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    Chhath Puja हमें प्रकृति का सम्मान और संरक्षण की बात सिखाती है: पंकज त्रिपाठी

    By Jagran NewsEdited By: Rupesh Kumar
    Updated: Sat, 29 Oct 2022 06:17 PM (IST)

    Chhath Puja 2022 छठ पूजा के कारण पंकज त्रिपाठी की एक्टिंग में भी सुधार आया है। उन्होंने कहा इस अवसर पर मैं कई कार्यक्रमों में भाग लेता था और मेरे पास इसकी कई शानदार यादें हैं। वह फिल्म कलाकार है।

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    Chhath Puja 2022: छठ पूजा 2022 में पंकज त्रिपाठी ने भाग लिया है।

    नई दिल्ली, जेएनएन। Chhath Puja 2022: पंकज त्रिपाठी ने छठ पूजा पर अपने मन की बात व्यक्त की है। छठ पूजा पूरे भारतवर्ष में प्रतिवर्ष धूमधाम से मनाई जाती है। यह त्यौहार पंकज त्रिपाठी के लिए भी काफी खास है। पंकज त्रिपाठी ने बताया कि वह हर बार अपनी मां के साथ बिहार में छठ पूजा मनाते हैं। 

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    पंकज त्रिपाठी ने एक इंटरव्यू में कहा, 'छठ पूजा के दौरान हम सूर्य की पूजा करते हैं'

    46 वर्षीय अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने एक इंटरव्यू में कहा, 'पूजा के दौरान हम सूर्य की पूजा करते हैं। इसका महत्व यह है कि हमें जीवित रहने के लिए पानी और सूर्य की आवश्यकता होती है। इसके चलते हम प्रकृति की पूजा करते हैं। हम भगवान का आभार व्यक्त करते हैं कि उन्होंने हमें यह सब दिया है। यह हमें सिखाता है कि हमें प्रकृति का सम्मान और संरक्षण करना चाहिए। आपको और हमें जिम्मेदार होना होगा। हमें अपने बच्चों को भी प्रकृति के प्रति जिम्मेदार बनाना होगा।'

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    पंकज त्रिपाठी छठ पूजा के अवसर पर कार्यक्रम में उपस्थित रहकर भाग लेंगे

    इस बार पंकज त्रिपाठी छठ पूजा के अवसर पर जुहू में आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित रहकर भाग लेंगे। इसके पहले उन्होंने छठ पूजा बिहार में अटेंड की थी। इस बारे में याद करते हुए उन्होंने कहा, 'मुझे याद है गांव के लोग जो अनाज उगाते हैं उसे आपस में बांटते हैं। इसमें केले से लेकर अनाज शामिल होते हैं। वह ऐसा अपने पड़ोसियों के साथ करते हैं।'

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    पंकज त्रिपाठी आगे कहते है, 'हमेशा छठ पूजा पर घर जाने की जल्दी होती है'

    पंकज त्रिपाठी आगे कहते है, 'हमेशा छठ पूजा पर घर जाने की जल्दी होती है। ट्रेन और बसें भरी रहती हैं। हम इस अवसर पर नए कपड़े और त्यौहार को लेकर खुश रहते थे। हम घर की सफाई करते थे और पूजा के लिए सामग्री एकत्रित करते थे। मैं अपने टेलर के पास जाता था और उन्हें याद दिलाता था कि हमारे कपड़े तैयार रखो। हमें नए कपड़े सिलाने होते थे। तब रेडीमेड का चलन नहीं था।'