर त्योहार में फूल भेजते हैं. यश कहते हैं कि मेरे सारे फैन्स रोज घर पे आते हैं. मैं जब जिम पर जाता हूं तो आधा घंटा उनके लिए होता है. मैं उनको फोटोज लेने देता हूं.

    बॉलीवुड डेब्यू

    बॉलीवुड डेब्यू के बारे में यश कहते हैं कि उनकी कोई चाहत नहीं है हिंदी फिल्मों में आने की. वह अपने सिनेमा को और बड़ा बनाना चाहते हैं. वह कहते हैं कि अगर वह आ गये तो फिर उनके सिनेमा को आगे कौन बढ़ाएगा. वह अपनी पहचान से खुश हैं.