Kamal Haasan: भाषा विवाद पर कमल हासन ने दिया बड़ा बयान, बोले- सिनेमा की अपनी खुद की भाषा होती बाकी उसकी कोई भाषा नहीं होती
Kamal Haasan Statement Language Controvers भाषा विवाद पर कमल हासन ने कहा ‘सिनेमा की अपनी खुद की भाषा है। हमारा देश विविधताओं का देश है और इसके बावजूद हमारे बीच एक कमाल की एकता है। सिनेमा की अपनी खुद की भाषा होती है बाकी उसकी कोई भाषा नहीं होती।
नई दिल्ली, जेएनएन। साउथ फिल्मों की ज़बरदस्त कामयाबी और हिंदी फिल्मों के एक के बाद एक बॉक्स ऑफिस पर सफलता ने भाषा विवाद मुद्दे को सोशल मीडिया पर भी बहस का मुद्दा बना दिया है। साउथ फिल्म इंडस्ट्री और बॉलीवुड के बीच काफी समय से हिंदी भाषा (Hindi vs regional language) को लेकर बहस छिड़ी हुई है। अब तक एंटरटेनमेंट वर्ल्ड के कई कलाकार और सेलेब्स इस मुद्दे पर अपनी राय रख चुके हैं और अब कमल हासन (Kamal Hasan) ने ‘विक्रम’ के प्रोमो के वक्त भाषा विवाद पर बड़ा बयान दिया है और कहा है कि हमारा सिनेमा एक है और इसे भाषा के नाम पर कोई भी बांट नहीं सकता है।
जानकारी हो कि कमल हासन ने कहा है कि सिनेमाघर ही ऐसी जगह हैं जहां आप इस बात की परवाह नहीं करते कि आपकी बगल में बैठा इंसान किस जाति या धर्म का है। आप वहां मनोरंजन के लिए जाते हैं।भाषा के नाम पर पॉलिटिक्स होती रहेगी, लेकिन हमारे कलाकार और स्पोर्ट्समेन इस पॉलिटिक्स के झांसे में नहीं आएंगे। हमारा देश ऐसा है। सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) को हीं लीजिये तो तमिलियन के लिए सचिन हीरो हैं। उन लोगों को न हिंदी आती है न मराठी। सिनेमा की अपनी खुद की भाषा होती है बाकी उसकी कोई भाषा नहीं होती। हमें ये बात समझनी चाहिए और एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए। अगर आपको कोई फिल्म अच्छी लगती है तो भाषा पर मत जाइए, उसकी तारीफ कीजिए।
मालूम हो कि कमल हासन अपनी फिल्म ‘विक्रम’ (Vikram Hitlist) के प्रमोशन के दौरान मीडिया के भाषा विवाद सवाल पर कहा कि फ़िल्में दुनिया की भाषा बोलती हैं। सिनेमा की अपनी भाषा है। हमारा देश विविधताओं का देश है। कुछ मुद्दों को लेकर हमारी सोच अलग हो सकती है। लेकिन इसके बावजूद हमारे बीच कमाल की एकता है। हम भले ही एक भाषा न बोलते हों, पर अपना राष्ट्रगान (national anthem) हम सब गर्व से गाते हैं। तमिलनाडु के लोगों को बंगाली नहीं आती, लेकिन वे भी तो राष्ट्रगान गाते हैं और शान से गाते हैं। तो जैसे हमारा राष्ट्रगान एक है, वैसे ही हमारा सिनेमा एक है।
कमल हासन ने कहा कि हिंदी की तमाम कालजयी फिल्मों के निर्देशकों को तो वह पूजनीय माना करते थे। सपने में भी कभी नहीं आता था कि इन फिल्मों को बनाने वालों से कभी वह मिल भी पाएंगे। ‘शोले’ बनाने वालों के साथ मैंने काम किया (फिल्म ‘सागर’ में कमल हासन ने निर्देशक रमेश सिप्पी के साथ काम किया है)। हमें ये बात समझनी चाहिए और एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए। अगर आपको कोई फिल्म अच्छी लगती है तो भाषा पर मत जाइए। उसकी तारीफ कीजिए। हमने ‘मुग़ले आज़म’ और ‘शोले’ फ़िल्में देखकर बड़ी फ़िल्में बनाना सीखा लोग कहते हैं कि साउथ की फिल्में सफल हो रही हैं, लेकिन मुझे लगता है कि ये हॉलीवुड सिनेमा के मुकाबले एक भारतीय फिल्म कामयाब हो रही हैं।
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