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    35 Years Of 'Mile Sur': कैसे बना दूरदर्शन का सबसे लोकप्रिय गीत 'मिले सुर मेरा तुम्हारा'? पढ़िए दिलचस्प कहानी

    By Manoj VashisthEdited By: Manoj Vashisth
    Updated: Tue, 15 Aug 2023 09:05 AM (IST)

    Independence Day 2023 Mile Sur आजादी की 77वीं सालगिरह पर मिले सुर मेरा तुम्हारा गीत के प्रसारण को 35 साल पूरे हो गये हैं। 1988 में बने इस गाने में अमिताभ बच्चन मिथुन चक्रवर्ती और जीतेंद्र समेत कई सेलिब्रिटीज ने भाग लिया था। यह एकता गीत आज भी काफी लोकप्रिय है। इसका निर्माण-निर्देशन कैलाश सुरेंद्रनाथ ने किया था। इसकी शूटिंग के किस्से दिलचस्प हैं।

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    मिले सुर मेरा तुम्हारा ने 35 साल पूरे कर लिये। फोटो- स्क्रीनशॉट्स

    प्रियंका सिंह, मुंबई। देश स्वतंत्रता का 77वीं सालगिरह मना रहा है। ऐसे में याद आता है दूरदर्शन का वो गीत, जो पूरे देश को एकता सूत्र में पिरोने के लिए जाना जाता है- मिले सुर मेरा तुम्हारा तो सुर बने हमारा। इस आइकॉनिक गीत ने 35 साल का सफर पूरा कर लिया है। 

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    15 अगस्त, 1988 को स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले पर ध्‍वाजारोहण के बाद दूरदर्शन पर पहली बार बजा था मिले सुर मेरा तुम्हारा... तो सुर बने हमारा। अनेकता में एकता का संदेश देने के लिए बनाए गए इस गीत को स्वतंत्रता दिवस पर 35 साल पूरे हो रहे हैं।

    इस गीत की कल्पना सुरेश मलिक और एड फिल्ममेकर कैलाश सुरेंद्रनाथ ने की थी। निर्देशन की बागडोर कैलाश सुरेंद्रनाथ के हाथों में थी। लोक सेवा संचार परिषद के लिए दोनों ने ही खिलाड़ियों के साथ टॉर्च आफ फ्रीडम बनाया था, जिसके बाद इस गीत के लिए उनसे संपर्क किया गया।

    कैसे बना 'मिले सुर मेरा तुम्हारा' गीत?

    कैलाश सुरेंद्रनाथ गीत को याद करते हुए कहते हैं- ''हमें कहा गया था कि ऐसी चीज बनाओ, जिस पर भारतीय युवाओं को गर्व हो। हमने कई लोगों को पत्र लिखा, ट्रंककाल किया कि इसमें भाग लीजिए। मैं विज्ञापन बनाता था, लेकिन सारा काम रोककर एक महीने तक केवल इस गीत पर काम किया।''

    • उन दिनों विज्ञापन 14 भाषाओं में डब हुआ करते थे। वहां से सीखा था कि भाषा बहुत अहम होती है। मेरे पास कोई स्क्रिप्ट नहीं थी। वहां से ख्याल आया कि देश की विभिन्न भाषाओं को इसमें शामिल किया जा सकता है। गाना तैयार होने में एक सप्ताह लगा। फिर हमने पंडित भीमसेन जोशी से संपर्क किया। उन्होंने कहा कि समय दो।
    • एक हफ्ते बाद वह स्टूडियो में अपना तानपुरा, हारमोनियम और तबला लेकर आए। शास्त्रीय संगीत बनाते वक्त उसमें कई बदलाव होते हैं। हमने रिकार्डिंग शुरू की, वह करीब आधे घंटे की थी। उसमें वह इप्रोवाइज करते गए। उनके साथ हमने खंडाला में झरने के पास शूटिंग की। वहां पर हम गर्मियों में लिरिल साबुन की शूटिंग किया करते थे।
    • वैसे उस विज्ञापन की शूटिंग ओरिजनल लोकेशन कोडाइकनाल थी, जहां सर्दियों में शूटिंग करते थे। इस गीत की रिलीज के बाद भीमसेन जोशी मुझसे जब भी मिलते, तो यही कहते थे कि मुझे अवार्ड बहुत मिले हैं, लेकिन इस गीत के बाद अब जब मैं सड़क पर चलता हूं, तो मुझे बच्चा-बच्चा पहचानता है।
    • इस गाने को तोड़-तोड़ कर रिकार्ड किया गया था। गाने को हिंदी में लिखा गया था, जिसे बाद में कई भाषाओं में रुपांतरित किया गया। उन दिनों केवल इंडियन एयरलाइन्स हुआ करती थी। उनकी फ्लाइट्स के अनुसार हमने देश के अलग-अलग कोने में जाकर एक महीने में गाना शूट किया था। शूटिंग को लेकर योजना होती थी, लेकिन कई बार लोकेशन देखकर तय करते थे कि क्या-क्या किया जा सकता है।

    गाने में कैसे हुई कमल हासन की एंट्री?

