Film Article 15 Audience Review: Ayushmann Khurrana की फिल्म उठाती है जातिवाद और सिस्टम पर सवाल
Film article 15 Audience Review Film article 15 के माध्यम से संविधान की धारा 15 को आम लोगों की समझ के लिए अच्छे से बताया गया हैl
रुपेशकुमार गुप्ता, नई दिल्ली, जेएनएनl फिल्म अभिनेता आयुष्मान खुराना की बहुप्रतीक्षित फिल्म 'Article 15' आज विरोध के बीच रिलीज हुई हैl इस फिल्म में आयुष्मान खुराना एक आईपीएस ऑफिसर की भूमिका निभा रहे हैं, जिनकी पोस्टिंग उत्तर भारत के एक दूरस्थ गांव में होती है। आयुष्मान की पोस्टिंग के दिन ही रात में दो बच्चियों के साथ दुष्कर्म हो जाता है और एक बच्ची गायब हो जाती हैl फिल्म की कहानी यहीं से शुरू होती है-
अच्छा सुनो, बड़े मन से बनाई है, अच्छी भी बन गयी है। अब मेरा काम ख़त्म, तुम्हारा चालू। देखना ज़रूर। #Article15
— Anubhav Sinha (@anubhavsinha) June 27, 2019
इसके बाद पूरा प्रशासन तंत्र उस केस को रफा-दफा करने लग जाता हैl चूंकि घटना SC/ST जाति की लड़कियों के साथ हुआ होता हैl तो फिल्म में SC/ST जाति के लोगों को किस प्रकार संघर्ष करना पड़ता है, उसे भी दर्शाया गया हैंl केस आयुष्यमान खुराना अपने हाथ में लेते हैं और जातिवाद की धारा से ऊपर उठकर सही तरीके से केस को हल करने में जुट जाते हैंl
It's time to 'UN'MESS the Mess !!#AbFarqLaayenge#Article15 releasing on June 28. https://t.co/Xze7eW80qV" rel="nofollow@anubhavsinha #ManojPahwa #KumudMishra #IshaTalwar #Nassar @sayanigupta @Mdzeeshanayyub @sirfgaurav @ZeeStudios_ @ZeeMusicCompany #BenarasMediaWorks pic.twitter.com/7vwyE38us4— Ayushmann Khurrana (@ayushmannk) June 25, 2019
इस फिल्म को दर्शक देखने सुबह ही सिनेमाघर में पहुंचने लगेl कई दर्शकों ने इस मौके पर संविधान की धारा 15 को समझने की भी बात कहीl कई दर्शकों ने फिल्म आयुष्यमान खुराना के कारण देखने आने की बात कहीl इंटरवल में फिल्म देखकर निकल रहे लोगों के चेहरे पर एक अजीब सी ख़ामोशी थीl इसके बाद जब फिल्म का समापन हुआl तब दर्शकों को फिल्म के माध्यम से उनके सवालों के जवाब मिलने की बात भी समझ में आईl कई दर्शकों ने फिल्म को हाथों-हाथ लियाl कई लोगों ने जातिवाद और सिस्टम भी फिल्म के माध्यम से समझ में आने की बात कहीl
फिल्म में कई प्रकार के उलझे सवालों को सुलझाने में लगे आयुष्यमान खुराना को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता हैl फिल्म में प्रशासन के अंदर के जातिवाद वाले सीन को बहुत ही रोचकता के साथ दर्शाया गया हैl फिल्म की कहानी रोचक और दिलचस्प हैl आयुष्मान खुराना ने अपनी भूमिका के साथ न्याय किया हैl फिल्म में मनोज पाहवा की भूमिका भी सराहनीय हैl फिल्म के बैकग्राउंड स्कोर और लुक पर भी बहुत काम किया गया हैl
फिल्म के माध्यम से संविधान की धारा 15 को आम लोगों की समझ के लिए अच्छे से बताया गया हैl फिल्म निर्देशक अनुभव सिन्हा फिल्म के माध्यम से अपनी बात कहने में सफल रहे हैंl वह दबे-पिछड़ों की बात को फिल्म में उजागर करते हैंl फिल्म में पिछड़ों को आगे लाने के लिए अगड़ों को भी प्रयत्न करने की भी बात कही गई हैl यह फिल्म समाज में वैमनस्यता की बजाय जागरूकता फैलाती नजर आती हैl फिल्म की नाटकीयता अंत तक बनी रहती हैl फिल्म 17 से 18 करोड़ में बने होने के चलते इसके बॉक्स ऑफिस पर हिट होने के अच्छे आसार हैंl इस फिल्म को वर्ड ऑफ़ माउथ का लाभ भी मिलेगाl
फिल्म में ईशा तलवार, कुमुद मिश्रा, मोहम्मद जीशान अयूब ने भी अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय किया। आयुष्मान खुराना की यह फिल्म भी अच्छी है जिसे देखना चाहिए।
जागरण.कॉम स्टार्स - 5 में से 4 स्टार