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    गैंगस्टर का किरदार निभाना चाहते थे दिलीप कुमार, इस हॉलीवुड एक्टर की वजह से छोड़ा इरादा

    98 साल के दिलीप कुमार बुधवार सुबह लगभग 7.30 बजे हमेशा के लिए अलविदा कह गये। लगभग एक हफ़्ते से वो मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती थे। उन्हें सांस की तकलीफ़ होने पर भर्ती करवाया गया था। लगभग एक महीने के अंतराल में यह दूसरी बार था।

    By Manoj VashisthEdited By: Updated: Thu, 08 Jul 2021 08:50 PM (IST)
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    Dilip Kumar wanted to play gangster. Photo- Twitter/Dilip Kumar

    नई दिल्ली, जेएनएन। अभिनय का शायद ही कोई रंग बाक़ी हो, जिसे दिलीप कुमार ने अपनी अदाकारी में ना समाया हो। हर जॉनर में दिलीप कुमार का अभिनय देखने को मिल जाएगा। मगर, एक किरदार ऐसा है, जो भारतीय सिनेमा के लीजेंड नहीं कर सके और इसकी वजह हैं हॉलीवुड एक्टर मर्लिन ब्रैंडो। दरअसल, दिलीप कुमार की बहुत इच्छा थी कि वो पर्दे पर गैंगस्टर का किरदार निभाएं, लेकिन गॉडफादर में मर्लिन ब्रैंडो को देखने के बाद दिलीप साहब ने यह ख़्वाहिश छोड़ दी।

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    दिलीप कुमार के अभिनय जीवन से जुड़ी इस घटना का ज़िक्र नवाज़उद्दीन सिद्दीक़ी ने अपनी पोस्ट में किया है, जो उन्होंने दिलीप सहब को श्रद्धांजलि देने के लिए लिखी। नवाज़ लिखते हैं- जब भावों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करना अभिनय माना जाता था, जब यह शख़्स (दिलीप कुमार) आये और हिंदी सिनेमा का परिदृश्य बदलकर रख दिया।

    एक घटना उन्होंने साझा की कि वो गैंगस्टर का किरदार निभाना चाहते थे और जब इसके लिए स्क्रिप्ट्स का चयन कर रहे थे, उन्होंने गॉडफादर में मारलन ब्रैंडो को देखा और फिर इरादा छोड़ दिया। कहा- यह तो हो चुका है। नवाज़ ने इसके साथ Real Origin Of Method Acting In India हैशटैग भी लिखा है यानी भारत में मेथड एक्टिंग की असली शुरुआत, जिसके लिए दिलीप साहब जाने जाते थे। 

     

     

     

     

     

     

     

     

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    दिलीप कुमार के अभिनय की एक और ख़ूबी थी- पॉज़। इसका ज़िक्र नवाज़ ने दिलीप कुमार को श्रद्धांजलि देते हुए दूसरी पोस्ट में किया- सिनेमा की दुनिया में महानतम। एक संस्थान, एक प्रेरणा और वो पॉज़। थेस्पियन, मेरे पिता और मैं उनके बहुत बड़े प्रशंसक थे और उनकी सभी फ़िल्में देखीं। उनकी कला को सर्फ़ महसूस किया जा सकता है, उसे बताने के लिए शब्द नहीं हैं।  

     

     

     

     

     

     

     

     

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    बता दें, 98 साल के दिलीप कुमार बुधवार सुबह लगभग 7.30 बजे हमेशा के लिए अलविदा कह गये। लगभग एक हफ़्ते से वो मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती थे। उन्हें सांस की तकलीफ़ होने पर भर्ती करवाया गया था। लगभग एक महीने के अंतराल में यह दूसरी बार था, जब दिलीप साहब को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों की वजह से अस्पताल ले जाया गया था। हालांकि, इस बार भी उम्मीद यही थी कि हमेशा की तरह वो ठीक होकर वापस आएंगे।