आश्रम फेम चंदन राय सान्याल सफल होने के साथ बन गए हैं थोड़े लालची
वेब सीरीज ‘आश्रम’ और फिल्म ‘सनक’ में अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीत रहे चंदन राय सान्याल मानते हैं कि अतीत में किए गए परिश्रम का लाभ उन्हें आज मिल रहा है। बिना किसी रणनीति के आगे बढ़ रहे चंदन मन में रखते हैं थोड़ा और लालच...

दीपेश पांडेय।
अभिनेता चंदन राय सान्याल हिंदी सिनेमा में करीब डेढ़ दशक से सक्रिय हैं। वेब सीरीज ‘आश्रम’ और फिल्म ‘सनक’ में उनके काम को प्रशंसा मिली। जिसका फायदा उन्हें अब मिल रहा है। हाल ही में उनके एक साथ दो प्रोजेक्ट फिल्म ‘वो तीन दिन’ और वेब सीरीज ‘कर्म युद्ध’ दर्शकों के सामने आए। चंदन कहते हैं, ‘ऐसा दौर हर कलाकार के लिए मील के पत्थर की तरह होता हैं। जब करियर शुरू किया था, तब तो कुछ पता ही नहीं था कि कहां तक और कैसे पहुंचेंगे। रास्ता लंबा था और मंजिल दिख नहीं रही थी, लेकिन अब मेहनत धीरे-धीरे रंग ला रही है। अब पहले से काफी ज्यादा काम आ रहे हैं। जब बाहर निकलने पर सड़कों पर अपने पोस्टर और होर्डिंग देखता हूं तो अतीत को सोचते हुए ये सब चीजें सपना ही लगती हैं। अब मुझे विश्वास है कि हां, सपने सच होते हैं और उम्मीद है कि आगे भी मेरे सपने सच होते रहेंगे।’
वरिष्ठों का विश्वास देता है प्रोत्साहन
फिल्म ‘वो तीन दिन’ में चंदन के नाम का सुझाव अभिनेता संजय मिश्रा ने दिया था। इस पर चंदन कहते हैं, ‘मेरे लिए यह बहुत बड़ा प्रोत्साहन है कि संजय मिश्रा जैसे बड़े कलाकार ने मेरे नाम का सुझाव दिया। इस फिल्म की कहानी सुनने के बाद उन्होंने निर्देशक से कहा कि यह भूमिका सिर्फ चंदन ही निभा सकता है। इसके बाद निर्देशक का मुझे फोन आया और मैं कहानी सुनने उनके पास गया। इससे कहीं न कहीं एक विश्वास पनपता है कि चलो मेरे वरिष्ठ कलाकार मेरा काम देख रहे हैं। मैंने कामेडी जानर में बहुत कम काम किया है, काफी दिनों बाद मुझे इस फिल्म में खलचरित्र और खून-खराबे से कुछ अलग करने का मौका मिला। वेब सीरीज ‘आश्रम’ और फिल्म ‘सनक’ के बाद मेरे पास अधिकतर ऐसे ही प्रोजेक्ट आ रहे थे। इसमें मुझे कामेडी के साथ एक नया रंग दिखाने का अवसर मिला।’
नहीं बनाता रणनीति
अब तक मिली लोकप्रियता का लाभ उठाने की बात पर चंदन कहते हैं, ‘जब आपको दर्शकों का प्यार और दुलार मिलने लगता है तो वे चीजें फिल्मकारों को भी दिखती हैं। वे भी आपको गंभीरता से लेने लगते हैं। आगे मुझे और भी अच्छे तथा बड़े निर्देशकों-फिल्मकारों के साथ काम करना है। थोड़ा और ज्यादा नाम कमाने की इच्छा और लालच भी है। मैं खुद भी कुछ कहानियां लिख रहा हूं, जिन्हें भविष्य में स्क्रीन पर उतारना चाहूंगा। अच्छे फिल्मकारों के साथ काम करने के बाद मुझे उसका फायदा मिलेगा अन्यथा नए फिल्मकार के लिए भी फिल्में बनाना मुश्किल होता है। भविष्य को लेकर मेरी कुछ खास रणनीति तो नहीं है, लेकिन आगे मुझे अच्छी और अलग तरह की स्क्रिप्ट का हिस्सा बनना है। खलचरित्र या एक्शन भूमिकाओं के अलावा मैं कामेडी, रोमांस और ड्रामा वाली भूमिकाएं भी निभाना चाहता हूं। रही बात ‘आश्रम’ में भोपा स्वामी की भूमिका की तो वह लोगों का पसंदीदा पात्र है ही, लेकिन मैं अगर हर पात्र वैसा ही करता रहूं तो मजा नहीं आएगा। इसके आगे ‘आश्रम 4’, ‘पटना शुक्ला’ और हंसल मेहता द्वारा निर्मित एक वेब सीरीज जैसे कई प्रोजेक्ट कतार में हैं।’
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