    जब हम प्रख्‍यात गायक और संगीतकार एम बालामुरलीकृष्ण के साथ चेन्नई में रिकॉर्डिंग करने पहुंचे थे, तो वहां अभिनेता कमल हासन आ गए थे। उन्होंने कहा कि मैं बालामुरलीकृष्ण का शागिर्द हूं, उनकी रिकॉर्डिंग सुनने आया हूं।

    मैंने कहा हो सके, तो शाम को शूटिंग के लिए भी आ जाइए। इस तरह कमल इस गीत से जुड़े। इस गाने की रिकार्डिंग आसान नहीं थी। हर भाषा के लिए एक ही सुर रखना था। जब गाना पूरा शूट हो गया, तो संगीतकार लुईस बैंक्‍स ने उसे जोड़ा।

    लता जी के साथ हुई गीत की आखिरी शूटिंग 

    स्वर कोकिला लता मंगेशकर इस गाने में सबसे आखिर में जुड़ीं। कैलाश बताते हैं- ''गीत की रिलीज से दो दिन पहले वह विदेश से बॉम्बे (अब मुंबई) लौटीं थीं। हमने गायिका कविता कृष्णमूर्ति के साथ एक पीस रिकार्ड कर लिया था। उनको लेकर शूटिंग भी हो गई थी।

    लता जी आईं और उन्होंने कहा कि मैं यह मौका छोड़ना नहीं चाहती हूं। वह स्टूडियो पहुंची हेडफोन लगाया और कविता का गाना सुना, फिर उसे अपने अंदाज में गा दिया। स्टूडियो में कैमरे लगे थे, हमने साथ में शूट भी कर लिया। रिकॉर्डिंग और शूटिंग दोनों साथ में हो गई।

    वह गाने में नजर भी आईं और उनकी आवाज में हेमा मालिनी, शर्मिला टैगोर, वहीदा रहमान का लिपसिंक करते हुए शॉट भी लगाया गया। कविता जी का शॉट निकालना पड़ा। स्टैंडबाय के लिए कविता जी की आवाज ली थी। वह बहुत निराश हुईं कि उनका शॉट नहीं लग पाया। खैर, लता जी सीनियर थीं, कोई विकल्प नहीं था। कविता की आवाज पर शबाना आजमी ने लिपसिंक किया था।''

    अपने कपड़े ले आए थे अमिताभ, जितेंद्र और मिथुन

    गाने में अमिताभ बच्चन, जितेंद्र और मिथुन चक्रवर्ती को एक फ्रेम में लाने को लेकर कैलाश बताते हैं-

    इन तीनों के सेक्रेटरी से शूटिंग की डेट्स लेने में समय लगा, लेकिन जब डेट मिल गई, तो दिक्कत नहीं हुई। हमने महबूब स्टूडियो के बगीचे में उनका शाट लगाया था। सुबह 7.30 बजे तीनों समय पर पहुंच गए थे। तीनों अपने निजी कपड़े साथ लेकर आए थे।

    एक-दूसरे को दिखाकर कह रहे थे कि मैं इस रंग के कपड़े पहन रहा हूं, तुम क्या पहन रहे हो। उन्हें गाने की लाइनें दी, तीनों ने 10 मिनट में वह शाट ओके कर दिया, फोटो खिंचवाई और अपनी-अपनी फिल्मों की शूटिंग के निकल गए।

    कैसे शूट हुआ था मानचित्र वाला दृश्य?

    गाने के अंत में कैलाश को भारत का मानचित्र और झंडा चाहिए था। कैलाश कहते हैं कि जब हम विज्ञापन के लिए शूट करते हैं, तो हमें क्लाइंट्स की सुननी पड़ती है। लेकिन इस गीत को बनाने के लिए किसी से इजाजत लेने की जरुरत नहीं थी। आजादी थी।

    फिल्मसिटी में मैंने भीड़ इकठ्ठा की और भारत के मानचित्र के डिजाइन में उन्हें खड़ा करके उसे शूट कर लिया था। झंडा बनाने के लिए हम ऊंटी गए थे। वहां एक बोर्डिंग स्कूल में शूटिंग की। हम यहीं से अपने साथ नारंगी, सफेद और हरे रंग के ट्रैक सूट लेकर गए थे। फिर उन्हें खड़े करके झंडा बनाया था।